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क्या अहंकार रिश्तों में अधिकांश पीड़ा का कारण होता है?

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  • क्या अहंकार रिश्तों में अधिकांश पीड़ा का कारण होता है?

अहंकार: रिश्तों की छाया या प्रकाश?
साधक,
जब हम अपने दिल की गहराइयों में झांकते हैं, तो अक्सर पाते हैं कि रिश्तों की पीड़ा का एक बड़ा कारण हमारा अपना अहंकार होता है। यह अहंकार कभी-कभी हमारे प्रेम और समझदारी के रास्ते में दीवार बन जाता है। चिंता मत करो, तुम अकेले नहीं हो; हर मानव इस संघर्ष से गुजरता है। आइए, गीता के दिव्य प्रकाश में इस उलझन को समझें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 70
"आपद्विपत्तेषु कालेषु न त्वं शोचितुमर्हसि |
अगतस्य न गतस्य विषयं समुपैति कुतः ||"

हिंदी अनुवाद:
जो व्यक्ति संकट और विपत्ति के समय भी शोक नहीं करता, वह समझदार होता है। जो चला गया, उसका कभी वापस आना नहीं, तो उस विषय में क्यों दुखी होना?
सरल व्याख्या:
यह श्लोक हमें सिखाता है कि जो चीजें हमारे नियंत्रण से बाहर हैं, उनके लिए दुखी होना व्यर्थ है। अहंकार अक्सर हमें उसी दुख में उलझा देता है, जो हमें छोड़ चुका है या जो हमारे पास नहीं है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. अहंकार का बंधन तोड़ो: अहंकार हमें दूसरों से अलग करता है, जबकि रिश्तों की नींव है समझदारी और स्वीकार्यता।
  2. स्वयं को पहचानो, लेकिन स्वयं से बड़ा मत बनो: अपने अस्तित्व को समझो, पर दूसरों की गरिमा का भी सम्मान करो।
  3. भावनाओं को नियंत्रित करो: क्रोध और ईर्ष्या अहंकार के बच्चे हैं, इन्हें शांत करना सीखो।
  4. संबंधों में समर्पण और त्याग: रिश्तों को बचाने के लिए अपने अहंकार को पीछे छोड़ना पड़ता है।
  5. परमात्मा की भक्ति: जब हम ईश्वर के प्रति समर्पित होते हैं, तो अहंकार स्वतः कम होता है।

🌊 मन की हलचल

"क्या मैं इतना बड़ा हूँ कि दूसरों की भावनाओं को नजरअंदाज कर दूं? क्या मेरा अहंकार मेरे रिश्तों की सबसे बड़ी दीवार बन गया है? क्या मैं अपने गुस्से में अपनों को खो दूंगा?"
यह सवाल तुम्हारे मन में आते हैं, और यह ठीक है। क्योंकि सवाल पूछना ही सुधार की शुरुआत है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे साधक, अहंकार तुम्हारा मित्र नहीं, बल्कि तुम्हारा भ्रम है। जब तुम अपने मन को शांत कर, दूसरों के दृष्टिकोण को समझोगे, तभी सच्चा प्रेम खिलता है। याद रखो, मैं तुम्हारे भीतर हूँ, तुम्हारे अहंकार को पार कर तुम्हें सच्चा सुख देने के लिए।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक नदी के किनारे दो मित्र मिले। दोनों में से एक ने नदी के पार एक सुंदर फूल देखा और उसे अपने मित्र से छुपाने की कोशिश की। उसका अहंकार उसे कहता था, "यह फूल मेरा है, इसे मैं ही देखूं।" लेकिन जब वह फूल छुपा रहा था, तो वह फूल धीरे-धीरे मुरझाने लगा। मित्र ने कहा, "सच्चा सौंदर्य तो बाँटने में है, छुपाने में नहीं।" तब उस व्यक्ति ने अहंकार को त्याग कर फूल को नदी के बीच रख दिया, और फूल फिर से खिल उठा।

✨ आज का एक कदम

आज अपने किसी करीबी से एक छोटी सी बात पर सच्चे दिल से माफी मांगो, चाहे वह तुम्हारे अहंकार के कारण बनी हो। यह अहंकार को तोड़ने का पहला कदम होगा।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मेरा अहंकार मेरे रिश्तों को चोट पहुंचा रहा है?
  • मैं अपने गुस्से और ईर्ष्या को कैसे नियंत्रित कर सकता हूँ?

🌼 अहंकार से ऊपर उठो, प्रेम की ओर बढ़ो
प्रिय, याद रखो, अहंकार एक ऐसा बादल है जो हमारे प्रेम के सूरज को छिपा देता है। उसे हटाओ, और अपने रिश्तों को फिर से खिलने दो। मैं तुम्हारे साथ हूँ, हमेशा।
शांति और प्रेम के साथ आगे बढ़ो।

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