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बार-बार असफलताओं के बाद नियंत्रण कैसे वापस पाया जाए?

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फिर से उठो, तुम्हारे भीतर है अपार शक्ति
साधक, असफलता की बार-बार चोटें लगना जीवन का एक सामान्य हिस्सा है। परन्तु याद रखो, असली वीर वही है जो गिरकर भी उठता है, और अपने मन के नियंत्रण को पुनः प्राप्त करता है। तुम अकेले नहीं हो, तुम्हारे भीतर वह सामर्थ्य है जो तुम्हें फिर से संजीवनी दे सकता है।

🕉️ शाश्वत श्लोक: मन को नियंत्रित करने का संदेश

अध्याय 6, श्लोक 5
उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्।
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः॥
हिंदी अनुवाद:
अपने ही आत्मा को उठाओ, अपने ही आत्मा को नीचा मत गिराओ। क्योंकि आत्मा अपने ही लिए मित्र है और अपने ही लिए शत्रु।
सरल व्याख्या:
यह श्लोक हमें सिखाता है कि हमारा सबसे बड़ा सहारा और सबसे बड़ा दुश्मन हम स्वयं हैं। जब मन हतोत्साहित होता है तो वह हमें नीचे गिराता है, और जब हम अपने मन को उठाते हैं, तो वही हमें ऊपर ले जाता है। नियंत्रण का पहला कदम है अपने मन को पहचानना और उसे अपने पक्ष में करना।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. स्वयं के प्रति दयालु बनो: असफलता पर खुद को दोष देने के बजाय, उसे सीख का हिस्सा समझो।
  2. मन को स्थिर करो: निरंतर अभ्यास से मन की चंचलता कम होती है और नियंत्रण बढ़ता है।
  3. कर्तव्य पर ध्यान दो, फल की चिंता छोड़ो: कर्म करो, परिणाम की चिंता मत करो।
  4. धैर्य और संयम रखो: सफलता समय लेती है, संयम से काम लो।
  5. आत्म-विश्वास जगाओ: अपने भीतर छिपी शक्ति को पहचानो और विश्वास रखो कि तुम सक्षम हो।

🌊 मन की हलचल

तुम्हारा मन कहता होगा, "मैं क्यों असफल हो रहा हूँ? क्या मैं कभी सफल हो पाऊंगा?" यह स्वाभाविक है। पर याद रखो, हर बार गिरना तुम्हें कमजोर नहीं बनाता, बल्कि तुम्हारे उठने के जज़्बे को मजबूत करता है। अपने भीतर की आवाज़ को सुनो, जो कहती है, "मैं फिर से कोशिश करूंगा।"

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे अर्जुन, मन को नियंत्रित करना कठिन है, पर असंभव नहीं। जब भी तुम्हारा मन विचलित हो, मुझे याद करो। मैं तुम्हारे भीतर हूँ, तुम्हारे संकल्पों में हूँ। उठो, अपने कर्म पथ पर पुनः चलो। मैं तुम्हारे साथ हूँ।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक विद्यार्थी था जो बार-बार परीक्षा में असफल होता था। वह निराश होकर बैठ गया। उसके गुरु ने उसे एक मिट्टी का बर्तन दिया और कहा, "इसे संभाल कर रखो।" विद्यार्थी ने ध्यान से बर्तन संभाला। कुछ दिनों बाद बर्तन टूट गया, फिर भी गुरु ने उसे हिम्मत दी, "जीवन भी ऐसा ही है, टूटना और गिरना स्वाभाविक है, पर इसे संभालना और फिर से जोड़ना तुम्हारे हाथ में है।" विद्यार्थी ने फिर से मेहनत की और अंततः सफल हुआ।

✨ आज का एक कदम

आज अपने दिन का एक छोटा समय मन को शांत करने के लिए निकालो। गहरी सांस लो, अपने विचारों को एक जगह केंद्रित करो। यह अभ्यास तुम्हें धीरे-धीरे मन के नियंत्रण में मदद करेगा।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपनी असफलताओं को सीखने का अवसर समझ पा रहा हूँ?
  • क्या मैं अपने मन को मित्र बना सकता हूँ या वह मेरा शत्रु बन रहा है?

तुम अकेले नहीं हो, उठो और फिर से चमको
असफलता की आंधी से घबराओ मत। तुम्हारे भीतर वह शक्ति है जो तुम्हें हर बार उठने और आगे बढ़ने का साहस देती है। मैं तुम्हारे साथ हूँ, तुम्हारा मन तुम्हारा सबसे बड़ा मित्र बनेगा, बस विश्वास रखो और निरंतर प्रयास करते रहो।
शुभकामनाएँ! 🌸

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