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क्या गीता हमें भय का सामना करने की शिक्षा देती है या उसे दबाने की?

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  • क्या गीता हमें भय का सामना करने की शिक्षा देती है या उसे दबाने की?

भय की छाया में भी उजाला है
साधक, जब भय हमारे मन पर छा जाता है, तो लगता है जैसे अंधकार ने सब कुछ घेर लिया हो। पर क्या गीता हमें सिखाती है कि भय को दबाना चाहिए, या उसका सामना करना? आइए, इस गहन प्रश्न पर साथ चलें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 56
"श्रीभगवानुवाच"
अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे।
गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः॥

हिंदी अनुवाद:
हे अर्जुन! जो ज्ञानी होते हैं वे न तो मृतकों के लिए शोक करते हैं, न ही जीवितों के लिए। वे न तो अतीत के लिए दुखी होते हैं, न भविष्य के लिए।
सरल व्याख्या:
यह श्लोक हमें बताता है कि सच्चे ज्ञानी भय, दुःख, या चिंता में फंसकर अपने मन को कमजोर नहीं करते। वे जीवन की अनिश्चितताओं को समझकर, निर्भय होकर आगे बढ़ते हैं।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. भय को दबाना नहीं, समझना है — गीता कहती है कि भय को दबाने से वह भीतर ही भीतर बढ़ता है। हमें उसे समझकर उसका सामना करना चाहिए।
  2. असतत् भावों से मुक्ति — भय और चिंता अस्थायी हैं, जैसे बादल आकाश को छुपाते हैं, पर सूरज हमेशा चमकता रहता है।
  3. ध्यान और बुद्धि का विकास — भय को हराने के लिए मन और बुद्धि को संयमित करना जरूरी है। गीता में यही योग का सार है।
  4. कर्तव्य पर ध्यान — भय को पीछे छोड़कर अपने कर्मों पर ध्यान देना, यही गीता का संदेश है। कर्म करते रहो, फल की चिंता मत करो।
  5. आत्म-विश्वास का संचार — अपने अंदर की दिव्यता को पहचानो, जो भय से परे है।

🌊 मन की हलचल

"क्या मैं अपने भय से लड़ पाऊंगा? क्या डर के आगे मैं कमजोर नहीं हो जाऊंगा?" यह सवाल स्वाभाविक है। पर याद रखो, भय को महसूस करना कमजोरी नहीं, बल्कि मानव होने की निशानी है। परंतु, उसे अपने जीवन का मालिक बनने मत दो।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, भय को अपने मन का दास मत बनने दे। जब भी डर आए, उसे अपने कर्म और ज्ञान की तलवार से काट डाल। मैं तुम्हारे साथ हूँ, तुम्हारे भीतर की शक्ति को जगाओ। भय को समझो, उससे भागो मत।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक छात्र परीक्षा से पहले बहुत डर रहा था। उसने अपने गुरु से कहा, "मुझे डर लग रहा है, मैं असफल हो जाऊंगा।" गुरु ने मुस्कुराते हुए कहा, "डर को अपने अंदर एक काला बादल समझो। क्या तुम बादल को दबा कर रखोगे या सूरज की तरह उसका सामना करोगे?" छात्र ने अपनी तैयारी पर ध्यान दिया और परीक्षा में सफल हुआ। भय दबाने से नहीं, उसका सामना करने से विजयी होता है।

✨ आज का एक कदम

जब भी भय महसूस हो, गहरी सांस लो और खुद से कहो, "यह भय मेरा दुश्मन नहीं, मेरा शिक्षक है। मैं उससे सीखकर आगे बढ़ूंगा।"

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • मुझे इस भय के पीछे कौन-सी सोच या अनुभव छुपा है?
  • क्या मैं अपने भय को समझने और उससे सीखने के लिए तैयार हूँ?

भय के बादलों के बीच भी सूरज है
शिष्य, भय जीवन का एक हिस्सा है, पर वह तुम्हारा अंत नहीं। गीता की सीख यही है कि भय का सामना करो, उसे दबाओ नहीं। जब तुम अपने भीतर की शक्ति को पहचानोगे, तो भय खुद-ब-खुद दूर हो जाएगा। मैं तुम्हारे साथ हूँ, इस यात्रा में कदम-कदम पर।
शुभं भवतु।

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