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जब मुझे अपने सपनों को छोड़ देने का मन हो तो मुझे क्या करना चाहिए?

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जब मुझे अपने सपनों को छोड़ देने का मन हो तो मुझे क्या करना चाहिए?

सपनों का संघर्ष: जब मन करे हार मानने का
साधक, यह पल तुम्हारे जीवन का सबसे संवेदनशील मोड़ है। जब सपनों को छोड़ने का मन हो, तब भीतर की बेचैनी और निराशा तुम्हें घेर लेती है। जान लो, यह स्थिति तुम्हारे संघर्ष का हिस्सा है, और तुम अकेले नहीं हो। हर महान व्यक्ति ने ऐसे समय का सामना किया है। चलो, इस अंधेरे में दीपक जलाते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 47
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

हिंदी अनुवाद:
तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फलों में कभी नहीं। इसलिए कर्म के फल की इच्छा मत करो, और न ही कर्म न करने में आसक्त हो।
सरल व्याख्या:
जीवन में सफलता या असफलता की चिंता किए बिना, अपने कर्म को ईमानदारी और लगन से करना ही तुम्हारा धर्म है। फल की चिंता छोड़ दो, क्योंकि वह तुम्हारे नियंत्रण में नहीं है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. धैर्य और समर्पण: परिणाम की चिंता किए बिना अपने कर्म में लगे रहो।
  2. स्वयं पर विश्वास: सपनों को छोड़ना हार नहीं, बल्कि नए सिरे से प्रयास करने का अवसर है।
  3. विपरीत परिस्थितियों में स्थिरता: मन के उतार-चढ़ाव को समझो, पर उससे प्रभावित मत हो।
  4. स्वयं की पहचान: तुम केवल अपने कर्मों से परिभाषित नहीं, तुम्हारा अस्तित्व उससे परे है।
  5. सतत प्रयास: निरंतरता ही सफलता की कुंजी है, हार मानना विकल्प नहीं।

🌊 मन की हलचल

"क्या मैं सही रास्ते पर हूँ? क्या मेरे सपने मेरे लिए हैं या मैं उनके लिए? अगर मैं हार मान लूं तो क्या दुनिया मुझे भूल जाएगी? क्या मैं फिर से उठ पाऊंगा?"
यह सब सवाल तुम्हारे मन में उठ रहे हैं, और यह स्वाभाविक है। इन विचारों को दबाओ मत, उनसे दोस्ती करो। वे तुम्हें तुम्हारे अंदर की गहराई से मिलवाएंगे।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, याद रखो, मैं तुम्हारे भीतर हूँ। जब भी मन डगमगाए, मुझसे जुड़ो। मैं तुम्हें शक्ति दूंगा, जो तुम्हें फिर से अपने सपनों की ओर बढ़ने का साहस देगी। कर्म करो, फल की चिंता छोड़ दो। जीवन का हर पल एक नया अवसर है। हार मानना तुम्हारे स्वभाव में नहीं। उठो, फिर से प्रयास करो। मैं तुम्हारे साथ हूँ।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक युवा बागवान ने अपने पौधे को बड़े प्यार से लगाया। लेकिन कुछ दिनों बाद पौधा सूखने लगा। निराश होकर उसने पौधा फेंकने का मन बनाया। तभी एक बूढ़े किसान ने कहा, "धैर्य रखो, पौधे को समय चाहिए। तूफान के बाद ही तो फूल खिलते हैं।" कुछ समय बाद, पौधा हरा-भरा होकर खूबसूरती से खिल उठा।
तुम्हारे सपने भी ऐसे ही हैं। उन्हें समय दो, धैर्य रखो, और निराशा में फेंक दो मत।

✨ आज का एक कदम

आज अपने एक छोटे से लक्ष्य को चुनो और उसे पूरा करने का संकल्प लो। चाहे वह एक नया कौशल सीखना हो या पुरानी योजना पर फिर से काम शुरू करना। छोटे-छोटे कदम बड़े सफर की शुरुआत होते हैं।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने कर्मों पर पूरा ध्यान दे रहा हूँ या केवल परिणामों की चिंता करता हूँ?
  • क्या मेरी आत्मा अभी भी मेरे सपनों के लिए धड़क रही है?

सपनों की ओर फिर से बढ़ते कदम
तुम्हारे भीतर वह शक्ति है जो पहाड़ों को भी हिला सकती है। हार मानना आसान है, पर उठना और चलना महानता है। अपने कर्मों में स्थिर रहो, धैर्य रखो और विश्वास करो कि हर अंधेरा सुबह की पहली किरण लेकर आता है। तुम अकेले नहीं, मैं तुम्हारे साथ हूँ। चलो, फिर से शुरू करें।

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