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कृष्ण को दुःखहरता क्यों कहा जाता है?

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  • कृष्ण को दुःखहरता क्यों कहा जाता है?

कृष्ण: दुःखों के संहारक, हमारे सच्चे साथी
साधक, जब जीवन के अंधेरों में मन डूबता है, तब कृष्ण का नाम ही वह दीपक होता है जो हमारे भीतर की सारी निराशा और पीड़ा को दूर कर देता है। तुम अकेले नहीं हो, हर उस आत्मा के लिए जो दुःख से घिरी है, कृष्ण हैं दुःखहरता — वे जो हर कष्ट को हर लेते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 18, श्लोक 66
सanskrit:
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥
हिंदी अनुवाद:
सभी धर्मों को त्यागकर केवल मेरी शरण में आओ। मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दूंगा, इसलिए चिंता मत करो।
सरल व्याख्या:
यह भगवान कृष्ण का वचन है कि जब हम पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ उनकी शरण में आते हैं, वे हमारे सारे दुःख, पाप और बाधाओं को दूर कर देते हैं। यही कारण है कि उन्हें दुःखहरता कहा जाता है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  • समर्पण में शक्ति: जब हम अपने दुःख और चिंता को कृष्ण के चरणों में समर्पित करते हैं, तो वे हमारे लिए वह बोझ उठा लेते हैं।
  • अहंकार का त्याग: दुःख का एक बड़ा कारण हमारा अहं और स्वयं पर अत्यधिक निर्भरता है। कृष्ण हमें अहंकार छोड़कर सच्चे आत्मबल से जोड़ते हैं।
  • अटल विश्वास: कृष्ण का वचन है कि वे हर संकट में हमारे साथ हैं, इसलिए हमें विश्वास के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
  • अधर्म से मुक्ति: दुःख अक्सर अधर्म और गलत कर्मों से आता है, कृष्ण हमें सच्चे धर्म और रास्ते पर चलना सिखाते हैं।
  • अंतर्नाद की शांति: कृष्ण की भक्ति से मन को स्थिरता और शांति मिलती है, जो दुःखों का सबसे बड़ा इलाज है।

🌊 मन की हलचल

तुम्हारे मन में सवाल उठते होंगे — "क्यों मैं इतना दुखी हूं? क्या कृष्ण सचमुच मेरी पीड़ा समझते हैं?" यह स्वाभाविक है। याद रखो, कृष्ण जानते हैं तुम्हारे हर अश्रु की गूँज, हर टूटे दिल की पीड़ा। वे तुम्हारे भीतर छिपे उस बच्चे की तरह हैं, जो बस तुम्हारे साथ होना चाहता है, तुम्हें सहारा देना चाहता है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, मैं तुम्हारे हर दुःख को जानता हूँ। जब भी तुम मुझसे जुड़ते हो, मैं तुम्हारे अंदर की सारी निराशा को प्रेम की ज्योति से जला देता हूँ। मुझ पर विश्वास रखो, मैं तुम्हें अकेला नहीं छोड़ूंगा। चलो, मेरे साथ उस अंधकार से बाहर निकलो, जहां तुम्हारा मन फंसा है।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक विद्यार्थी परीक्षा की चिंता से परेशान था। वह अपने गुरु के पास गया और बोला, "गुरुजी, मैं इतना डर रहा हूँ, कहीं मैं फेल न हो जाऊं।" गुरु ने कहा, "तुम्हें चिंता छोड़कर अपने ज्ञान को कृष्ण को समर्पित करना होगा। जब तुम उन्हें याद करोगे, वे तुम्हारे मन की बेचैनी को दूर कर देंगे।" विद्यार्थी ने ऐसा किया और परीक्षा में सफल हुआ। कृष्ण की भक्ति ने उसे दुःख से मुक्त किया।

✨ आज का एक कदम

आज अपने मन के किसी एक दुःख या चिंता को कृष्ण के चरणों में समर्पित करो। एक छोटी प्रार्थना करो — "हे कृष्ण, मेरी पीड़ा को अपने प्रेम में समा लो।" इसे दिल से करो और देखो कैसे तुम्हारे मन में शांति का संचार होता है।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने दुखों को कृष्ण के समर्पित कर रहा हूँ या खुद ही उन्हें संभालने की कोशिश कर रहा हूँ?
  • क्या मैं कृष्ण के प्रेम और संरक्षण में पूरी तरह से विश्वास कर पा रहा हूँ?

तुम्हारा दुःख अब अकेला नहीं रहेगा
जैसे अंधेरे में दीपक की एक किरण होती है, वैसे ही कृष्ण की भक्ति तुम्हारे जीवन की हर कठिनाई को दूर कर सकती है। याद रखो, दुःखहरता कृष्ण हर समय तुम्हारे साथ हैं। उनका प्रेम अनंत है, और उनकी शरण में तुम्हें सच्चा सुख मिलेगा।
शांति और प्रेम के साथ,
तुम्हारा आध्यात्मिक साथी

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