Skip to header Skip to main navigation Skip to main content Skip to footer

User account menu

  • प्रवेश
मुख्य पृष्ठ
Gita Answers
When Life ask Questions Gita Answers

Main navigation

  • मुख्य पृष्ठ

अगर मेरी आध्यात्मिक अभ्यास में भी सारी रुचि खत्म हो गई है तो क्या होगा?

पग चिन्ह

  • मुख्य पृष्ठ
  • अगर मेरी आध्यात्मिक अभ्यास में भी सारी रुचि खत्म हो गई है तो क्या होगा?

जब आध्यात्मिक पथ भी लगे सूना — तुम अकेले नहीं हो
साधक, जब मन का प्रकाश भी मंद पड़ जाए और आध्यात्मिक अभ्यास में रुचि खत्म हो जाए, तो यह एक गहरा संकेत है। यह तुम्हारे भीतर की उस गुफा की आवाज़ है, जहां अंधकार घना हो गया है। पर जान लो, यह भी जीवन का एक चरण है, और तुम इस अकेलेपन में अकेले नहीं हो। चलो, श्रीमद्भगवद्गीता की अमृत वाणी से इस अंधकार को पार करने का मार्ग खोजते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 14
"मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः।
आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत।।"

हिंदी अनुवाद:
हे कौन्तेय (अर्जुन), ये सुख-दुख, शीत-गर्म जैसे अनुभव मात्र स्पर्श मात्र हैं। ये आते-जाते रहते हैं, अस्थायी हैं। इसलिए हे भारत (अर्जुन), तुम इनका सहन करो।
सरल व्याख्या:
यह श्लोक हमें सिखाता है कि जीवन के सुख-दुख, उतार-चढ़ाव अस्थायी हैं। जो आज तुम्हें आध्यात्मिक अभ्यास में रुचि खोने का कारण लग रहे हैं, वे भी बीत जाएंगे। धैर्य और सहनशीलता से इन्हें पार करना ही सच्चा आध्यात्मिक अभ्यास है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. अस्थायी भावनाओं को पहचानो: मन की उदासी और रुचि का कम होना भी एक पारगमन काल है, स्थायी नहीं।
  2. कर्मयोग अपनाओ: फल की चिंता किए बिना अपने कर्म (अभ्यास) करते रहो, परिणाम अपने आप आएंगे।
  3. मन को स्थिर करो: ध्यान और श्वास पर ध्यान केंद्रित करो, मन की हलचल कम होगी।
  4. स्वयं को दोष मत दो: यह अवस्था तुम्हारी कमजोरी नहीं, बल्कि परिवर्तन का हिस्सा है।
  5. श्रीकृष्ण का सान्निध्य याद रखो: उनके उपदेशों में ही तुम्हें शक्ति मिलेगी।

🌊 मन की हलचल

"मैंने तो सब कुछ आज़माया, फिर भी क्यों मन नहीं लगता? क्या मैं असफल हो रहा हूँ? क्या मैं आध्यात्म में सही मार्ग पर नहीं? क्या मैं अकेला हूँ इस अंधकार में?"
ऐसे सवाल उठना स्वाभाविक है। पर याद रखो, यह मन की एक अवस्था है, जो तुम्हें और गहराई से जानने का अवसर दे रही है। इसे एक चुनौती की तरह देखो, न कि हार की निशानी।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय अर्जुन, जब तुम्हारा मन थक जाए, तब भी उठो और अपने कर्म करो। अंधकार के बाद ही प्रकाश आता है। मैं तुम्हारे साथ हूँ, तुम्हारे अंदर की शक्ति को पहचानो। केवल अभ्यास की निरंतरता ही तुम्हें इस स्थिति से बाहर ले जाएगी। धैर्य रखो, मैं तुम्हें छोड़ूंगा नहीं।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक विद्यार्थी था, जो रोज़ सूरज की रोशनी में पढ़ने जाता था। एक दिन बादल छा गए और धूप नहीं निकली। वह निराश होकर घर लौट आया। पर अगले दिन फिर से वह उसी जगह गया, और सूरज की किरणें लौट आईं। उसी तरह, तुम्हारा अभ्यास भी बादलों से घिरा हुआ हो सकता है, पर सूरज फिर चमकेगा।

✨ आज का एक कदम

आज सिर्फ पाँच मिनट के लिए अपनी सांसों पर ध्यान दो। सांसों को महसूस करो — आने और जाने का सिलसिला। इसे अपने अभ्यास का हिस्सा बनाओ, बिना किसी अपेक्षा के। यह छोटा कदम तुम्हें फिर से जुड़ने में मदद करेगा।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • इस सूनेपन के पीछे क्या भाव छुपा है?
  • क्या मैं अपने आप से थोड़ा धैर्य रख सकता हूँ?

धीरे-धीरे फिर से उजाले की ओर बढ़ना
प्रिय, यह अंधकार स्थायी नहीं, यह केवल एक संक्रमण है। तुम अकेले नहीं हो, और तुम्हारे भीतर वह शक्ति है जो फिर से तुम्हें प्रकाश की ओर ले जाएगी। अपने आप को समय दो, और याद रखो — हर रात के बाद सुबह होती है।
शुभकामनाएँ तुम्हारे पथ के लिए।
ॐ शांति।

Footer menu

  • संपर्क
Powered by Drupal

Copyright © 2025 Company Name - All rights reserved

Developed and Designed by Alaa Haddad at Flash Web Center, LLC