Skip to header Skip to main navigation Skip to main content Skip to footer
Hindi
Gita Answers
Gita Answers
जब जीवन प्रश्न करता है, गीता समाधान देती है

मुख्य नेविगेशन

  • मुख्य पृष्ठ

अपना संदेह पूछें… गीता राह दिखाएगी

कृष्ण का प्रेम और वासना पर क्या पाठ है?

पग चिन्ह

  • मुख्य पृष्ठ
  • कृष्ण का प्रेम और वासना पर क्या पाठ है?

प्रेम और वासना: कृष्ण की दृष्टि से समझना
प्रिय मित्र,
जब हम प्रेम और वासना की बात करते हैं, तो यह हमारे मन के सबसे गहरे और जटिल भावों से जुड़ा होता है। यह दोनों भाव अक्सर भ्रमित करते हैं, और हमें यह समझना कठिन होता है कि असली प्रेम क्या है और वासना कहाँ समाप्त होती है। कृष्ण, जो प्रेम के परम स्वरूप हैं, हमें इस जाल से बाहर निकालने का दिव्य मार्ग दिखाते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

श्लोक:
अध्याय 3, श्लोक 39
संस्कृत:
काम एष क्रोध एष रजोगुणसमुद्भवः।
महाशनो महापाप्मा विद्ध्येनमिह वैरिणम्॥
हिंदी अनुवाद:
काम (वासना) और क्रोध (क्रोध) रजोगुण से उत्पन्न होते हैं। ये महान भक्षक और बड़े पाप के कारण हैं, इन्हें इस संसार में अपना शत्रु समझो।
सरल व्याख्या:
वासना और क्रोध हमारे भीतर की अशुद्ध इच्छाएँ हैं, जो हमें भ्रमित और दुखी करती हैं। ये रजोगुण की विशेषताएँ हैं, जो हमें बांधती हैं। कृष्ण हमें चेतावनी देते हैं कि इन्हें अपने शत्रु समझें और उनसे बचें।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. वासना और प्रेम का अंतर समझो: प्रेम शुद्ध और निःस्वार्थ होता है, जबकि वासना स्वार्थी और अस्थायी।
  2. मन को नियंत्रित करो: वासना मन का भ्रम है, इसे संयमित कर प्रेम की ओर बढ़ो।
  3. रजोगुण से ऊपर उठो: जब मन रजोगुण (वासना, क्रोध) से मुक्त होता है, तब प्रेम की सच्ची अनुभूति होती है।
  4. कर्म योग अपनाओ: अपने कर्तव्यों में लीन रहो, बिना फल की इच्छा के कार्य करो, इससे मन की वासना कम होती है।
  5. भक्ति और ज्ञान से प्रेम बढ़ाओ: भक्ति और ज्ञान से मन निर्मल होता है, और प्रेम की गहराई बढ़ती है।

🌊 मन की हलचल

"मेरा दिल कहता है कि मैं प्रेम कर रहा हूँ, पर कहीं न कहीं यह वासना तो नहीं? मैं कैसे जानूं कि मेरा प्रेम सच्चा है या केवल आकर्षण? क्या मैं अपने मन को काबू कर पाऊंगा? यह उलझन मुझे बेचैन करती है।"

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, प्रेम वह है जो समर्पण से भरा हो, जिसमें स्वार्थ न हो। वासना केवल एक आग है जो जलाती है, लेकिन प्रेम वह अमृत है जो जीवन को मधुर बनाता है। अपने मन को समझो, उसे संयमित करो, और सच्चे प्रेम की ओर बढ़ो। मैं तुम्हारे साथ हूँ, तुम्हें सही मार्ग दिखाने के लिए।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक विद्यार्थी ने गुरु से पूछा, "गुरुजी, प्रेम और वासना में क्या फर्क है?" गुरु ने एक दीपक जलाया और कहा, "देखो, यह दीपक प्रेम है, जो स्थायी प्रकाश देता है। अब मैं इसमें कुछ तेल डालता हूँ, वह है वासना, जो जलती है लेकिन जल्दी बुझ जाती है और धुआं छोड़ती है। असली प्रेम वह है जो बिना किसी स्वार्थ के जलता रहे, वासना केवल क्षणिक जलन है।"

✨ आज का एक कदम

आज अपने मन में आई किसी भी वासना या अस्थायी इच्छा को पहचानो और उससे एक कदम पीछे हटकर देखो। यह अभ्यास तुम्हें अपने मन को समझने और नियंत्रित करने में मदद करेगा।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मेरा प्रेम स्वार्थ से मुक्त है?
  • क्या मैं अपनी वासना को समझकर उसे नियंत्रित कर सकता हूँ?

प्रेम की ओर पहला कदम
तुम अकेले नहीं हो। कृष्ण का प्रेम और ज्ञान तुम्हारे भीतर है। बस अपने मन को समझो, संयमित करो और प्रेम के सच्चे स्वरूप को अपनाओ। यही जीवन का सबसे बड़ा उपहार है।
शांति और प्रेम के साथ,
आपका आत्मीय गुरु

Footer menu

  • संपर्क

Copyright © 2025 Gita Answers - All rights reserved

Gita Answers Gita Answers