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क्या हम वर्तमान कर्मों के माध्यम से अपना कर्म बदल सकते हैं?

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कर्म का परिवर्तन: क्या आज के कर्म बदल सकते हैं हमारा भाग्य?
साधक, जीवन की इस जटिल गुत्थी में जब मन उलझन में होता है कि क्या हम अपने वर्तमान कर्मों से अपने भविष्य को बदल सकते हैं, तो समझो कि तुम अकेले नहीं हो। यह प्रश्न हर उस आत्मा का है जो अपने भाग्य को समझना और सुधारना चाहती है। आइए, गीता के अमृत शब्दों के माध्यम से इस रहस्य को खोलें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 4, श्लोक 17
अर्जुन उवाच:
कथं कर्मणि घोरे मम फलानि विजानाति
गुरोः कर्मणि अधिकं च ज्ञानेन तु तद्विदाम्॥
भगवान श्रीकृष्ण उत्तर देते हैं:
श्रीभगवानुवाच:
कर्मणो ह्यपि बोद्धव्यं बोद्धव्यं च विकर्मणः
अकर्मणश्च बोद्धव्यं गहना कर्मणो गतिः॥ (अध्याय 4, श्लोक 16)
हिंदी अनुवाद:
हे अर्जुन! कर्म को समझना आवश्यक है, साथ ही विकर्म (दुष्कर्म) और अकर्म (अकर्म) को भी समझना चाहिए। कर्मों का मार्ग गहरा और जटिल है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. कर्म का ज्ञान ही परिवर्तन की कुंजी है — केवल कर्म करना ही नहीं, उसके फल को समझना भी आवश्यक है।
  2. वर्तमान कर्मों से भविष्य के फल पर प्रभाव पड़ता है — इसलिए अपने कर्मों को सजगता से चुनो।
  3. अकर्म का अर्थ है निष्क्रियता, जो कर्मों को नहीं बदलती — कर्म करते रहो, पर सही समझ के साथ।
  4. ज्ञान से कर्मों में शुद्धि आती है — जब हम समझते हैं कि कर्म क्यों और कैसे करते हैं, तो उनका प्रभाव सकारात्मक होता है।
  5. कर्म बदलने की शक्ति भीतर ही है — भगवान ने हमें स्वतंत्र इच्छा और कर्म करने की क्षमता दी है।

🌊 मन की हलचल

तुम सोच रहे हो, "मैंने पहले जो किया, क्या उसका फल मैं बदल सकता हूँ? क्या मेरा वर्तमान कर्म मुझे नए रास्ते दिखा सकता है?" यह चिंता स्वाभाविक है। लेकिन याद रखो, जीवन एक नदी की तरह है, जो बहती रहती है, और हर नया कदम उसे नई दिशा देता है। बीते हुए कर्मों का बोझ नहीं, बल्कि वर्तमान कर्मों की दिशा तय करती है कि नदी कहाँ पहुँचेगी।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, तुम्हारा अतीत तुम्हारा दास नहीं है। तुम अपने कर्मों के स्वामी हो। जो बीत गया उसे स्वीकारो, उससे सीखो, और वर्तमान में सजग कर्म करो। मैं तुम्हारे हर सही प्रयास में साथ हूँ। कर्म करो, फल की चिंता मत करो। यही तुम्हारा धर्म है।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक किसान था, जिसने कई सालों तक सूखे की मार झेली। उसकी फसलें बार-बार खराब होती रहीं। एक दिन उसने सोचा, "क्या मेरी मेहनत व्यर्थ है?" लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने अपनी खेती के तरीके बदले, बेहतर बीज चुने, और समय पर पानी दिया। अगले साल उसकी फसल समृद्ध हुई।
यह किसान तुम्हारा मन है, और तुम्हारे कर्म वे बीज। तुम अपने कर्मों को बदलकर अपना भविष्य बदल सकते हो।

✨ आज का एक कदम

आज अपने एक छोटे से कर्म को चुनो — चाहे वह किसी की मदद हो, स्वयं की कोई अच्छी आदत बनाना हो या नकारात्मक सोच को छोड़ना। इसे पूरी निष्ठा और प्रेम से करो। देखो कैसे यह छोटा कर्म तुम्हारे जीवन में बदलाव लाता है।

🧘 अंदर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने वर्तमान कर्मों के प्रति पूरी जागरूकता और जिम्मेदारी महसूस करता हूँ?
  • क्या मैं अपने कर्मों को सुधारने के लिए ज्ञान और प्रयास कर रहा हूँ?

🌼 कर्म परिवर्तन की ओर पहला कदम
साधक, याद रखो, कर्मों का चक्र तुम्हारे हाथ में है। जो भी बीत गया, उसे स्वीकारो, लेकिन अपने वर्तमान कर्मों से वह भविष्य बनाओ जो तुम्हारा सच्चा अधिकार है। तुम सक्षम हो, और मैं तुम्हारे साथ हूँ। चलो, इस नई शुरुआत की ओर बढ़ें।
शुभं भवतु! 🙏

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