Skip to header Skip to main navigation Skip to main content Skip to footer

User account menu

  • प्रवेश
मुख्य पृष्ठ
Gita Answers
When Life ask Questions Gita Answers

Main navigation

  • मुख्य पृष्ठ

अगर सही काम करने से मुझे डर रोक रहा है तो क्या होगा?

पग चिन्ह

  • मुख्य पृष्ठ
  • अगर सही काम करने से मुझे डर रोक रहा है तो क्या होगा?

डर के साये में भी कदम बढ़ाना संभव है
साधक, जीवन में जब हम सही काम करने की सोचते हैं, तो अक्सर डर हमारे मन में घर कर जाता है। यह डर हमें रोकता है, हमें संदेह में डालता है और कभी-कभी तो हम ठहर जाते हैं। लेकिन याद रखो, डर का मतलब कमजोरी नहीं, बल्कि यह एक संकेत है कि हम अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने वाले हैं। आइए, भगवद गीता की दिव्य शिक्षाओं से इस भय को समझें और उसे पार करें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

धृतराष्ट्र उवाच:
धर्म्याद्धि युद्धाच्छ्रेयोऽन्यत्क्षत्रियस्य न विद्यते।
धर्म्याद्धि युद्धाच्छ्रेयोऽन्यत्क्षत्रियस्य न विद्यते॥ (भगवद् गीता 2.31)
हिंदी अनुवाद:
धर्म के मार्ग पर युद्ध करने से श्रेष्ठ कोई और कार्य नहीं है, हे क्षत्रिय!
सरल व्याख्या:
यह श्लोक हमें बताता है कि सही और धर्म के अनुसार किए गए कार्य से बड़ा कोई श्रेष्ठ कार्य नहीं। भले ही उस मार्ग में डर हो, कठिनाई हो, फिर भी वह कार्य सबसे उत्तम होता है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. धर्म का पालन सर्वोपरि है: डर के बावजूद सही काम करना ही वास्तविक धर्म है।
  2. कर्तव्य से भागना नहीं: भय के कारण अपने कर्तव्य से विमुख होना आत्मा के विकास में बाधा है।
  3. मन को स्थिर रखो: भय और संदेह मन के भ्रम हैं, उन्हें समझो और उनसे ऊपर उठो।
  4. परिणाम की चिंता मत करो: कर्म करो, फल की चिंता मत करो। फल भगवान पर छोड़ दो।
  5. संकट में भी साहस रखो: जो व्यक्ति भय के बावजूद आगे बढ़ता है, वही सच्चा योद्धा है।

🌊 मन की हलचल

तुम्हारे मन में ये आवाज़ उठ रही होगी — "अगर मैं फेल हो गया तो? क्या लोग मुझे गलत कहेंगे? क्या मैं असफल साबित होऊंगा?" यह स्वाभाविक है। डर हमें सुरक्षा की भावना देता है, परंतु वह हमें बंदी भी बना सकता है। याद रखो, डर का सामना करना ही साहस है, और साहस से ही जीवन में नई ऊँचाइयाँ मिलती हैं।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, मैं तुम्हारे अंदर हूँ। जब भी तुम डर से घबराओ, मुझसे जुड़ो। याद रखो, मैं तुम्हारे कर्मों का फल नियंत्रित करता हूँ, तुम्हें केवल कर्म करना है। डरो मत, क्योंकि जो सही है, वही तुम्हारा मार्ग है। मैं तुम्हारे साथ हूँ, हर कदम पर।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक छोटे से गाँव में एक लड़का था जो नदी पार करना चाहता था। नदी में तेज बहाव था और वह डरा हुआ था। लेकिन उसने सोचा, अगर मैं नहीं पार करूंगा तो अपने सपने कैसे पूरे कर पाऊंगा? उसने हिम्मत जुटाई, धीरे-धीरे कदम बढ़ाए और नदी पार कर गया। डर था, पर उसने उसे अपने रास्ते में बाधा नहीं बनने दिया। उसी तरह, जीवन के डर भी हमें रोकने के लिए नहीं, बल्कि हमें मजबूत बनाने के लिए होते हैं।

✨ आज का एक कदम

आज एक छोटा सा कदम उठाओ — अपने उस डर को लिखो जो तुम्हें सही काम करने से रोकता है। फिर उसके सामने यह लिखो — "मैं इस डर को पहचानता हूँ, पर मैं उससे आगे बढ़ूंगा।" इसे रोज़ पढ़ो और अपने मन को मजबूत बनाओ।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • मुझे इस डर के पीछे कौन-सी सोच या अनुभव छुपा है?
  • मैं अपने डर को कैसे अपने विकास का साधन बना सकता हूँ?

साहस की ओर एक नयी शुरुआत
प्रिय, डर को अपने ऊपर हावी मत होने दो। याद रखो, सही काम करने का साहस तुम्हें न केवल सफलता देगा, बल्कि तुम्हारे आत्मविश्वास को भी नई उड़ान देगा। तुम अकेले नहीं हो, कृष्ण हमेशा तुम्हारे साथ हैं। चलो, डर को एक चुनौती समझो और उसे परास्त कर आगे बढ़ो। जीवन तुम्हारा इंतजार कर रहा है।

शुभकामनाएँ और आशीर्वाद के साथ।

Footer menu

  • संपर्क
Powered by Drupal

Copyright © 2025 Company Name - All rights reserved

Developed and Designed by Alaa Haddad at Flash Web Center, LLC