Skip to header Skip to main navigation Skip to main content Skip to footer
Hindi
Gita Answers
Gita Answers
जब जीवन प्रश्न करता है, गीता समाधान देती है

मुख्य नेविगेशन

  • मुख्य पृष्ठ

अपना संदेह पूछें… गीता राह दिखाएगी

ध्यान भटकने से कैसे बचें और ध्यान केंद्रित कैसे रखें?

पग चिन्ह

  • मुख्य पृष्ठ
  • ध्यान भटकने से कैसे बचें और ध्यान केंद्रित कैसे रखें?

मन की नदी को शांत कैसे करें: ध्यान में स्थिरता की ओर पहला कदम
साधक, मैं समझता हूँ कि तुम्हारे मन की दुनिया में विचारों की लहरें इतनी तेज़ हैं कि ध्यान एकटक रखना कठिन हो जाता है। यह स्वाभाविक है, क्योंकि हमारा मन स्वभावतः विचलित होता है। लेकिन चिंता मत करो, हम साथ मिलकर उस मन को एकाग्रता की ओर ले चलेंगे। याद रखो, तुम अकेले नहीं हो, हर साधक इसी संघर्ष से गुजरता है। चलो, गीता के अमृत वचनों से इस यात्रा को सरल बनाते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 6, श्लोक 26
यततात्मानं मनः कृत्वा निःस्पृहं दुष्प्रवृत्तिम्।
वशं नयति बुद्धिं स्वं त्यक्त्वा शरीरस्थं तुयम्॥

हिंदी अनुवाद:
जो व्यक्ति मन को बार-बार अपने नियंत्रण में लाने का प्रयास करता है, और उसे वासनाओं से मुक्त रखता है, वह बुद्धि को अपने वश में कर लेता है।
सरल व्याख्या:
मन को भटकने से रोकना आसान नहीं, लेकिन जो व्यक्ति निरंतर प्रयास करता है, वह धीरे-धीरे अपने मन को नियंत्रित कर सकता है। ध्यान की स्थिरता अभ्यास से आती है, और अभ्यास से ही मन की शक्ति बढ़ती है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. निरंतर अभ्यास ही सफलता की कुंजी है: मन को बार-बार भटकने से पकड़कर वापस लाना ध्यान का मूल मंत्र है। एक दिन में सिद्धि नहीं, पर लगातार प्रयास से मन सदा एकाग्र होता जाएगा।
  2. वासनाओं से दूरी: जब मन किसी बाहरी वस्तु या इच्छा में उलझता है, तो ध्यान भटकता है। इसलिए वासनाओं का त्याग और संयम आवश्यक है।
  3. स्वयं को दोष न दो: मन का भटकना सामान्य है। इसे स्वीकारो और प्रेमपूर्वक पुनः ध्यान की ओर लौटो। आत्म-दया से मन को सहारा दो।
  4. शरीर और मन का सामंजस्य: ध्यान के लिए शरीर को स्थिर रखना और सांसों पर ध्यान केंद्रित करना मन को भी स्थिर करता है।
  5. ईश्वर की शरण: ध्यान में ईश्वर को स्मरण करने से मन को शक्ति और स्थिरता मिलती है।

🌊 मन की हलचल

तुम सोच रहे हो, "मैंने कितनी बार ध्यान करने की कोशिश की, पर मन फिर भी भटकता है। क्या मैं असफल हूँ?" शिष्य, यह मन की स्वाभाविक प्रकृति है। जैसे नदी में बहते हुए पत्थर को पकड़ना आसान नहीं, वैसे ही मन को एक जगह टिकाना भी। पर तुम्हारा प्रयास तुम्हारे भीतर की शक्ति को बढ़ाता है। हर बार जब तुम ध्यान भटकने पर उसे वापस लाते हो, तुम अपने मन को मजबूत बनाते हो।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, मन को नियंत्रित करना युद्ध जितने कठिन है। पर याद रखो, युद्ध जितने के लिए ही योद्धा अभ्यास करता है। तुम भी अपने मन के योद्धा हो। जब भी मन भटके, उसे प्यार से पकड़ो और वापस अपने ध्यान के केंद्र में ले आओ। मैं तुम्हारे साथ हूँ, तुम्हारे हर प्रयास में। धैर्य रखो, सफलता निश्चित है।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

कल्पना करो कि तुम एक छात्र हो जो परीक्षा की तैयारी कर रहा है। तुम्हारे मन में कई विचार आते हैं—दोस्तों से मिलने का मन, मोबाइल की तरफ खिंचाव, टीवी देखने की इच्छा। पर जब तुम बार-बार खुद को याद दिलाते हो कि "अब पढ़ाई का समय है," और फिर से किताब खोलते हो, तो तुम्हारा मन भी धीरे-धीरे स्थिर होता है। ध्यान भी ऐसा ही है—थोड़ी-थोड़ी देर में भटकना सामान्य है, लेकिन बार-बार वापस लौटना ही सफलता है।

✨ आज का एक कदम

आज ध्यान करते समय अपने सांसों की गहराई पर ध्यान दो। जब भी मन भटके, बिना क्रोध या निराशा के, धीरे से सांसों पर ध्यान वापस लाओ। इसे कम से कम पाँच बार दोहराओ। इस अभ्यास से मन की एकाग्रता बढ़ेगी।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने मन के भटकने को स्वाभाविक मानकर उसे प्रेमपूर्वक नियंत्रित कर पा रहा हूँ?
  • क्या मैं निरंतर अभ्यास के महत्व को समझता हूँ और धैर्य रख पा रहा हूँ?

🌼 मन की शांति की ओर, एक कदम और
साधक, याद रखो, मन को स्थिर करना एक यात्रा है, मंज़िल नहीं। हर दिन तुम्हारा प्रयास तुम्हें उस शांति के करीब ले जाता है, जो तुम्हारे भीतर सदैव विद्यमान है। अपने मन को प्रेम और धैर्य से देखो, क्योंकि वही तुम्हारा सबसे बड़ा साथी है। तुम अकेले नहीं हो, मैं तुम्हारे साथ हूँ। चलो, इस यात्रा को साथ में जारी रखें।

Footer menu

  • संपर्क

Copyright © 2025 Gita Answers - All rights reserved

Gita Answers Gita Answers