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कृष्ण के अनुसार एक पिछले संबंध से कैसे आगे बढ़ा जाए?

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नए सवेरे की ओर: पुराने रिश्तों से मुक्त होने की राह
साधक,
जीवन की राह में जब कोई पुराना रिश्ता हमारे दिल में गहरे निशान छोड़ जाता है, तो आगे बढ़ना कभी-कभी कठिन लगता है। यह समझना आवश्यक है कि तुम्हारा यह अनुभव अकेला नहीं है। हर व्यक्ति को कभी न कभी पुराने बंधनों को छोड़कर नए अध्याय की शुरुआत करनी होती है। आइए, भगवद गीता की दिव्य शिक्षाओं से इस जटिल सफर को सरल बनाएं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

श्लोक:
व्यास उवाच:
"अव्यक्तादीनि भूतानि व्यक्तमध्यानि भारत |
अव्यक्तनिधनान्येव तत्र का परिदेवना ||"

— भगवद गीता, अध्याय 2, श्लोक 16
हिंदी अनुवाद:
हे भारत (अर्जुन)! इस संसार में जो जीव अव्यक्त (अदृश्य) से व्यक्त (दृश्य) रूप में आते हैं, और फिर व्यक्त से अव्यक्त (मृत्यु) की ओर जाते हैं, इसमें शोक करने के लिए कुछ नहीं है।
सरल व्याख्या:
जीवन में सब कुछ परिवर्तनशील है। जो संबंध आज हैं, वे कभी समाप्त होंगे। जो खत्म हो गया, उसके लिए शोक करने से बेहतर है कि हम उसे समझें और स्वीकार करें। यही जीवन का नियम है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. स्वयं को पहचानो: संबंधों की समाप्ति से स्वयं की पहचान खत्म नहीं होती। आत्मा अमर है, संबंध परिवर्तनशील।
  2. भावनाओं को स्वीकारो: दुख, क्रोध, निराशा को दबाने की बजाय उन्हें महसूस करो, फिर धीरे-धीरे उन्हें छोड़ने का अभ्यास करो।
  3. कर्तव्य और धर्म का पालन: अपने वर्तमान कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित करो, जो तुम्हारे जीवन को आगे बढ़ाएंगे।
  4. अहंकार का त्याग: "मेरा", "मेरा रिश्ता" जैसी सोच से ऊपर उठो, क्योंकि असली स्वतंत्रता अहंकार से मुक्ति में है।
  5. ध्यान और समाधि: मन को स्थिर करो, अपने भीतर की शांति खोजो जिससे बाहरी उलझनों का बोझ कम हो।

🌊 मन की हलचल

तुम्हारा मन कहता है — "मैं खो गया हूँ, मैं अधूरा हूँ। क्या मैं फिर से खुश रह पाऊंगा?" यह स्वाभाविक है। पुराने संबंधों में जो यादें और भावनाएं बसी होती हैं, वे छोड़ना आसान नहीं। पर याद रखो, तुम्हारे भीतर वह शक्ति है जो अंधेरे को प्रकाश में बदल सकती है। खुद से प्यार करो, क्योंकि यही सबसे पहला और अंतिम रिश्ता है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, जो बीत गया उसे जाने दो। जो तुम्हारा था, वह तुम्हारा था, और जो नहीं था, उसे पकड़ कर मत रखो। अपनी आत्मा की शुद्धि और स्वतंत्रता को समझो। जीवन एक नदी की तरह है, जो हमेशा बहती रहती है, कभी पीछे नहीं लौटती। तुम भी उस नदी के बहाव के साथ चलो, न कि उसके खिलाफ।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

कल्पना करो कि तुम एक बगीचे के माली हो। तुम्हारे पास कई फूल थे, जो खिलकर अपनी खुशबू बिखेर रहे थे। पर कुछ फूल मुरझा गए। यदि तुम मुरझाए हुए फूलों को पकड़ कर रखो, तो नया फूल खिल नहीं पाएगा। लेकिन यदि तुम उन्हें हटाकर नई बीज बोओ, तो बगीचा फिर से हरा-भरा हो जाएगा। पुराने रिश्ते भी ऐसे ही हैं — उन्हें छोड़ने से नई खुशियाँ जन्म लेती हैं।

✨ आज का एक कदम

आज अपने मन की किसी एक पुरानी याद को स्वीकार करो, उसे लिखो या अपने किसी विश्वासी से साझा करो। इस प्रक्रिया से तुम्हारा मन हल्का होगा और आगे बढ़ने की ताकत मिलेगी।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने पुराने रिश्ते को स्वीकार कर सकता हूँ, बिना उसे पकड़ने या उसे नकारने के?
  • मैं अपने वर्तमान जीवन में किस तरह से नई खुशियाँ और शांति ला सकता हूँ?

नए सवेरे की ओर बढ़ते हुए
साधक, जीवन में हर अंत एक नई शुरुआत है। पुराने रिश्तों से मुक्त होना कठिन जरूर है, पर यह तुम्हारे आत्मिक विकास का एक अनिवार्य हिस्सा है। कृष्ण की शिक्षाओं को अपने दिल में उतारो और विश्वास रखो कि हर अंधेरा एक उजाले की ओर ले जाता है। तुम अकेले नहीं हो, तुम्हारे भीतर वह शक्ति है जो तुम्हें फिर से खिलने देगी।
शांतिपूर्ण और आत्मीय यात्रा के लिए मेरी शुभकामनाएँ।
ॐ नमः शिवाय।

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