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हम अपने प्रियजनों को खोने से क्यों डरते हैं?

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  • हम अपने प्रियजनों को खोने से क्यों डरते हैं?

जब दिल टूटने का डर छा जाए: प्रियजनों को खोने का भय
प्रिय मित्र, यह डर तुम्हारे भीतर एक गहरी मानवीय भावना की अभिव्यक्ति है। हम सब अपने प्रियजनों से जुड़े होते हैं, उनकी हंसी, उनकी मौजूदगी, और उनके साथ बिताए पलों से हमारा मन जुड़ा होता है। इसलिए, खो देने का भय स्वाभाविक है। आइए, भगवद गीता की दिव्य शिक्षाओं के माध्यम से इस भय को समझें और उसे पार करने का मार्ग खोजें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः॥

(अध्याय 2, श्लोक 23)

हिंदी अनुवाद:
यह आत्मा न तो तलवारों से कटती है, न अग्नि उसे जलाती है, न जल उसे भिगोता है, न वायु उसे सुखाता है।
सरल व्याख्या:
हमारा असली स्वभाव, जो आत्मा है, वह जन्म-मरण, सुख-दुख से परे है। वह नष्ट नहीं होती। इसलिए, जो प्रियजन हमसे शारीरिक रूप से अलग हो जाते हैं, उनकी आत्मा अमर है। हमें उनके साथ जुड़े रहने का तरीका बदलना होगा।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. स्वयं को आत्मा के रूप में जानो: प्रियजनों का शरीर बदल सकता है, पर आत्मा अमर है। यह समझना भय को कम करता है।
  2. अनित्य को स्वीकार करो: संसार की हर वस्तु परिवर्तनशील है, इसे स्वीकार करना जीवन का सत्य है।
  3. भावनाओं को नियंत्रित करो: प्रेम का अर्थ केवल पकड़ना नहीं, बल्कि समझदारी और स्वीकार्यता भी है।
  4. ध्यान और योग से मन को स्थिर करो: मन की हलचल से दूर रहकर, प्रेम को शुद्ध और स्थायी बनाओ।
  5. सर्वत्र परमात्मा का दर्शन करो: हर प्राणी में ईश्वर का अंश है, इसलिए संबंधों को दिव्य दृष्टि से देखो।

🌊 मन की हलचल

तुम्हारे मन में यह सवाल उठता होगा — "अगर मैं उन्हें खो दूं तो क्या होगा? क्या मैं अकेला रह जाऊंगा? क्या मेरा जीवन अधूरा हो जाएगा?" यह भय, असुरक्षा की भावना है जो हर दिल में होती है। पर याद रखो, डर से भागने से समाधान नहीं मिलता, उसे समझना और उससे सीखना ही सच्चा साहस है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे साधक, जो तुम प्रेम करते हो, वह तुम्हारा ही अंश है। उनका शरीर चाहे बदल जाए, पर उनका प्रेम, उनकी आत्मा तुम्हारे साथ सदैव है। तुम्हारा कर्तव्य है उन्हें अपने हृदय में सम्मान और श्रद्धा से रखना, न कि केवल बाहरी रूप से। जब तुम इस सत्य को समझोगे, तो भय अपने आप दूर हो जाएगा।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक नदी के किनारे दो मित्र बैठकर बातें कर रहे थे। नदी के पार एक सुंदर फूल खिल रहा था। एक मित्र बोला, "अगर यह फूल नदी पार कर के हम तक न आ पाए तो?" दूसरा मुस्कुराया और बोला, "फूल चाहे यहाँ हो या वहां, उसकी खुशबू तो हवा के साथ मेरे दिल तक आती है। मैं उसे महसूस करता हूँ, खोने का डर नहीं।" उसी तरह, प्रियजनों का प्रेम भी हमारे दिलों में खुशबू की तरह है, जो दूर होकर भी महसूस होती रहती है।

✨ आज का एक कदम

आज अपने प्रियजनों के लिए एक छोटी सी प्रार्थना करो — उनके लिए शुभकामनाएं भेजो, चाहे वे पास हों या दूर। अपने मन को यह विश्वास दो कि उनका प्रेम हमेशा तुम्हारे साथ है।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने प्रेम को केवल बाहरी रूप से जोड़कर रख रहा हूँ, या उसकी आत्मा को भी समझ रहा हूँ?
  • क्या मैं अपने मन के भय को प्रेम से बदलने के लिए तैयार हूँ?

🌼 प्रेम की गहराई में डूबो, भय को मुक्त करो
प्रिय, याद रखो कि प्रेम और भय दो पहलू हैं। जैसे ही तुम प्रेम की गहराई में उतरोगे, भय अपने आप कम हो जाएगा। तुम्हारा दिल मजबूत होगा और जीवन की अनिश्चितताओं को स्वीकार करने का साहस मिलेगा। तुम अकेले नहीं हो, मैं तुम्हारे साथ हूँ। चलो, प्रेम के इस सुंदर सफर को साथ मिलकर आगे बढ़ाएं।

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