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गीता का आलस्य या सुस्ती को तोड़ने का दृष्टिकोण क्या है?

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आलस्य की बेड़ियाँ तोड़ो — गीता से जागो!
प्रिय शिष्य, जब मन में सुस्ती और आलस्य की छाया गहराती है, तब यह समझना जरूरी है कि यह केवल एक क्षणिक अवस्था नहीं, बल्कि आत्मा के विकास में एक बाधा है। पर चिंता मत करो, तुम अकेले नहीं हो। हर व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी आलस्य आता है, लेकिन गीता हमें सिखाती है कि कैसे उससे ऊपर उठकर कर्म और जागरूकता के मार्ग पर चलना है।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 3, श्लोक 8
नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मणः |
शरीरयात्रापि च ते न प्रसिद्ध्येदकर्मणः ||

हिंदी अनुवाद:
हे अर्जुन! तुम्हें निश्चित रूप से कर्म करते रहना चाहिए क्योंकि कर्म करना अकर्म से श्रेष्ठ है। शरीर की रक्षा के लिए भी तुम्हें कर्म करना आवश्यक है; निष्क्रियता से तुम्हारी प्रतिष्ठा नहीं बढ़ेगी।
सरल व्याख्या:
यह श्लोक हमें बताता है कि निरंतर कर्म करना जीवन का आधार है। आलस्य और सुस्ती से बचने का सबसे सरल उपाय है—सतत कर्मशील रहना। निष्क्रियता से न केवल शरीर कमजोर होता है, बल्कि मन भी जड़ हो जाता है।

🪬 गीता की दृष्टि से आलस्य तोड़ने के सूत्र

  1. नियत कर्म का पालन करें — नियमित रूप से अपने कर्तव्यों को निभाना आलस्य को दूर भगाता है।
  2. मन को एकाग्र करें — ध्यान और संयम से मन की उथल-पुथल कम होती है।
  3. परिणाम की चिंता त्यागें — कर्म करते रहो, फल की चिंता मत करो, इससे मन हल्का और सक्रिय रहेगा।
  4. स्वयं को जानो — आत्मा अजर-अमर है, शरीर और मन की कमजोरी क्षणिक है। इसे समझना उत्साह बढ़ाता है।
  5. सकारात्मक संगति अपनाओ — अच्छे मित्र और गुरु की संगति से आलस्य दूर होता है।

🌊 मन की हलचल

शायद तुम्हारे मन में यह आवाज़ उठ रही है — "आज थकान ज्यादा है, कल से शुरू करता हूँ।" या "इतना काम है, पर मन नहीं लग रहा।" यह स्वाभाविक है। पर याद रखो, आलस्य का बहाना केवल मन की कमजोरी है, जो तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य से दूर ले जाता है। उस आवाज़ को पहचानो, फिर भी कर्म की ओर कदम बढ़ाओ।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय अर्जुन, मैं जानता हूँ कि आलस्य की चादर तुम्हारे ऊपर भारी लग रही है, पर याद रखो, तुम कर्मयोगी हो। कर्म करो, चाहे मन न लगे। कर्म ही तुम्हें मुक्त करेगा। आलस्य को अपने ऊपर हावी मत होने दो। उठो, जागो और कर्म करो, क्योंकि यही तुम्हारा धर्म है।"

🌱 एक छोटी सी कहानी

एक बार एक किसान था, जो फसल बोने में आलसी था। उसने सोचा, "कल से मेहनत करता हूँ।" पर कल कभी आया नहीं। फसल बिना देखभाल के खराब हो गई। किसान ने सीखा कि आलस्य से कुछ भी हासिल नहीं होता। ठीक वैसे ही, जीवन में भी कर्म को टालना नुकसानदेह है।

✨ आज का एक कदम

आज एक छोटा कार्य चुनो, जो तुम टाल रहे हो, और उसे पूरा करो। चाहे वह १० मिनट का हो, पर पूरा ध्यान और लगन से करो। इस छोटे से कदम से तुम्हारे मन में कर्म करने का उत्साह जागेगा।

🧘 अंदर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने आलस्य के पीछे छुपे कारणों को समझ पा रहा हूँ?
  • आज मैं किस छोटे से कर्म से अपने मन को सक्रिय कर सकता हूँ?

आलस्य से जीत की ओर — तुम सक्षम हो!
याद रखो, आलस्य तुम्हारा दुश्मन है, पर तुम उससे बड़ा हो। गीता का ज्ञान तुम्हारे भीतर शक्ति और उत्साह भरता है। हर दिन एक नई शुरुआत है। उठो, जागो और अपने कर्मों से जीवन को सार्थक बनाओ। मैं तुम्हारे साथ हूँ।
शुभकामनाएँ! 🌸

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