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भयभीत सपनों और विचारों का सामना कैसे करें?

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डर के बादल छटेंगे, जब दिल में होगा विश्वास
साधक, जब सपनों और विचारों का भय हमारे मन को घेर लेता है, तो यह स्वाभाविक है कि हम असहज और खोया हुआ महसूस करें। लेकिन याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर मनुष्य के जीवन में इस तरह की चुनौतियाँ आती हैं। भगवान श्रीकृष्ण की गीता हमें ऐसे समय में साहस, शांति और आत्म-विश्वास का दीप जलाने का मार्ग दिखाती है।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 56
श्लोक:
"श्रीभगवानुवाच –
धैर्येणाभीक्षतां हि बुद्धिं स्थिरां विदधते।
धैर्यं च हि सामर्थ्यं च स्थैर्यं च मनसः स्मृतिः॥"**
हिंदी अनुवाद:
भगवान ने कहा – जो मनुष्य धैर्य से काम लेता है, उसका बुद्धि स्थिर और अटल हो जाती है। धैर्य ही सामर्थ्य है, और मन की स्थिरता तथा स्मृति का आधार है।
सरल व्याख्या:
जब हम अपने भय और उलझनों का सामना धैर्यपूर्वक करते हैं, तो हमारा मन स्थिर हो जाता है। स्थिर मन से हम अपने विचारों को नियंत्रित कर सकते हैं और भय को परास्त कर सकते हैं।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. मन को नियंत्रित करना सीखो: गीता में कहा गया है कि मन को नियंत्रित करना सबसे बड़ी विजय है। भयभीत विचारों से लड़ने के लिए मन को शांत और केंद्रित करना ज़रूरी है।
  2. धैर्य और स्थिरता अपनाओ: भय के क्षणों में धैर्य रखो। धैर्य से मन की हलचल कम होती है और बुद्धि स्पष्ट होती है।
  3. स्वयं को कर्म में लगाओ: गीता की शिक्षा है कि फल की चिंता छोड़कर कर्म करो। अपने कार्य में लग जाने से भय के विचार कम होते हैं।
  4. आत्मा की अमरता को जानो: भय मृत्यु या असफलता का होता है, पर आत्मा अजर-अमर है। इसे समझना भय को कम करता है।
  5. भगवान की शरण में आओ: जब मन विचलित हो, तो प्रभु की स्मृति करो। उनका नाम जपो, उनसे सहायता मांगो।

🌊 मन की हलचल

साधक, मैं समझता हूँ कि जब भय तुम्हारे सपनों और विचारों में घुस आता है, तो मन बेचैन हो जाता है, नींद उड़ जाती है, और सोचने-समझने की शक्ति कम हो जाती है। ऐसा लगता है जैसे एक अंधेरा छा गया हो, और कोई रास्ता न दिख रहा हो। यह स्वाभाविक है, लेकिन याद रखो, यह अंधेरा स्थायी नहीं। तुम्हारे भीतर एक प्रकाश है जो इसे मिटा सकता है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, भय को अपने मन में घर न करने दो। मैं तुम्हारे साथ हूँ। जब भी तुम्हारा मन डगमगाए, मुझसे जुड़ो। अपने कर्म में लग जाओ, और याद रखो – तुम उस आत्मा के अंश हो जो न कभी मरती है, न कभी डगमगाती है।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक विद्यार्थी परीक्षा के डर से बहुत डरा हुआ था। वह रातों को नींद नहीं ले पाता था। उसके गुरु ने उसे एक दीपक दिया और कहा, "इस दीपक को अपने मन के कमरे में रखो। जब भी भय आए, इसे जलाओ।" दीपक जलाने पर कमरे में प्रकाश फैल गया, और डर धीरे-धीरे कम होने लगा। उसी तरह, अपने मन में भगवान का ध्यान और धैर्य का दीप जलाओ, भय अपने आप दूर हो जाएगा।

✨ आज का एक कदम

आज के दिन, जब भी तुम्हारे मन में भय के विचार आएं, गहरी साँस लो और धीरे-धीरे ५ बार यह मंत्र दोहराओ:
"ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:"
इससे मन शांत होगा और भय कम होगा।

🧘 अंदर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने भय को स्वीकार कर सकता हूँ बिना उसे बढ़ाए?
  • क्या मैं अपने मन को स्थिर करने के लिए आज कोई छोटा कदम उठा सकता हूँ?

🌼 विश्वास की किरणें फिर चमकेंगी
साधक, भय के बादल छटेंगे, जब तुम अपने अंदर की शक्ति को पहचानोगे। याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। भगवान तुम्हारे साथ हैं, और गीता तुम्हें हर कदम पर मार्ग दिखाती है। धैर्य रखो, अपने मन को स्थिर करो, और अपने कर्म में लग जाओ। प्रकाश तुम्हारा इंतजार कर रहा है।
शुभकामनाएँ।

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