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जब बच्चे नहीं सुनते तो एक माता-पिता के रूप में शांत कैसे रहें?

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शांति का दीपक जला कर: माता-पिता के लिए धैर्य और प्रेम की राह
प्रिय माता-पिता, बच्चों के न सुनने की स्थिति में आपका मन बेचैन, थका हुआ और कभी-कभी निराश भी हो सकता है। यह स्वाभाविक है। लेकिन याद रखिए, आप अकेले नहीं हैं। हर माता-पिता इस चुनौती से गुजरते हैं। आइए, गीता के दिव्य प्रकाश में इस परिस्थिति को समझें और अपने मन को शांति का सागर बनाएं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥”

— भगवद्गीता, अध्याय २, श्लोक ४७

हिंदी अनुवाद:
तुम्हारा केवल कर्म करने में अधिकार है, उसके फलों में कभी नहीं। इसलिए कर्म के फल की इच्छा मत करो, और न ही कर्म न करने में आसक्ति रखो।
सरल व्याख्या:
आपका कर्तव्य है प्रेम और समझदारी से बच्चों के साथ संवाद करना। उनके व्यवहार को नियंत्रित करना आपके हाथ में नहीं है, लेकिन आप अपने प्रयास और प्रतिक्रिया पर नियंत्रण रख सकते हैं। परिणाम की चिंता छोड़कर, अपने कर्म को समर्पित करें।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. धैर्य को अपना कवच बनाएं: बच्चों के व्यवहार में बदलाव समय लेता है। गीता सिखाती है कि स्थिर मन से कर्म करें, फल की चिंता छोड़ें।
  2. स्वयं को समझें, नियंत्रण अपने हाथ में है: बच्चों को बदलना मुश्किल है, पर अपने मन को शांत रखना संभव है।
  3. प्रेम और करुणा से संवाद करें: कठोरता से नहीं, बल्कि प्रेम से बच्चे सीखते हैं। गीता में कहा गया है कि स्नेह से बड़ा कोई गुरु नहीं।
  4. स्वयं का उदाहरण बनें: बच्चे अधिक सुनते हैं जब वे अपने माता-पिता में वही गुण देखते हैं जो वे सीखना चाहते हैं।
  5. मन को एकाग्र करें, क्रोध से बचें: गीता के अनुसार क्रोध मन को ध्वस्त करता है, इसलिए उसे त्यागना चाहिए।

🌊 मन की हलचल

"मैंने कितनी बार समझाने की कोशिश की, फिर भी वे नहीं सुनते। क्या मैं असफल तो नहीं? क्या मैं अच्छा माता-पिता नहीं हूँ? मेरा धैर्य कब खत्म होगा?" — ये विचार स्वाभाविक हैं। पर याद रखिए, हर प्रयास मूल्यवान है। छोटे-छोटे कदम भी बड़ी राह बनाते हैं।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

“हे साधक, जब तुम्हारे बच्चे तुम्हारी बात न सुनें, तो क्रोध मत करो। समझो कि वे अपनी आत्मा की खोज में हैं। तुम्हारा प्रेम और धैर्य उनका सबसे बड़ा शिक्षक है। अपने मन को स्थिर रखो, क्योंकि स्थिर मन से ही प्रेम की भाषा बोलती है।”

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक बागवान ने अपने पेड़ को रोज़ पानी दिया, पर पेड़ ने तुरंत फल नहीं दिए। वह निराश हुआ, लेकिन उसने धैर्य नहीं छोड़ा। समय के साथ पेड़ ने फल दिए, और बागवान की मेहनत रंग लाई। बच्चे भी ऐसे ही हैं — आपकी देखभाल और प्रेम की ज़रूरत है, फल आने में समय लगेगा।

✨ आज का एक कदम

आज अपने बच्चे के साथ एक छोटा, शांत और प्रेमपूर्ण संवाद करें — बिना किसी अपेक्षा के, केवल सुनने और समझने के लिए। इससे आपका मन शांत होगा और बच्चों के साथ संबंध मजबूत होंगे।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने क्रोध और निराशा को पहचान पा रहा हूँ?
  • क्या मैं अपने बच्चे के नजरिए से सोचने की कोशिश कर रहा हूँ?

🌼 शांति की ओर एक कदम: आप प्रेम और धैर्य के साथ मार्गदर्शक हैं
प्रिय माता-पिता, याद रखिए, आपका प्रेम और धैर्य बच्चों के लिए सबसे बड़ा उपहार है। जैसे गीता ने सिखाया है, कर्म करते रहिए, फल की चिंता छोड़िए। आपके प्रयासों में दिव्यता है, और यही आपके परिवार में शांति और प्रेम का बीज बोएगा। आप अकेले नहीं, हम सब आपके साथ हैं।

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