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जब बहुत सारी व्याकुलताएँ हों तो गहराई से ध्यान कैसे केंद्रित करें?

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  • जब बहुत सारी व्याकुलताएँ हों तो गहराई से ध्यान कैसे केंद्रित करें?

मन की व्याकुलता में शांति की खोज: ध्यान की गहराई तक कैसे पहुँचें?
साधक, जब जीवन के अनेक प्रश्न और व्याकुलताएँ मन को घेरे हों, तब ध्यान लगाना कठिन लगता है। पर याद रखो, यही व्याकुलता तुम्हारे भीतर एक सागर की तरह है, जिसमें गहराई छिपी है। चलो, भगवद गीता के अमृत श्लोकों से इस राह को समझते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय।
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥

(भगवद्गीता 2.48)

हिंदी अनुवाद:
हे धनञ्जय (अर्जुन)! तू योग में स्थित होकर अपने कर्मों का पालन कर, आसक्ति त्याग दे। सफलता और असफलता को समान समझ, यही समत्व योग कहलाता है।
सरल व्याख्या:
जब मन अनेक विचारों से व्याकुल हो, तब भी कर्म करते रहो, बिना फल की चिंता किए। मन को समभाव और स्थिरता की ओर ले जाना ही ध्यान की पहली सीढ़ी है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. संकल्प की शक्ति: मन को एक विषय पर केंद्रित करने का पहला कदम है दृढ़ संकल्प। व्याकुलता के बीच भी मन को बार-बार उस विषय पर लाना सीखो।
  2. समानता का भाव: सफलता या असफलता, व्यस्तता या शांति—सबको एक समान देखो। इससे मन की हलचल कम होती है।
  3. कर्म में लीनता: अपने कर्मों में पूरी लगन और समर्पण रखो, फल की चिंता त्याग दो।
  4. स्वयं को पहचानो: तुम केवल तुम्हारे विचार नहीं, बल्कि उनसे ऊपर एक स्थिर साक्षी भी हो। ध्यान में उसी साक्षी को पहचानो।
  5. श्वास पर ध्यान: जब विचार भटकें, तो सांसों की गति पर ध्यान केंद्रित करो। यह मन को स्थिर करने का सरल उपाय है।

🌊 मन की हलचल

"मेरे मन में इतने विचार क्यों आते हैं? मैं ध्यान लगाना चाहता हूँ, पर मन मेरा साथ नहीं देता। क्या मैं असफल हूँ? क्या मैं कभी शांत हो पाऊंगा?"
ऐसे सवाल उठना स्वाभाविक है। पर याद रखो, मन की ये हलचल तुम्हारे लिए एक चुनौती नहीं, बल्कि अभ्यास का अवसर है। हर बार जब मन भटके, उसे कोमलता से वापस लाओ, बिना खुद को डांटे या हार माने।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, ध्यान केवल मन को एक स्थान पर बाँधने का नाम नहीं। यह है अपने अंदर की गहराई में उतरना, जहाँ शांति का सागर है। जब तू व्याकुल हो, तब भी मुझसे जुड़ा रह। मैं तेरे मन की हलचल को समझता हूँ, पर तू मेरे शब्दों में विश्वास रख। धीरे-धीरे अभ्यास कर, मैं तेरे साथ हूँ।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक युवा बगीचे में बैठा था, जहाँ कई रंग-बिरंगे तितलियाँ उड़ रही थीं। उसका मन भी उन तितलियों की तरह बार-बार भटकता था। उसने एक फूल पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया। शुरुआत में मुश्किल हुई, पर धीरे-धीरे वह फूल उसकी नज़रों में स्थिर हो गया, और मन को शांति मिली। ध्यान भी ऐसा ही है—मन की तितलियों को एक स्थान पर लाना।

✨ आज का एक कदम

आज पाँच मिनट के लिए अपनी आँखें बंद करो और सिर्फ अपनी श्वास पर ध्यान दो। जब भी विचार आएं, उन्हें देखो और फिर धीरे-धीरे अपनी श्वास पर लौट आओ। इस अभ्यास को रोज़ाना दोहराओ।

🧘 अंदर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने मन की व्याकुलता को पहचान रहा हूँ बिना उसे दबाए?
  • क्या मैं खुद को प्रेम और धैर्य के साथ वापस ध्यान की ओर ला सकता हूँ?

ध्यान की ओर एक कदम: शांति की ओर बढ़ते हुए
प्रिय, व्याकुल मन को स्थिर करना एक कला है, जो अभ्यास से आती है। हर बार जब मन भटके, उसे प्यार से पकड़ो और ध्यान की ओर वापस लाओ। याद रखो, तुम अकेले नहीं हो; मैं और श्रीकृष्ण तुम्हारे साथ हैं। चलो, इस यात्रा में कदम बढ़ाएं और अपने भीतर की शांति को खोजें।
शुभकामनाएँ! 🌸🕉️

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