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प्रलोभनों को "ना" कहने के लिए बुद्धि को कैसे प्रशिक्षित करें?

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  • प्रलोभनों को "ना" कहने के लिए बुद्धि को कैसे प्रशिक्षित करें?

प्रलोभनों के सामने बुद्धि को मजबूत करने का पहला कदम
साधक, जब जीवन में प्रलोभन आते हैं, तो मन डगमगाने लगता है। यह स्वाभाविक है। परंतु याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर व्यक्ति के भीतर वह शक्ति है जो प्रलोभनों को मात दे सकती है। आइए, भगवद गीता की अमृत वाणी से उस शक्ति को जागृत करें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 60:
बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते।
तस्माद्योगाय युज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम्॥

हिंदी अनुवाद:
बुद्धि से युक्त व्यक्ति इस संसार में अच्छे और बुरे दोनों कर्मों को त्याग देता है। इसलिए, हे अर्जुन! कर्मों में कुशलता के लिए योग में लीन हो जाओ।
सरल व्याख्या:
जब बुद्धि सशक्त होती है, तब वह अच्छे और बुरे प्रलोभनों को पहचान कर दूर कर देती है। योग अर्थात् मन और कर्म की एकाग्रता से हम प्रलोभनों को परास्त कर सकते हैं।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. बुद्धि को जागरूक बनाओ: प्रलोभन आते हैं तो तुरंत प्रतिक्रिया न दो। पहले सोचो — क्या यह मेरे लिए लाभकारी है?
  2. ध्यान और योग का अभ्यास: मन को स्थिर रखने से प्रलोभनों की चकाचौंध कम होती है।
  3. स्वयं को पहचानो: अपने लक्ष्य और मूल्यों को याद रखो, जो प्रलोभनों के सामने तुम्हें मजबूत बनाएंगे।
  4. कर्म में कौशल दिखाओ: सिर्फ 'ना' कहना ही नहीं, बल्कि उस स्थिति को सकारात्मक कर्म में बदलो।
  5. सहायता मांगो: जब मन कमजोर हो, तो गुरु, मित्र या आध्यात्मिक साधना से शक्ति प्राप्त करो।

🌊 मन की हलचल

"मैं चाहता हूँ कि मैं प्रलोभनों को आसानी से टाल सकूँ, पर वे बार-बार मुझे घेर लेते हैं। क्या मेरी इच्छा शक्ति कमजोर है? क्या मैं असफल हूँ?"
ऐसे विचार आते हैं, पर याद रखो, यह तुम्हारी कमजोरी नहीं, बल्कि तुम्हारे संघर्ष का हिस्सा है। हर बार गिरना, सीखने का अवसर है। हर बार उठना, तुम्हारी सच्ची शक्ति है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे साधक, मैं तुम्हारे भीतर हूँ। जब भी प्रलोभन तुम्हें पकड़ने आएं, मुझसे जुड़ो। मेरी याद में मन स्थिर होगा, बुद्धि प्रबल होगी, और तुम अपने कर्मों में निपुण बनोगे। याद रखो, योग कर्मसु कौशलम् — कर्मों में कुशलता ही तुम्हारा अस्त्र है।"

🌱 एक छोटी सी कहानी

एक बार एक छात्र था जो मिठाई खाने का बहुत शौकीन था। परीक्षा के दौरान वह मिठाई खाने से खुद को रोक नहीं पाता था। फिर उसने सोचा, "मैं अपने लक्ष्य को याद रखूँगा। मिठाई से कुछ देर के लिए खुशी मिलती है, पर सफलता स्थायी है।" उसने ध्यान लगाना शुरू किया, अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत किया और परीक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त की।
यह कहानी हमें सिखाती है कि प्रलोभन के सामने बुद्धि को प्रशिक्षित करना अभ्यास और धैर्य का विषय है।

✨ आज का एक कदम

आज, जब भी कोई प्रलोभन तुम्हारे पास आए, गहरी सांस लो, तीन बार धीरे-धीरे "मैं सक्षम हूँ" कहो और अपनी बुद्धि से उस प्रलोभन को परखो। यह छोटा अभ्यास तुम्हें मजबूत बनाएगा।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने प्रलोभनों को पहचान पा रहा हूँ या वे मुझे अंधेरे में ले जा रहे हैं?
  • आज मैं अपनी बुद्धि को कैसे एक कदम और मजबूत बना सकता हूँ?

चलो बुद्धि की शक्ति से प्रलोभनों को परास्त करें
साधक, याद रखो, प्रलोभन तुम्हारा दुश्मन नहीं, बल्कि तुम्हें मजबूत बनाने वाला शिक्षक है। बुद्धि को प्रशिक्षित करो, योग में लीन हो जाओ, और अपने जीवन को स्वच्छ, सफल और आनंदमय बनाओ। मैं तुम्हारे साथ हूँ, हर कदम पर।
शुभकामनाएँ! 🌸

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