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स्कूल/कॉलेज में नकारात्मक प्रभावों से कैसे बचें?

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  • स्कूल/कॉलेज में नकारात्मक प्रभावों से कैसे बचें?

नकारात्मकता की छाया से निकलकर उज्जवल भविष्य की ओर
प्रिय युवा मित्र,
स्कूल या कॉलेज में नकारात्मक प्रभावों का सामना करना स्वाभाविक है, पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर छात्र-युवक के जीवन में ऐसी चुनौतियाँ आती हैं, जो हमें कमजोर नहीं बल्कि मजबूत बनाती हैं। आइए, भगवद गीता के अमूल्य संदेशों से इस उलझन का समाधान खोजें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

धृतराष्ट्र उवाच:
धर्म्याद्धि युद्धाच्छ्रेयोऽन्यत्क्षत्रियस्य न विद्यते।
धर्म्याद्धि युद्धाच्छ्रेयोऽन्यत्क्षत्रियस्य न विद्यते॥ (भगवद गीता 2.31)
अर्थ:
हे धृतराष्ट्र! क्षत्रिय के लिए धर्मयुक्त युद्ध से श्रेष्ठ कोई अन्य कार्य नहीं है।
सरल व्याख्या:
यह श्लोक हमें अपने धर्म और कर्तव्य के मार्ग पर दृढ़ रहने की प्रेरणा देता है। जैसे एक क्षत्रिय के लिए धर्मयुक्त युद्ध सर्वोत्तम है, वैसे ही तुम्हारे लिए शिक्षा और अपने लक्ष्य की रक्षा सर्वोपरि है। नकारात्मकता से लड़ना भी एक तरह का युद्ध है, जिसमें तुम्हें अपने धर्म (कर्तव्य) का पालन करना है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. स्वयं की पहचान करो: गीता कहती है कि आत्मा अमर है, वह न तो जन्मती है न मरती है (2.20)। नकारात्मकता तुम्हारा असली स्वरूप नहीं, उसे पहचानो और उससे दूर रहो।
  2. कर्तव्य में दृढ़ रहो: अपने अध्ययन और लक्ष्य पर फोकस रखो। दूसरों की बातों में उलझने से बचो, क्योंकि कर्म ही तुम्हारा अधिकार है, फल नहीं (2.47)।
  3. सकारात्मक संगत चुनो: अच्छे मित्रों और मार्गदर्शकों का साथ लो जो तुम्हें प्रेरित करें, न कि गिराएँ।
  4. मन को नियंत्रित करो: गीता बताती है कि मन अनियमित है, पर उसे योग से नियंत्रित किया जा सकता है (6.26)। ध्यान और साधना से मन को स्थिर बनाओ।
  5. भावनाओं पर विजय प्राप्त करो: क्रोध, द्वेष, और भय से बचो। ये नकारात्मक भावनाएं तुम्हें कमजोर करती हैं। शांति और धैर्य को अपनाओ।

🌊 मन की हलचल

तुम सोच रहे हो, "अगर मैं नकारात्मक लोगों से प्रभावित हो गया तो मेरा भविष्य क्या होगा?" यह डर सामान्य है। कभी-कभी लगता है कि माहौल ही हमारे निर्णयों को नियंत्रित करता है। पर याद रखो, असली ताकत तुम्हारे अंदर है। नकारात्मकता से लड़ना कठिन है, लेकिन असंभव नहीं।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे अर्जुन! जब चारों ओर अंधकार छाया हो, तब दीपक जलाना ही बुद्धिमानी है। तुम्हारे अंदर वह प्रकाश है जो सारी नकारात्मकता को दूर कर सकता है। अपने अंदर झांको, अपने कर्तव्य को पहचानो और दृढ़ता से आगे बढ़ो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक छात्र था जो अपने क्लास में कुछ नकारात्मक दोस्तों के कारण पढ़ाई से ध्यान भटकाने लगा। लेकिन उसने अपने गुरु से कहा, "गुरुजी, मैं कैसे उनसे दूर रहूँ?" गुरु ने कहा, "दरख्त के नीचे बैठो, लेकिन उसकी छाया से अपने चेहरे को बचाओ।" यानी, तुम माहौल में रह सकते हो, लेकिन उसकी नकारात्मक छाया को अपने मन पर हावी न होने दो। धीरे-धीरे वह छात्र अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने लगा और सफलता पाने लगा।

✨ आज का एक कदम

आज अपने आस-पास के तीन ऐसे लोगों की सूची बनाओ जो तुम्हें सकारात्मक ऊर्जा देते हों। उनसे अधिक समय बिताने का प्रयास करो और नकारात्मक प्रभावों से दूरी बनाओ।

🧘 अंदर झांके कुछ क्षण

  • मुझे इस समय कौन-सी नकारात्मक बात सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही है?
  • मैं किस प्रकार से अपने मन को सकारात्मक दिशा में मोड़ सकता हूँ?

उज्जवल भविष्य की ओर एक कदम
याद रखो, नकारात्मकता की छाया में भी तुम्हारे अंदर प्रकाश है। गीता की शिक्षाएँ तुम्हें वह प्रकाश दिखाती हैं जो अंधकार को चीर सकता है। अपने मन को मजबूत करो, अपने कर्तव्य को पहचानो, और विश्वास के साथ आगे बढ़ो। मैं तुम्हारे साथ हूँ, तुम्हारा मार्गदर्शक हमेशा।
शुभकामनाएँ! 🌟

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