Skip to header Skip to main navigation Skip to main content Skip to footer
Hindi
Gita Answers
Gita Answers
जब जीवन प्रश्न करता है, गीता समाधान देती है

मुख्य नेविगेशन

  • मुख्य पृष्ठ

अपना संदेह पूछें… गीता राह दिखाएगी

परिवार में या स्वयं में टर्मिनल बीमारी को कैसे स्वीकार करें?

पग चिन्ह

  • मुख्य पृष्ठ
  • परिवार में या स्वयं में टर्मिनल बीमारी को कैसे स्वीकार करें?

जीवन के अंतिम अध्याय को अपनाना: जब समय सीमित हो
साधक, जब जीवन की राह में हम किसी टर्मिनल बीमारी से जूझते हैं — चाहे वह हमारे परिवार में हो या स्वयं में — तो मन भारी, भयभीत और असहाय हो जाता है। यह स्वाभाविक है। पर याद रखिए, आप अकेले नहीं हैं। इस कठिन घड़ी में भगवद गीता की अमृत वाणी आपके लिए एक प्रकाशस्तंभ बन सकती है।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 13
"देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा।
तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति॥"

हिंदी अनुवाद:
जिस प्रकार इस शरीर में बाल्य, युवावस्था और वृद्धावस्था आती है, उसी प्रकार जीवात्मा एक नए शरीर को प्राप्त होता है। जो व्यक्ति इस सत्य को समझता है, वह दुःख में नहीं पड़ता।
सरल व्याख्या:
हमारा शरीर जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक बदलता रहता है, यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। आत्मा अमर है, वह जन्म-मरण के चक्र से होकर गुजरती रहती है। जब हम इस सच्चाई को समझ लेते हैं, तो मृत्यु का भय कम हो जाता है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. आत्मा अमर है: शरीर क्षणिक है, आत्मा अनंत है। शरीर की बीमारी आत्मा को छू नहीं पाती।
  2. स्वीकार्यता में शक्ति है: जीवन के अंतिम चरण को स्वीकार करना, उसे झेलना, मन को शांति देता है।
  3. धैर्य और स्थिरता: कठिन समय में भी मन को स्थिर रखना, गीता का प्रमुख उपदेश है।
  4. कर्तव्य का पालन: चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, अपने कर्तव्यों को निभाते रहना आवश्यक है।
  5. भगवान पर श्रद्धा: ईश्वर की माया और नियति को समझना, मन को सुकून देता है।

🌊 मन की हलचल

"क्यों मुझे या मेरे परिवार को यह परीक्षा मिली? क्या मैं इसे सह पाऊंगा? क्या मैं अपने प्रियजनों को खोने का दर्द सह सकूंगा?" — ये सवाल आपके मन में उठ रहे होंगे। यह भय, ग़म और अनिश्चितता की भावनाएँ स्वाभाविक हैं। अपने दिल की सुनिए, उसे दबाने की बजाय उसे स्वीकारिए। यही पहला कदम है शांति की ओर।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, जीवन का यह अंत नहीं, एक नया आरंभ है। तू अपने मन में मरण को भय मत समझ, बल्कि उसे जीवन का एक सत्य रूप मान। मैं तेरे साथ हूँ, हर क्षण। अपने मन को मुझमें लगाकर चल, मैं तुझे इस संकट से पार लगाऊंगा।"

🌱 एक छोटी सी कहानी

एक बार एक वृद्ध वृक्ष था, जो अपने आखिरी मौसम में था। उसने अपने पत्तों को धीरे-धीरे खो दिया, लेकिन उसने धैर्य नहीं खोया। उसने अपने आस-पास के पक्षियों और जानवरों को आश्रय दिया। जब वह गिरा, तो उसकी जड़ें जमीन में गहरी थीं, जिससे नए पौधे उगने लगे। यही जीवन का चक्र है — अंत में भी एक नया आरंभ छिपा होता है।

✨ आज का एक कदम

आज अपने दिल के उस हिस्से से बात करें जो डर या ग़म महसूस करता है। उसे लिखिए या किसी विश्वासी से साझा कीजिए। स्वीकार कीजिए कि यह भावना है, पर यह आपकी पूरी कहानी नहीं है।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • मुझे इस क्षण में कौन सी सीख मिल रही है?
  • क्या मैं अपने मन को इस सच को स्वीकारने के लिए तैयार कर रहा हूँ?

शांति की ओर पहला कदम: जीवन है, और जीवन से बड़ा कुछ नहीं
इस कठिन समय में याद रखिए, जैसे दिन के बाद रात आती है, वैसे ही अंधकार के बाद उजाला भी आता है। आप अकेले नहीं हैं। जीवन की गहराई में छिपी इस सीख को अपनाइए और अपने भीतर की शांति को खोजिए। मैं आपके साथ हूँ, हर कदम पर।

Footer menu

  • संपर्क

Copyright © 2025 Gita Answers - All rights reserved

Gita Answers Gita Answers