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भगवद गीता मृत्यु के बारे में क्या कहती है?

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जीवन के अंत का सत्य: मृत्यु से डरना नहीं
प्रिय शिष्य, जीवन की सबसे बड़ी अनिश्चितता है—मृत्यु। जब हम इस विषय पर सोचते हैं, तो मन में भय, शोक और असमंजस की लहरें उठती हैं। परंतु भगवद गीता हमें बताती है कि मृत्यु अंत नहीं, बल्कि एक नयी यात्रा की शुरुआत है। तुम अकेले नहीं हो, हर जीव इसी चक्र का हिस्सा है। चलो, इस गूढ़ सत्य को गीता के शब्दों में समझें और अपने मन को शांति दें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 22
"वासांसि जीर्णानि यथा विहाय
नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा-
न्यन्यानि संयाति नवानि देही॥"

हिंदी अनुवाद:
जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर नए वस्त्र धारण करता है, उसी प्रकार आत्मा भी पुराने शरीर को छोड़कर नए शरीर को धारण करती है।
सरल व्याख्या:
हमारा शरीर एक वस्त्र की तरह है जो क्षणिक है। आत्मा अमर है, जो जन्म और मृत्यु के चक्र में निरंतर नये शरीर धारण करती रहती है। इसलिए मृत्यु को अंत नहीं, परिवर्तन समझो।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. आत्मा अमर और अनादि है — मृत्यु केवल शरीर का अंत है, आत्मा का नहीं।
  2. शरीर वस्त्र की भांति है — जैसे हम पुराने कपड़े उतारकर नए पहनते हैं, वैसे ही आत्मा शरीर बदलती रहती है।
  3. मृत्यु भय की वस्तु नहीं — यह जीवन का स्वाभाविक हिस्सा है, जिसे समझकर मन शांत होता है।
  4. ध्यान और कर्म से मुक्ति संभव — मृत्यु के भय से ऊपर उठकर कर्म करो और आत्मा की वास्तविकता को जानो।
  5. जीवन और मृत्यु का चक्र निरंतर चलता है — इसे स्वीकार कर जीवन में स्थिरता लाओ।

🌊 मन की हलचल

मृत्यु का विचार आते ही मन घबराता है, भय और अनिश्चितता घेर लेती है। क्या होगा बाद में? क्या मेरा अस्तित्व समाप्त हो जाएगा? ये प्रश्न स्वाभाविक हैं, परंतु याद रखो, तुम्हारा अस्तित्व केवल शरीर तक सीमित नहीं। जब हम इसे समझेंगे, तभी मृत्यु का भय दूर होगा और मन शांत होगा।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे अर्जुन, तुम मेरे साथ हो, मैं तुम्हारे भीतर हूँ। मृत्यु तुम्हें छू नहीं सकती, क्योंकि तुम वह आत्मा हो जो न कभी जन्मी, न कभी मरेगी। इसे समझो और निर्भय होकर अपने धर्म का पालन करो।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक शिक्षक ने अपने शिष्यों को पुराने कपड़े दिखाए और कहा, "क्या आप इन कपड़ों को पहनना पसंद करोगे?" सभी ने मना किया। फिर उन्होंने नए कपड़े दिखाए, जो सभी ने पसंद किए। शिक्षक ने कहा, "हमारा शरीर भी ऐसा ही है, यह कपड़ा है, आत्मा वही रहती है। जब पुराना शरीर खत्म होता है, तो आत्मा नया शरीर धारण करती है।"

✨ आज का एक कदम

आज एक पल के लिए बैठो और अपने अंदर उस अमर आत्मा को महसूस करो। अपने शरीर को केवल एक वस्त्र समझो। यह अभ्यास तुम्हारे मन से मृत्यु का भय कम करेगा।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपनी आत्मा को केवल शरीर से अलग समझ सकता हूँ?
  • मृत्यु को जीवन का हिस्सा मानकर मेरा मन कैसा महसूस करता है?

अंत नहीं, एक नई शुरुआत
प्रिय शिष्य, मृत्यु को अंत न समझो, यह जीवन का अनिवार्य परिवर्तन है। गीता का ज्ञान तुम्हें इस सत्य से परिचित कराता है ताकि भय के अंधकार से बाहर निकलकर जीवन को पूर्णता से जियो। याद रखो, तुम अमर आत्मा हो, और मृत्यु केवल एक परिवर्तन है।
शांति और विश्वास के साथ आगे बढ़ो।

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