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अपना संदेह पूछें… गीता राह दिखाएगी

हम जिन लोगों से प्यार करते हैं, वे हमें सबसे ज्यादा क्यों चोट पहुँचाते हैं?

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  • हम जिन लोगों से प्यार करते हैं, वे हमें सबसे ज्यादा क्यों चोट पहुँचाते हैं?

जब प्यार की छाँव में दर्द भी खिल उठता है
प्रिय मित्र, यह सवाल हमारे दिल की गहराई से उठता है — जब वही लोग, जिनसे हम सबसे अधिक प्रेम करते हैं, हमें चोट पहुँचाते हैं, तो मन टूट सा जाता है। यह अनुभव बहुत सामान्य है, और इसका अर्थ यह नहीं कि प्यार कमज़ोर है, बल्कि यह दर्शाता है कि हमारा दिल कितना संवेदनशील और खुला है। चलिए, हम इस उलझन को भगवद गीता की अमूल्य सीखों से समझने की कोशिश करते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 14
मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदु:खदा:।
आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत।।
हिंदी अनुवाद:
हे कांतिदेव (अर्जुन), ये सुख-दुख, गर्मी-ठंड जैसे शरीर के स्पर्श मात्र से उत्पन्न होने वाले क्षणिक अनुभव हैं। ये सब अस्थायी हैं, इसलिए हे भारत (अर्जुन), तुम इन्हें धीरज से सहो।
सरल व्याख्या:
हमारे संबंधों में जो दर्द और सुख आता है, वह क्षणिक और अस्थायी है। जैसे मौसम बदलते हैं, वैसे ही भावनाएँ भी आती-जाती रहती हैं। हमें उन्हें सहन करने का धैर्य रखना चाहिए।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. प्यार में संवेदनशीलता का अर्थ है खुलापन: जब हम किसी से प्यार करते हैं, तो अपने मन को खोल देते हैं। इसलिए चोट लगना स्वाभाविक है, क्योंकि दिल की दीवारें कमज़ोर होती हैं।
  2. दर्द भी एक शिक्षक है: वह हमें अपने और दूसरों के स्वभाव को समझने का अवसर देता है, जिससे हम और अधिक समझदार बनते हैं।
  3. अस्थिर भावनाओं को स्वीकारो: गीता सिखाती है कि सुख-दुख, प्रेम-पीड़ा जीवन के दो पहलू हैं। उन्हें स्वीकार करना ही मानसिक शांति की कुंजी है।
  4. स्वयं पर नियंत्रण: हमें अपने मन को स्थिर रखना चाहिए, न कि दूसरों की हर प्रतिक्रिया पर प्रतिक्रिया देना।
  5. स्नेह और क्षमा: जो हमें चोट पहुँचाते हैं, वे भी अपने संघर्षों में होते हैं। प्रेम से क्षमा करना, हमारे दिल को मुक्त करता है।

🌊 मन की हलचल

"मैंने तो उनका दिल जितने की कोशिश की, फिर भी वे मुझे क्यों चोट पहुँचाते हैं? क्या मैं गलत हूँ? क्या मेरा प्यार कमज़ोर है? क्या मैं अकेला हूँ इस दर्द में?"
ऐसे सवाल उठना स्वाभाविक है। पर याद रखो, यह दर्द तुम्हारे प्यार की गहराई का प्रमाण है। यह तुम्हारे मन की संवेदनशीलता का परिचायक है। इसे अपने ऊपर भारी मत होने दो।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे साधक, जब तुम प्रेम करते हो, तब तुम्हारा मन खुल जाता है। परंतु यह मत भूलो कि हर मनुष्य की अपनी सीमाएँ और कमजोरियाँ होती हैं। वे भी अपने अंदर संघर्ष करते हैं। इसलिए उनके कर्मों को अपने मन पर भारी मत होने दो। प्रेम और क्षमा से अपने मन को मुक्त रखो। यही सच्चा बल है।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक छात्र अपने गुरु से बोला, "गुरुजी, मैं अपने सबसे अच्छे दोस्त से बहुत प्यार करता हूँ, पर वह मुझे बार-बार चोट पहुँचाता है। मैं क्यों सहूँ?" गुरु ने एक पेड़ की तरफ इशारा किया, "देखो, जब पेड़ अपने फल देता है, तो कभी-कभी उसकी शाखाएँ टूट जाती हैं। पर फल मीठा होता है और पेड़ मजबूत रहता है। रिश्तों में भी ऐसा ही होता है। चोटें आती हैं, पर वे हमें और मजबूत बनाती हैं।"

✨ आज का एक कदम

आज अपने दिल को थोड़ा आराम दो। किसी प्रिय व्यक्ति के लिए बिना किसी अपेक्षा के केवल प्रेम भेजो। चाहे वह तुम्हें समझे या न समझे, प्रेम की ऊर्जा तुम्हें शांति देगी।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने प्रेम में धैर्य और क्षमा का स्थान दे पा रहा हूँ?
  • क्या मैं अपने दिल की संवेदनशीलता को कमजोरी मान रहा हूँ या उसे अपनी ताकत समझ रहा हूँ?

🌼 प्यार के साथ, दर्द भी है — पर तुम अकेले नहीं हो
याद रखो, जो तुम्हें सबसे अधिक चोट पहुँचाते हैं, वे तुम्हारे सबसे करीबी हैं। यह इस बात का संकेत है कि तुम्हारा दिल कितना बड़ा और खुला है। इस प्यार को समझो, स्वीकारो, और अपने भीतर की शांति को खोजो। मैं तुम्हारे साथ हूँ, तुम्हारा मार्गदर्शन करता रहूँगा। प्रेम और धैर्य से तुम इस अनुभव को पार कर जाओगे।
शांति और प्रेम के साथ। 🙏

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