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शेखी मारना कैसे बंद करें और आंतरिक स्वीकृति कैसे प्राप्त करें?

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  • शेखी मारना कैसे बंद करें और आंतरिक स्वीकृति कैसे प्राप्त करें?

क्रोध और अहंकार को छोड़कर शांति की ओर बढ़ें
साधक, मैं समझता हूँ कि जब मन में क्रोध और अहंकार की लहरें उठती हैं, तो शेखी मारना या दूसरों को नीचा दिखाना एक तरह का बचाव बन जाता है। पर यह असली शक्ति नहीं, बल्कि मन की बेचैनी और असुरक्षा का स्वरूप है। चलिए, गीता के अमृत शब्दों के साथ इस उलझन को सुलझाते हैं और आंतरिक स्वीकृति की ओर कदम बढ़ाते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

"दुःखेष्वनुद्विग्नमना: सुखेषु विगतस्पृह: |
वीतरागभयक्रोध: स्थितधीर्मुनिरुच्यते ||"

— भगवद्गीता 2.56

हिंदी अनुवाद:
जो व्यक्ति दुखों में भी उद्विग्न नहीं होता, सुखों में आसक्ति नहीं रखता, जो न तो क्रोध करता है, न भयभीत होता है, वही स्थिर बुद्धि वाला मुनि कहलाता है।
सरल व्याख्या:
जब हम क्रोध, अहंकार और भय से ऊपर उठ जाते हैं, तब हमारा मन स्थिर और शांत होता है। यही शांति हमें शेखी मारने या दिखावे से मुक्त करती है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  • क्रोध के पीछे असुरक्षा है: जब हम खुद को कमतर समझते हैं, तो दूसरों पर शेखी मारकर अपनी अहमियत जताने की कोशिश करते हैं।
  • स्वीकृति से आती है शांति: अपने भीतर की कमजोरियों को स्वीकार करना और उन्हें सुधारने का संकल्प लेना, आंतरिक स्वीकृति की शुरुआत है।
  • अहंकार को पहचानो, पर उससे मत जुड़ो: अहंकार हमारा एक हिस्सा है, पर वह हम नहीं हैं। उसे देखकर उसे नियंत्रित करना सीखो।
  • धैर्य और संयम की साधना करो: गीता में संयम को ज्ञान का मूल बताया गया है; संयम से क्रोध पर विजय संभव है।
  • अपने कर्म पर ध्यान दो, परिणाम पर नहीं: जब हम कर्म में लगे रहते हैं, तो अहंकार और क्रोध अपने आप कम होते जाते हैं।

🌊 मन की हलचल

तुम्हारे मन में ये सवाल उठते होंगे — "क्या मैं कमजोर हूँ क्योंकि मैं शेखी मारता हूँ?" "क्या लोग मुझे समझेंगे अगर मैं अपनी असुरक्षा दिखाऊं?" ये सोच तुम्हें और भी उलझन में डालती है। पर याद रखो, असली ताकत अपनी कमजोरियों को समझने और स्वीकारने में है। शांति वही पाता है जो अपने मन की आंधी को चुप कर देता है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे साधक, जब भी क्रोध और अहंकार तुम्हारे मन को घेरने लगें, तो मुझसे जुड़ो। याद रखो, तुम वह शाश्वत आत्मा हो जो न तो क्रोध करता है, न अहंकार रखता है। शेखी मारना तुम्हारे असली स्वरूप को नहीं दर्शाता। अपने भीतर की दिव्यता को पहचानो और उसे प्रकट करो। मैं तुम्हारे साथ हूँ।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक युवा पक्षी था जो अपने पंख फैलाकर दूसरों को डराता और दिखावा करता था। लेकिन वास्तव में वह अपने पंखों की ताकत से अनजान था। एक दिन एक बूढ़े पक्षी ने उसे समझाया, "जब तुम अपनी असली ताकत पहचानोगे, तब तुम्हें दूसरों को डराने की जरूरत नहीं पड़ेगी।" तब वह युवा पक्षी चुपचाप अपने पंख फैलाकर उड़ गया, बिना किसी को दिखावे की जरूरत के।

✨ आज का एक कदम

आज अपने क्रोध और अहंकार को महसूस करो। जब भी शेखी मारने का मन हो, एक गहरी सांस लो और खुद से कहो, "मैं अपनी असली ताकत को पहचानता हूँ। मुझे दिखावे की जरूरत नहीं।" इस अभ्यास को दिन में कम से कम तीन बार दोहराओ।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपनी कमजोरी को स्वीकार कर सकता हूँ?
  • क्या मैं दूसरों की तुलना में खुद को कमतर समझने की आदत छोड़ सकता हूँ?

शांति की ओर पहला कदम
साधक, याद रखो कि शांति और स्वीकृति की यात्रा एक दिन में पूरी नहीं होती, पर हर छोटा प्रयास तुम्हें उस ओर ले जाता है। अपने भीतर के उस प्रकाश को खोजो जो अहंकार और क्रोध की अंधकार को मिटा देता है। मैं तुम्हारे साथ हूँ, साथ चलो इस यात्रा में।
शुभकामनाएँ! 🌸

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