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इस अस्थायी जीवन में आत्मा का उद्देश्य क्या है?

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जीवन की अस्थिरता में आत्मा का स्थायी उद्देश्य
प्रिय शिष्य, जब जीवन की अनिश्चितता और क्षणभंगुरता हमारे सामने आती है, तब मन में अनेक प्रश्न उठते हैं — "मैं कौन हूँ?", "यह जीवन क्यों है?", "मृत्यु के बाद क्या होता है?"। तुम्हारा यह प्रश्न, "इस अस्थायी जीवन में आत्मा का उद्देश्य क्या है?" अत्यंत गूढ़ और महत्वपूर्ण है। आइए, भगवद गीता के प्रकाश में इस प्रश्न का उत्तर खोजें, ताकि तुम्हारे मन को शांति और स्पष्टता मिल सके।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 20
न जायते म्रियते वा कदाचि न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥
हिंदी अनुवाद:
आत्मा न कभी जन्म लेती है, न कभी मरती है। वह न तो अस्तित्व में आती है और न ही समाप्त होती है। वह अविनाशी, नित्य, शाश्वत और प्राचीन है। शरीर के नष्ट होने पर भी आत्मा नष्ट नहीं होती।
सरल व्याख्या:
यह श्लोक हमें याद दिलाता है कि आत्मा की प्रकृति शरीर से अलग है। शरीर जन्म और मृत्यु के चक्र में फंसा रहता है, पर आत्मा अजर-अमर है। इस जीवन में हमारा असली स्वरूप आत्मा है, जो जन्म-मरण के बंधन से परे है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. आत्मा का अनुभव करना ही जीवन का उद्देश्य है। हमें अपने भीतर के सच्चे स्वरूप को समझना है, जो शरीर और मन से परे है।
  2. धर्म और कर्म के माध्यम से आत्मा का विकास होता है। अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए हम आत्मा की शुद्धि की ओर बढ़ते हैं।
  3. मृत्यु एक अंत नहीं, बल्कि परिवर्तन है। आत्मा का सफर निरंतर चलता रहता है, यह समझकर भय और शोक से ऊपर उठना चाहिए।
  4. सांसारिक दुखों से मुक्त होकर आत्मा की शांति प्राप्त करना ही अंतिम लक्ष्य है। यह शांति ही सच्ची मुक्ति है।
  5. भगवान के प्रति भक्ति और समर्पण से आत्मा का उद्देश्य पूर्ण होता है। यह हमें जीवन के अर्थ से जोड़ता है।

🌊 मन की हलचल

तुम्हारा मन कहता होगा — "यह जीवन इतना अस्थिर, इतना अनिश्चित क्यों है? जब सब कुछ खो जाता है, तो मैं क्या हूँ? क्या मेरी आत्मा भी खो जाएगी?" यह स्वाभाविक है। हर मनुष्य को मृत्यु और क्षणभंगुरता की अनुभूति होती है, और उससे डर भी लगता है। लेकिन याद रखो, तुम्हारे भीतर एक अमर शक्ति है, जो कभी नष्ट नहीं होती। जीवन का उद्देश्य इसी अमर आत्मा को पहचानना और उससे जुड़ना है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे अर्जुन, तुम अपने दुःख और भय को छोड़ दो। यह शरीर नश्वर है, पर तुम्हारा आत्मा नित्य और अविनाशी है। जीवन की अस्थिरता में स्थिरता खोजो; अपने अंदर की दिव्यता को पहचानो। मृत्यु के भय से ऊपर उठो, क्योंकि आत्मा कभी मरी नहीं। यही तुम्हारा सच्चा उद्देश्य है — स्वयं को जानना, और अपने कर्तव्य में दृढ़ रहना।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक नदी के किनारे एक बच्चा खेल रहा था। उसने देखा कि नदी का पानी लगातार बहता रहता है, कभी रुकता नहीं। वह डर गया कि कहीं नदी खत्म न हो जाए। पास ही एक वृद्ध व्यक्ति ने उसे समझाया, "नदी की धार कभी खत्म नहीं होती, वह हमेशा बहती रहती है, जैसे आत्मा का प्रवाह। जीवन में भी हम बदलते रहते हैं, पर आत्मा हमेशा रहती है। नदी की तरह अपने अंदर की शाश्वत ऊर्जा को पहचानो।"

✨ आज का एक कदम

आज के दिन अपने भीतर बैठो और अपने श्वास पर ध्यान लगाओ। समझो कि जो सांस ले रही है, वह तुम्हारा शरीर है, पर जो सांस को महसूस कर रहा है, वह तुम्हारी आत्मा है। इसे महसूस करना ही आत्मा की ओर पहला कदम है।

🧘 अंदर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने भीतर उस अमर आत्मा को महसूस कर पा रहा हूँ?
  • क्या मैं मृत्यु के भय को आत्मा की शाश्वतता से दूर कर सकता हूँ?

🌼 आत्मा की शाश्वत यात्रा में विश्वास बनाए रखो
प्रिय शिष्य, जीवन की अस्थिरता और मृत्यु की अनिवार्यता के बीच भी आत्मा का उद्देश्य सदा स्थिर और पवित्र रहता है। वह है स्वयं को जानना, अपने कर्तव्यों में निष्ठा रखना और अंततः शांति प्राप्त करना। इस सत्य को अपने हृदय में स्थान दो, और भय से ऊपर उठो। तुम अकेले नहीं हो, यह यात्रा हम सबकी है।
शांति और प्रेम के साथ,
आपका गुरु

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