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मैं चुप्पी और शांति से क्यों डरता हूँ?

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  • मैं चुप्पी और शांति से क्यों डरता हूँ?

शांति से न घबराओ, वह तुम्हारा सच्चा मित्र है
साधक, यह बहुत स्वाभाविक है कि जब हम अपने भीतर की गहरी चुप्पी और शांति से मिलते हैं, तो कुछ भय और असहजता महसूस करते हैं। क्योंकि शांति वह दर्पण है जो हमारे अंदर छिपे अनसुलझे सवाल, भावनाएँ और डर सामने लाती है। लेकिन याद रखो, यही चुप्पी तुम्हें अपने असली स्वरूप से मिलवाने का माध्यम है।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 50
बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते।
तस्माद्योगाय युज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम्॥

हिंदी अनुवाद:
बुद्धि से युक्त व्यक्ति इस जीवन में अच्छे और बुरे दोनों कर्मों से मुक्त हो जाता है। इसलिए, तू योग अर्थात कर्मों में कुशलता से जुड़।
सरल व्याख्या:
जब हम अपने मन को बुद्धि से नियंत्रित करते हैं, तो हम अपने अंदर की हलचल और भय से ऊपर उठ जाते हैं। योग का अर्थ है कर्मों में दक्ष होना, न कि केवल शारीरिक अभ्यास। यह चुप्पी में भी सक्रिय और जागरूक रहने की कला है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. भीतर की शांति भय नहीं, बल है। शांति तुम्हें अपने असली स्वरूप से जोड़ती है, जहाँ भय का कोई स्थान नहीं।
  2. चुप्पी में छुपा है आत्मज्ञान। जब मन शांत होता है, तब वह अपने भीतर की गहराइयों को देख पाता है।
  3. डर का सामना करना योग है। भय को समझो, उससे भागो नहीं। यही तुम्हारी आंतरिक शक्ति को बढ़ाता है।
  4. कर्म में लीन रहो, मन को विचलित मत होने दो। कर्म करते हुए भी मन को स्थिर रखना सीखो।
  5. स्वयं को स्वीकारो। चुप्पी में जो कुछ भी दिखे, उसे प्रेम से स्वीकारना ही मुक्ति का मार्ग है।

🌊 मन की हलचल

तुम्हारा मन कहता होगा —
"अगर मैं चुप रहूँ तो डर, अकेलापन और अनजानी भावनाएँ मुझे घेर लेंगी। मैं तैयार नहीं हूँ अपने अंदर झांकने के लिए।"
यह स्वाभाविक है, क्योंकि चुप्पी में हम अपने सच से रूबरू होते हैं, जो कभी-कभी डरावना लग सकता है। लेकिन याद रखो, वही सच तुम्हें मजबूत और मुक्त करेगा।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, जब तुम्हें चुप्पी और शांति से डर लगे, तो समझो कि तुम्हारा मन अभी भी बाहर की हलचल में उलझा है। आओ, उस शांति में उतर, जहाँ न कोई भय है, न कोई चिंता। मैं तुम्हारे साथ हूँ। जैसे अंधकार में दीपक जलता है, वैसे ही तुम्हारे भीतर की शांति तुम्हारा मार्गदर्शक है। डर को छोड़ो, प्रेम और विश्वास से उसे गले लगाओ।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक छात्र परीक्षा के बाद पूरी तरह शांत कमरे में बैठा। उसे लगा कि खालीपन और चुप्पी उसे घेर रही है। वह डर गया कि कहीं वह अकेला न हो जाए। तभी उसके शिक्षक ने कहा, "बेटा, यही चुप्पी तुम्हारे भीतर की पुस्तक है, जिसमें तुम्हारे सारे उत्तर छुपे हैं। डरना नहीं, पढ़ना सीखो।"
ठीक वैसे ही, जब तुम अपने मन की चुप्पी को समझोगे, तो तुम्हें अपनी असली ताकत का पता चलेगा।

✨ आज का एक कदम

आज कम से कम 5 मिनट के लिए पूरी चुप्पी में बैठो। अपने सांसों पर ध्यान दो और मन में आने वाले विचारों को बिना रोक-टोक देखो। डर आए तो उसे पहचानो, पर उसके साथ बहो नहीं। बस शांति को महसूस करो।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने भीतर की चुप्पी को मित्र बना सकता हूँ?
  • मुझे इस शांति में कौन-कौन से नए अनुभव हो सकते हैं?

चुप्पी की गोद में, आत्मा का संगीत सुनो
तुम अकेले नहीं हो। शांति तुम्हारे भीतर है, और उससे डरना छोड़कर उसे अपनाना तुम्हारे जीवन का सबसे बड़ा उपहार होगा। मैं तुम्हारे साथ हूँ, कदम-कदम पर।
शुभ हो तुम्हारा यह सफर।

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