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तमस और रजस के प्रभाव को मन पर कैसे पहचानें?

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अंधकार और बेचैनी के बीच: मन के रंगों को समझना
साधक,
जब मन की गहराइयों में तमस और रजस के प्रभाव छुपे हों, तो उसे पहचानना कभी-कभी कठिन होता है। पर चिंता मत करो, तुम अकेले नहीं हो। हर मन में ये तीन गुण — सत्त्व, रजस और तमस — होते हैं, और इन्हें समझना, अपने मन की प्रकृति को जानना आध्यात्मिक यात्रा का पहला कदम है। चलो, मिलकर इस रहस्य को खोलते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

संसर्गात्सञ्जायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते।
क्रोधाद्भवति संमोहः संमोहात्स्मृतिविभ्रमः॥

(भगवद् गीता 2.62)
हिंदी अनुवाद:
इन्द्रियों के संयोग से काम उत्पन्न होता है, काम से क्रोध जन्म लेता है, क्रोध से भ्रम होता है, और भ्रम से स्मृति का अभाव हो जाता है।
सरल व्याख्या:
जब मन रजस और तमस के प्रभाव में होता है, तब इन्द्रियों के संपर्क से काम (इच्छा) उत्पन्न होता है, जो आगे चलकर क्रोध और भ्रम की स्थिति पैदा करता है। यह मन की अशांत और उलझी हुई स्थिति का सूचक है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. तमस का प्रभाव: आलस्य, उदासीनता, अज्ञानता, और मन का सुस्त पड़ जाना। जब मन सुस्त और निष्क्रिय हो, निर्णय लेने में असमर्थ हो, तब तमस छाया होता है।
  2. रजस का प्रभाव: बेचैनी, चंचलता, लालसा, और अतिव्यस्तता। मन स्थिर नहीं रहता, तृष्णा और चिंता बढ़ जाती है।
  3. सत्त्व का प्रकाश: शांति, स्पष्टता, और स्थिरता। जब मन में सत्त्व बढ़ता है, तो तमस और रजस के प्रभाव कम होते हैं।
  4. अहंकार और असंतोष की पहचान: यदि मन बार-बार असंतुष्ट रहता है, या क्रोध और वासनाओं से ग्रस्त है, तो यह रजस की चेतावनी है।
  5. ध्यान और स्व-अवलोकन: मन की हलचल को पहचानने के लिए ध्यान करना आवश्यक है, जिससे तमस और रजस की जड़ें समझ में आती हैं।

🌊 मन की हलचल

“क्यों मेरा मन इतना बेचैन रहता है? कभी आलस्य छा जाता है, तो कभी बेचैनी और चिंता। मैं स्थिर क्यों नहीं रह पाता? क्या मैं कमजोर हूँ? क्या मैं गलत हूँ?” — ये सवाल तुम्हारे मन की आवाज़ हैं। इन्हें सुनो, उन्हें दबाओ मत। यही तुम्हारा पहला कदम है अपने मन को समझने का।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

“हे प्रिय, जब मन में अंधकार छाए, तो उसे दोष मत दो। यह तुम्हारा स्वभाव नहीं, यह गुणों का खेल है। जैसे दिन के बाद रात आती है, वैसे ही तमस और रजस भी आते हैं। पर याद रखो, तुम सत्त्व के प्रकाश को बढ़ा कर इनसे ऊपर उठ सकते हो। अभ्यास, संयम और जागरूकता से मन को निर्मल करो। मैं तुम्हारे साथ हूँ।”

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक नदी थी, जो कभी शांत बहती थी, कभी उफनाती। नदी के जल में तीन रंग थे — गाढ़ा काला (तमस), लालिमा (रजस), और निर्मल नीला (सत्त्व)। जब बारिश ज़्यादा होती, तो लाल रंग उभर आता, नदी बेचैन हो जाती। जब धूप कम होती, तो काला रंग छा जाता, नदी सुस्त हो जाती। पर जब सूरज चमकता, तो नीला रंग साफ नजर आता। उसी तरह हमारा मन भी इन तीन रंगों से रंगा रहता है। हमें सूरज की तरह अपने भीतर के सत्त्व को जगाना है।

✨ आज का एक कदम

आज 5 मिनट के लिए शांत बैठकर अपनी सांसों को महसूस करो। जब मन में बेचैनी या सुस्ती आए, तो उसे बिना कोई निर्णय दिए बस देखो। यह अभ्यास तुम्हें अपने मन के रजस और तमस को पहचानने में मदद करेगा।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या आज मैंने अपने मन की बेचैनी या सुस्ती को देखा?
  • मैं अपने मन में शांति और स्थिरता कैसे ला सकता हूँ?

🌼 मन के रंगों को जानो, और सत्त्व की ओर बढ़ो
शिष्य, तुम्हारा मन कभी पूर्ण रूप से तमस या रजस में नहीं डूबा रहता। यह केवल क्षणिक अवस्था है। धैर्य रखो, जागरूक रहो, और अपने भीतर के सत्त्व को पोषित करो। यही तुम्हारा सबसे बड़ा बल और शांति है। मैं तुम्हारे साथ हूँ, हर कदम पर।

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