अंधकार के बीच भी उजियारा है — कृष्ण का सहारा
साधक, जब मन के भीतर अंधेरा गहरा होता है, तब ऐसा लगता है जैसे कोई रास्ता नहीं बचा। तुम्हारा यह दर्द, यह अंदरूनी पीड़ा, तुम्हें अकेला कर देती है। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। उस अंधकार के बीच भी एक प्रकाश छिपा है, जिसे समझना और अपनाना कृष्ण का उपदेश है। चलो, गीता के उन अमृत श्लोकों से हम उस प्रकाश को खोजते हैं।
🕉️ शाश्वत श्लोक
अध्याय 2, श्लोक 14
मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः।
आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत।।
हे अर्जुन! सुख-दुख, गर्मी-सर्दी के ये अनुभव क्षणिक हैं, वे आते हैं और चले जाते हैं। इसलिए, हे भारतवंशी, इन अस्थायी भावों को सहन करो।
सरल व्याख्या:
तुम्हारे अंदर जो भी दुख या पीड़ा है, वह स्थायी नहीं है। जैसे मौसम बदलता है, वैसे ही ये भाव भी बदलते हैं। कृष्ण हमें धैर्य रखने और इन भावों को सहन करने का साहस देते हैं।
🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन
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दुख अस्थायी है, स्थिरता मन में लाओ।
जीवन के दुख और सुख दोनों आते-जाते रहते हैं। इसे समझकर मन को स्थिर करो। -
धैर्य ही सबसे बड़ी शक्ति है।
अंधकार में भी धैर्य रखना तुम्हें मजबूत बनाता है। -
मन को नियंत्रित करो, मनुष्य अपने मन का स्वामी है।
अपने विचारों को पहचानो, उन्हें अपने ऊपर हावी न होने दो। -
स्वधर्म का पालन करो, अपने कर्तव्यों में लीन रहो।
कर्म करते रहो, फल की चिंता मत करो। -
ईश्वर में विश्वास रखो, वह तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ता।
आस्था तुम्हारे भीतर की शक्ति को जागृत करती है।
🌊 मन की हलचल
तुम्हारा मन कहता होगा — "मुझे कोई समझता नहीं", "मेरा दर्द अनमोल है पर कोई देख नहीं पाता", "क्या मैं कभी ठीक हो पाऊंगा?" ये सवाल स्वाभाविक हैं। पर इन्हें सुनो, पर अपने अस्तित्व को इनके बहाव में बहने मत दो। तुम्हारे भीतर एक आवाज़ है जो कहती है — "मैं मजबूत हूँ, मैं पार कर जाऊंगा।"
📿 कृष्ण क्या कहेंगे...
"हे प्रिय, मैं जानता हूँ तुम्हारा दर्द। पर याद रखो, मैं तुम्हारे भीतर भी हूँ। जब भी मन डगमगाए, मुझसे जुड़ो। मैं तुम्हें वह शक्ति दूंगा जो तुम सोच भी नहीं सकते। अपने मन को संभालो, और अपने कर्मों में लग जाओ। अंधकार में भी दीपक जलाना सीखो। मैं तुम्हारे साथ हूँ।"
🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा
एक बार एक छात्र था जो परीक्षा में असफल हो गया। वह बहुत दुखी था, सोच रहा था कि अब उसका जीवन खत्म हो गया। पर उसके गुरु ने उसे समझाया, "बारिश के बाद ही इंद्रधनुष खिलता है। यह असफलता तुम्हारे जीवन की बारिश है, जो तुम्हें और मजबूत बनाएगी।" उसी तरह, तुम्हारे अंदर का दुख भी तुम्हें एक नई शुरुआत की ओर ले जाता है।
✨ आज का एक कदम
आज अपने मन के भीतर एक छोटी सी जगह चुनो, जहाँ तुम बैठकर गहरी सांस लो और कहो —
"यह दुख भी बीतेगा, मैं स्थिर रहूँगा। मैं अपने भीतर के प्रकाश को खोजूँगा।"
🧘 भीतर झांके कुछ क्षण
- क्या मैं अपने दुख को अस्थायी समझकर उससे लड़ने का साहस रखता हूँ?
- क्या मैं अपने मन को नियंत्रित करके शांति की ओर कदम बढ़ा सकता हूँ?
अंधकार के बाद भी सूरज उगता है — तुम अकेले नहीं
तुम्हारा दुख, तुम्हारा अंधकार, एक दिन जरूर छटेगा। कृष्ण का यह उपदेश तुम्हें वह विश्वास और शक्ति देता है। धैर्य रखो, अपने मन को संभालो, और विश्वास के साथ आगे बढ़ो। याद रखो, तुम्हारे भीतर एक दिव्य प्रकाश है जो कभी खत्म नहीं होगा। मैं तुम्हारे साथ हूँ, हमेशा।
शांति और प्रेम के साथ।