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अनुशासन का उपयोग करके भोजन या चीनी की लालसा को कैसे दूर करें?

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  • अनुशासन का उपयोग करके भोजन या चीनी की लालसा को कैसे दूर करें?

आत्मसंयम की ओर पहला कदम: लालसा पर विजय
साधक, यह समझना ही आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत है कि हमारी इच्छाएँ और लालसाएँ हमारे मन की अस्थिरता का प्रतिबिंब हैं। भोजन या चीनी की तीव्र लालसा भी उसी मन की हलचल का हिस्सा है। तुम अकेले नहीं हो, यह संघर्ष हर मानव के जीवन में आता है। आइए, गीता के शाश्वत प्रकाश में इस समस्या का समाधान खोजें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

श्लोक:
योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय |
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते ||

(भगवद्गीता 2.48)
हिंदी अनुवाद:
हे धनञ्जय (अर्जुन), समभाव से युक्त होकर, अपने कर्म करो, आसक्ति को त्याग दो। सफलता और असफलता में समान रहो, यही योग कहलाता है।
सरल व्याख्या:
जब तुम अपने कर्म करते हो, तो फल की चिंता या लालसा छोड़ दो। न तो सफलता की लालसा और न ही असफलता का भय। इसी समभाव में मन स्थिर होता है और इच्छाएँ कमज़ोर पड़ती हैं।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. लालसा और आसक्ति में अंतर समझो: लालसा अस्थायी है, आसक्ति स्थायी बंधन। भोजन या चीनी की लालसा को पहचानो, पर उससे आसक्ति मत बनाओ।
  2. मन को कर्म में लगाओ: जब मन व्यस्त और संतुलित रहता है, तो लालसा कमजोर पड़ती है। अपने दैनिक कार्यों में पूरी लगन से जुटो।
  3. स्वयं पर संयम का अभ्यास करो: अनुशासन कोई कठोरता नहीं, बल्कि आत्मा की आज़ादी है। छोटे-छोटे कदमों से संयम विकसित करो।
  4. समत्व भाव अपनाओ: न लालसा को बढ़ावा दो, न उसे दबाओ। उसे स्वीकार करो और धीरे-धीरे उसे अपनी ओर से दूर होने दो।
  5. ध्यान और प्राणायाम से मन को शुद्ध करो: जब मन शांत होता है, तो इच्छाएँ अपने आप कम होती हैं।

🌊 मन की हलचल

"मैं क्यों बार-बार चीनी खाने को मजबूर महसूस करता हूँ? क्या मैं कमजोर हूँ? क्या मैं कभी इस लालसा से मुक्त हो पाऊंगा?" ये विचार तुम्हारे मन में आते हैं, और यही संघर्ष तुम्हें थकाता है। याद रखो, यह लड़ाई तुम्हारे भीतर की अस्थिरता से है, और हर दिन एक नया अवसर है इसे जीतने का।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, अपनी इच्छाओं को अपने मन के गुलाम मत बनने दो। जैसे नदी अपने प्रवाह को नियंत्रित कर सकती है, वैसे ही तुम भी अपने मन की लालसाओं को नियंत्रित कर सकते हो। अपने कर्मों में निष्ठा रखो, फल की चिंता छोड़ दो, और धीरे-धीरे संयम की शक्ति तुम्हें अपनी ओर खींचेगी। याद रखो, मैं सदैव तुम्हारे साथ हूँ।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक विद्यार्थी था जो परीक्षा की तैयारी में था। वह मिठाई खाना बहुत पसंद करता था और जब भी तनाव होता, मिठाई खाने की इच्छा बढ़ जाती। उसने सोचा, "अगर मैं मिठाई खाऊंगा तो मन शांत होगा।" लेकिन जब उसने ध्यान लगाया और पढ़ाई में मन लगाया, तो धीरे-धीरे उसकी मिठाई की लालसा कम होने लगी। उसने छोटे-छोटे कदम उठाए — मिठाई की जगह फल खाना शुरू किया और अपने मन को व्यस्त रखा। परीक्षा में सफलता मिली, और उसने जाना कि संयम से मन की इच्छाएँ नियंत्रित हो सकती हैं।

✨ आज का एक कदम

आज के दिन, जब भी चीनी या भोजन की तीव्र लालसा हो, एक गहरी सांस लो, दस तक गिनती करो और फिर थोड़ा पानी पियो। इस छोटे से अभ्यास से तुम्हारा मन उस लालसा से थोड़ा दूर हो जाएगा।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपनी लालसाओं को अपने मन की अस्थिरता के रूप में देख सकता हूँ, न कि अपनी कमजोरी के रूप में?
  • क्या मैं आज एक छोटा कदम उठाकर अपने मन को संयमित करने का प्रयास कर सकता हूँ?

संयम की ओर बढ़ता हर कदम है विजय
साधक, याद रखो, हर दिन अनुशासन की एक छोटी सी जीत तुम्हें उस स्वाधीनता की ओर ले जाती है जहाँ तुम अपनी इच्छाओं के स्वामी बन जाते हो। मैं तुम्हारे साथ हूँ, तुम्हारे भीतर की शक्ति जागृत हो रही है। धैर्य रखो, प्रेम रखो, और आगे बढ़ो।
शुभकामनाएँ और प्रेम सहित। 🌸🙏

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