Skip to header Skip to main navigation Skip to main content Skip to footer
Hindi
Gita Answers
Gita Answers
जब जीवन प्रश्न करता है, गीता समाधान देती है

मुख्य नेविगेशन

  • मुख्य पृष्ठ

अपना संदेह पूछें… गीता राह दिखाएगी

गीता किसी ऐसे व्यक्ति की मदद कैसे कर सकती है जिसे बार-बार गुस्सा आता है?

पग चिन्ह

  • मुख्य पृष्ठ
  • गीता किसी ऐसे व्यक्ति की मदद कैसे कर सकती है जिसे बार-बार गुस्सा आता है?

शांति की ओर पहला कदम: गुस्से के तूफान में एक दीपक
साधक, मैं समझता हूँ कि बार-बार गुस्सा आना तुम्हारे मन को बेचैन और थका देता होगा। यह एक ऐसी आग है जो भीतर जलती रहती है और कभी-कभी हमें खुद से भी लड़ने पर मजबूर कर देती है। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। भगवद गीता ने भी इसी मनोस्थिति से जूझते हुए हमें मार्ग दिखाया है। चलो, इस गुस्से के बादल को समझने और उसे पार करने का रास्ता गीता के प्रकाश में खोजते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 62-63
ध्यान दें: गुस्से की जड़ और उसका निवारण
संस्कृत श्लोक:
ध्यानात्मिका न तुष्टिं प्राप्नोति न कामकामः।
क्रोधाद्भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः॥६२॥
स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।
प्रणश्यत्याहुः पाण्डवो बुद्धिहीनो गतसन्देहः॥६३॥
हिंदी अनुवाद:
जो मन को संयमित नहीं कर पाता, वह न तो सुख पाता है और न ही इच्छाओं की पूर्ति। क्रोध से भ्रम उत्पन्न होता है, भ्रम से स्मृति का नाश होता है, स्मृति के नष्ट होने से बुद्धि नष्ट हो जाती है, और बुद्धि के नष्ट होने से व्यक्ति विनष्ट हो जाता है।
सरल व्याख्या:
जब तुम क्रोध में होते हो, तब तुम्हारा मन भ्रमित हो जाता है। इस भ्रम से तुम्हारी याददाश्त और सोचने की शक्ति कमजोर हो जाती है। बुद्धि का नाश होने पर तुम सही-गलत का भेद नहीं कर पाते और अपने ही नुकसान में पड़ जाते हो। गुस्सा इसलिए तुम्हारे लिए एक विनाशकारी आग की तरह है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. मन की चाबी पकड़ो: गुस्सा तब आता है जब हमारा मन और बुद्धि नियंत्रण से बाहर हो जाती है। गीता सिखाती है कि मन को संयमित करना सीखो, तभी क्रोध पर विजय संभव है।
  2. आत्म-परिचय से शक्ति पाओ: गीता कहती है कि तुम केवल तुम्हारा शरीर या गुस्सा नहीं हो, तुम आत्मा हो जो शाश्वत और शांत है। इस समझ से गुस्से को खुद पर हावी न होने दो।
  3. कर्म योग अपनाओ: गुस्सा अक्सर अपेक्षाओं से आता है। जब तुम अपने कर्म को निःस्वार्थ भाव से करते हो, बिना फल की चिंता किए, तो क्रोध कम होता है।
  4. ध्यान और सांसों का अभ्यास: गीता में ध्यान का महत्व बताया गया है। शांत मन के लिए नियमित ध्यान और गहरी सांस लेना जरूरी है।
  5. सहानुभूति का विकास: दूसरों की कमजोरियों को समझो और क्षमा करो। गुस्सा अक्सर अहंकार से जन्मता है, उसे कम करने का रास्ता दया और समझदारी है।

🌊 मन की हलचल

"मैं खुद को क्यों नहीं रोक पाता? गुस्सा आता है और मैं खुद को खो देता हूँ। क्या मैं कभी शांत हो पाऊंगा? क्या मैं खुद से लड़ते-लड़ते थक नहीं जाऊंगा?" ये सवाल तुम्हारे मन में उठते होंगे। जान लो, यह लड़ाई तुम्हारे भीतर की एक प्रक्रिया है — जैसे अंधेरे में रोशनी ढूंढ़ना। हर बार जब तुम गुस्से को पहचानते हो और उसे संभालने की कोशिश करते हो, तुम जीत की ओर बढ़ रहे हो।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे अर्जुन, जब क्रोध तुम्हारे मन को घेरता है, तब याद रखना कि वह तुम्हारा सच्चा स्वरूप नहीं है। वह केवल एक भ्रम है, जो तुम्हारी बुद्धि को धुंधला कर देता है। अपने भीतर के शाश्वत आत्मा को पहचानो। जब भी क्रोध आए, गहरी सांस लो, और सोचो — क्या यह क्रोध मेरे लिए लाभकारी है या हानिकारक? अपने कर्मों को बिना फल की इच्छा के करो, और मन को स्थिर रखो। मैं तुम्हारे साथ हूँ, तुम अकेले नहीं हो।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक विद्यार्थी था जो हर छोटी-छोटी बात पर गुस्सा हो जाता था। उसके गुरु ने उसे एक दिन एक कटोरी में पानी भरने को कहा और कहा, "जब भी गुस्सा आए, इस पानी को ध्यान से देखो।" विद्यार्थी ने किया। जैसे-जैसे वह पानी में गुस्सा के बादल छाए, पानी धुंधला हो गया। गुरु ने कहा, "जैसे पानी में बादल छा जाते हैं, वैसे ही तुम्हारे मन में गुस्सा बादल बनाता है। जब तुम शांत बैठते हो और सांस लेते हो, बादल छंट जाते हैं और पानी साफ हो जाता है। तुम्हारा मन भी वैसा ही है।"

✨ आज का एक कदम

आज जब भी गुस्सा आए, गहरी सांस लेकर धीरे-धीरे दस तक गिनो। इस दौरान अपने मन को यह याद दिलाओ: "मैं गुस्से से बड़ा हूँ। मैं शांत रह सकता हूँ।" यह छोटा अभ्यास तुम्हारे क्रोध को संभालने की क्षमता बढ़ाएगा।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मुझे यह गुस्सा मेरे लिए या दूसरों के लिए लाभ पहुंचाता है?
  • मैं अपने गुस्से के पीछे छुपी असली भावना को समझने के लिए तैयार हूँ?

शांति की ओर एक कदम: तुम्हारा नया सफर शुरू होता है
प्रिय मित्र, याद रखो कि गुस्सा तुम्हारा दुश्मन नहीं, बल्कि तुम्हारे भीतर की एक आवाज है जो कुछ कहना चाहती है। गीता तुम्हें वह समझ और शक्ति देती है जिससे तुम उस आवाज़ को सुनकर उसे प्यार और संयम से बदल सको। तुम अकेले नहीं हो, हर पल मैं तुम्हारे साथ हूँ। चलो, साथ मिलकर इस क्रोध के तूफान को शांति के सागर में बदलें।

Footer menu

  • संपर्क

Copyright © 2025 Gita Answers - All rights reserved

Gita Answers Gita Answers