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जब जीवन प्रश्न करता है, गीता समाधान देती है

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अपना संदेह पूछें… गीता राह दिखाएगी

अगर मैं अपने पिछले गलतियों के लिए खुद को माफ नहीं कर पाता तो क्या होगा?

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  • अगर मैं अपने पिछले गलतियों के लिए खुद को माफ नहीं कर पाता तो क्या होगा?

चलो यहाँ से शुरू करें: खुद को माफ करने की पहली सीढ़ी
प्रिय मित्र, जब हम अपने अतीत की गलतियों को लेकर खुद से कठोर हो जाते हैं, तो हमारा मन एक भारी बोझ तले दब जाता है। यह बोझ न केवल हमें आगे बढ़ने से रोकता है, बल्कि हमारे भीतर के प्रकाश को भी मंद कर देता है। यह समझना जरूरी है कि तुम अकेले नहीं हो, हर मानव अपने कर्मों के लिए कभी न कभी खुद को दोषी महसूस करता है। आज हम भगवद गीता के माध्यम से इस उलझन का समाधान खोजेंगे, जिससे तुम्हें अपने आप से प्रेम और क्षमा की ओर पहला कदम उठाने की प्रेरणा मिले।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 6, श्लोक 5:
उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्।
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः॥

हिंदी अनुवाद:
मनुष्य को स्वयं ही अपनी आत्मा को उठाना चाहिए, न कि स्वयं को नीचा दिखाना चाहिए। क्योंकि आत्मा का अपना ही मित्र है और अपना ही शत्रु भी।
सरल व्याख्या:
यह श्लोक हमें सिखाता है कि हमारा मन और आत्मा दोनों ही हमारे साथी हैं। जब हम खुद को दोष देते हैं, तो हम अपने ही मित्र को शत्रु बना लेते हैं। इसलिए, खुद को उठाना, समझना और माफ करना ही सच्ची मुक्ति का रास्ता है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. स्वयं को मित्र बनाओ, शत्रु नहीं। खुद के प्रति दया और प्रेम ही आत्मा की शांति का आधार है।
  2. अतीत को छोड़ो, वर्तमान में जियो। गीता कहती है कि कर्म का फल छोड़कर कर्म करो, इससे मन हल्का रहता है।
  3. अहंकार और दोषारोपण से मुक्त हो। गलतियों को अनुभव समझो, न कि दोष।
  4. धैर्य और सतत प्रयास से आत्मशुद्धि होती है। क्षमा एक दिन में नहीं आती, यह अभ्यास मांगती है।
  5. भगवान की शरण में आओ। ईश्वर की कृपा से मन को शांति और माफी मिलती है।

🌊 मन की हलचल

तुम सोच रहे हो — "क्या मैं इतना बड़ा पापी हूँ कि खुद को माफ न कर सकूं? क्या मेरी गलतियाँ मेरी पहचान बन गई हैं?" यह सवाल तुम्हारे मन में गहरे घाव की तरह हैं। पर याद रखो, मन के ये सवाल तुम्हारे भीतर छिपी हुई उस आवाज़ की पुकार हैं जो शांति और मुक्ति की चाह रखती है। इन्हें दबाओ मत, इन्हें सुनो और समझो। यह तुम्हारा पहला कदम है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे साधक, जो बीत गया उसे छोड़ दो। मैं तुम्हारे भीतर हूँ, तुम्हारे हर अंधकार को प्रकाश में बदलने को तत्पर हूँ। अपनी आत्मा की आवाज़ सुनो, जो कहती है — मैं तुम्हें माफ करता हूँ, तुम भी खुद को माफ करो। याद रखो, तुम्हारा अस्तित्व तुम्हारी गलतियों से बड़ा है।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक विद्यार्थी अपनी परीक्षा में असफल हुआ। वह खुद को कोसता रहा, सोचता रहा कि वह कभी सफल नहीं हो पाएगा। लेकिन उसके गुरु ने कहा, "गलतियाँ तुम्हारे पत्थर हैं, जिनसे तुम अपनी मंजिल की सीढ़ियाँ बना सकते हो। उन्हें फेंको नहीं, बल्कि उनसे सीखो।" उसी तरह, तुम्हारी गलतियाँ भी तुम्हें मजबूत और समझदार बनाती हैं, यदि तुम उन्हें स्वीकार कर सको।

✨ आज का एक कदम

आज के दिन, अपने आप से यह वादा करो: "मैं अपनी गलतियों को स्वीकार करता हूँ और खुद को माफ करता हूँ। मैं अपने भीतर के मित्र को जगाऊंगा।" इसे लिखो, या मन में दोहराओ, और महसूस करो कि तुम्हारा मन थोड़ा हल्का हुआ है।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने आप को वैसा प्रेम दे पा रहा हूँ जैसा मैं दूसरों को देता हूँ?
  • मेरी कौन-सी पुरानी गलतियाँ मुझे अब आगे बढ़ने से रोक रही हैं?

शांति की ओर एक कदम
प्रिय मित्र, याद रखो कि क्षमा का अर्थ केवल भूल जाना नहीं, बल्कि अपने मन को मुक्त करना है। तुम अपने अतीत के बंधनों से आज ही आज़ाद हो सकते हो। भगवान कृष्ण की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारो और अपने भीतर के मित्र को जगाओ। तुम अकेले नहीं हो, और हर दिन एक नया अवसर है खुद को प्यार करने का।
शुभकामनाएँ तुम्हारे इस सुंदर सफर के लिए।
ॐ शांति।

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