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जब जीवन प्रश्न करता है, गीता समाधान देती है

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अपना संदेह पूछें… गीता राह दिखाएगी

अगर मुझे अपने पिछले करियर के फैसलों पर पछतावा हो तो क्या करूँ?

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  • अगर मुझे अपने पिछले करियर के फैसलों पर पछतावा हो तो क्या करूँ?

नया आरंभ: पिछली गलतियों से मत घबराओ
साधक,
तुम्हारे मन में जो पछतावा है, वह मानवीय है। हर व्यक्ति जीवन में कभी न कभी अपने फैसलों पर विचार करता है और कभी-कभी पछताता भी है। यह तुम्हारी संवेदनशीलता और आत्म-जागरूकता को दर्शाता है। लेकिन याद रखो, पछतावा एक ऐसा बोझ है जो वर्तमान को अंधकारमय कर देता है। चलो, भगवद गीता के दिव्य प्रकाश से इस उलझन को दूर करते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 47
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
हिंदी अनुवाद:
तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फलों में कभी नहीं। इसलिए कर्म के फल की इच्छा मत करो और न ही कर्म न करने में आसक्त हो जाओ।
सरल व्याख्या:
तुम्हें केवल अपने कर्म करने का अधिकार है, न कि उसके परिणामों का। जो बीत गया उसे बदलना संभव नहीं, परंतु जो आज है उसे सही दिशा में ले जाना तुम्हारे हाथ में है। इसलिए अपने पुराने फैसलों के फल को लेकर दुखी मत हो, बल्कि वर्तमान कर्म पर ध्यान दो।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  • भूतकाल को स्वीकारो, लेकिन उसमें मत फंसो। जीवन की हर घटना तुम्हें कुछ सिखाती है।
  • कर्म पर ध्यान केंद्रित करो, फल की चिंता छोड़ो। सफलता या असफलता से ज्यादा महत्वपूर्ण है तुम्हारा प्रयास।
  • स्वयं को दोष देने की बजाय सीखो। पछतावा एक संकेत है कि तुम्हें बेहतर बनना है।
  • अहंकार को त्यागो, क्योंकि वह तुम्हें अंधा कर देता है। अपने अनुभवों को विनम्रता से स्वीकारो।
  • आत्म-स्वीकृति से ही आगे बढ़ने की शक्ति मिलती है। खुद को प्रेम करो, जैसे कृष्ण ने अर्जुन से कहा।

🌊 मन की हलचल

"मैंने इतना समय गंवा दिया, क्या मैं अब सफल हो पाऊंगा?"
"अगर मैं फिर से शुरू करूं तो लोग क्या कहेंगे?"
"क्या मेरी मेहनत व्यर्थ जाएगी?"
प्रिय, ये विचार स्वाभाविक हैं। लेकिन याद रखो, मन की ये हलचल तुम्हें कमजोर नहीं बल्कि मजबूत बनाती है, जब तुम उसे समझकर आगे बढ़ते हो।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे अर्जुन, जो बीत गया उसे मत सोचो। तुम्हारा धर्म है कर्म करना, बिना फल की चिंता किए। तुम्हारे कर्म ही तुम्हारा भविष्य बनाते हैं। उठो, और अपने वर्तमान कर्म को पूरी निष्ठा से करो। मैं तुम्हारे साथ हूँ।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक छात्र ने परीक्षा में खराब अंक पाए। वह बहुत दुखी हुआ और अपने पिछले पढ़ाई के तरीके पर पछतावा करने लगा। लेकिन उसके गुरु ने कहा, "देखो, अब जो समय है, उसे कैसे बेहतर बनाओ। पिछली गलतियों से सीखो और आगे बढ़ो।" छात्र ने मेहनत की और अगली परीक्षा में उत्कृष्ट अंक प्राप्त किए।
यह जीवन का नियम है — पिछली गलती को स्वीकारो, लेकिन उसे अपने भविष्य की सीमा मत बनाओ।

✨ आज का एक कदम

आज एक कागज पर अपने पिछले फैसलों की एक सूची बनाओ। हर फैसले के साथ लिखो कि उससे तुमने क्या सीखा। फिर उस कागज को ध्यान से पढ़ो और समझो कि ये अनुभव तुम्हारे लिए कितने कीमती हैं।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने पिछले फैसलों को स्वीकार कर सकता हूँ बिना खुद को दोष दिए?
  • मैं आज क्या नया कदम उठा सकता हूँ जो मेरे भविष्य को बेहतर बनाए?

चलो आगे बढ़ें: पछतावे से परे, संभावनाओं की ओर
तुम अकेले नहीं हो, हर व्यक्ति जीवन में कभी न कभी इस भाव से गुजरता है। याद रखो, जीवन की सबसे बड़ी खूबसूरती यह है कि हर क्षण नया अवसर लेकर आता है। अपने दिल को खोलो, अपने कर्म को सच्चाई से करो, और विश्वास रखो कि तुम्हारा भविष्य उज्जवल है। मैं तुम्हारे साथ हूँ।

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