Skip to header Skip to main navigation Skip to main content Skip to footer

User account menu

  • प्रवेश
मुख्य पृष्ठ
Gita Answers
When Life ask Questions Gita Answers

Main navigation

  • मुख्य पृष्ठ

मेरा मन बार-बार दर्द की ओर क्यों लौटता रहता है?

पग चिन्ह

  • मुख्य पृष्ठ
  • मेरा मन बार-बार दर्द की ओर क्यों लौटता रहता है?

मन के अंधकार में भी उजाला है
साधक, जब मन बार-बार दर्द की ओर लौटता है, तो यह तुम्हारे भीतर छुपे उस गहरे भाव का संकेत है जिसे समझने और सहलाने की आवश्यकता है। यह अकेलापन या कमजोरी नहीं, बल्कि तुम्हारे अस्तित्व की उस आवाज़ का प्रतिबिंब है जो ध्यान और प्रेम की बाट देख रही है। तुम अकेले नहीं हो, और यह यात्रा भी स्थायी नहीं। चलो मिलकर उस गीता के अमृत श्लोक के माध्यम से इस दर्द को समझते हैं और उसे पार करने का रास्ता खोजते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

"असंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलम्।
अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते॥"

(भगवद् गीता, अध्याय 6, श्लोक 34)
हिंदी अनुवाद:
हे महाबाहु अर्जुन! निस्संदेह मन अत्यंत अशांत, अस्थिर और नियंत्रित करना कठिन है। किंतु उसे अभ्यास और वैराग्य (संयम) द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
सरल व्याख्या:
तुम्हारा मन बार-बार दर्द की ओर लौटता है क्योंकि मन स्वाभाविक रूप से अशांत और विचलित होता है। यह एक सामान्य अवस्था है। लेकिन निरंतर अभ्यास और अपने भावों पर संयम रखकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  • मन को समझो, दोष मत दो: मन की प्रवृत्ति दर्द की ओर लौटना उसकी स्वाभाविकता है, इसे अपने दुश्मन न समझो।
  • अभ्यास से शक्ति आती है: नियमित ध्यान, सकारात्मक सोच और आत्मनिरीक्षण से मन की अशांति कम होती है।
  • वैराग्य अपनाओ: दर्द से जुड़ी भावनाओं को पकड़ कर मत रखो, उन्हें स्वीकारो और धीरे-धीरे उनसे दूरी बनाओ।
  • स्वयं पर दया करो: अपने मन को कठोरता से न टोको, बल्कि प्रेम और सहानुभूति से समझो।
  • कर्म में लीन रहो: अपने कर्तव्यों में लगन से जुटो, इससे मन को स्थिरता मिलती है।

🌊 मन की हलचल

तुम्हारा मन बार-बार दर्द की ओर क्यों लौटता है? शायद वह उस पीड़ा को समझना चाहता है, उसे महसूस करना चाहता है, ताकि वह कहीं दबा न रहे। यह तुम्हारे भीतर की गहराई है, जो कह रही है — "मुझे सुना जाओ, मुझे समझा जाओ।" यह आवाज़ डरावनी नहीं, बल्कि तुम्हारे अस्तित्व की एक पुकार है। उसे दबाने की बजाय, उसे प्यार से देखो। याद रखो, हर अंधेरा अंततः प्रकाश की ओर बढ़ता है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे साधक, मन की इस बेचैनी को समझो। यह तुम्हारा साथी है, तुम्हारा शिक्षक है। उसे कठोरता से न मारो, न ही उससे भागो। उसे प्यार से पकड़ो, और उसे अपने अभ्यास और धैर्य से सशक्त बनाओ। यहीं से तुम्हारा सच्चा परिवर्तन शुरू होगा। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ, तुम्हारे हर दर्द में, तुम्हारे हर सुख में।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक नदी के किनारे एक बच्चा खेल रहा था। अचानक उसकी नाव एक तेज धारा में फंस गई। वह बार-बार नाव को वापस किनारे लाने की कोशिश करता रहा, लेकिन नाव फिर से बहने लगती। बच्चा थक गया, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने धैर्य से अपनी कोशिशें जारी रखीं, और अंततः नाव सुरक्षित किनारे पर आ पहुंची। उसी तरह, तुम्हारा मन भी बार-बार दर्द की ओर बहता है, लेकिन तुम्हारा धैर्य और अभ्यास उसे स्थिर कर सकता है।

✨ आज का एक कदम

आज अपने मन की एक छोटी सी बेचैनी को पहचानो। उसे दबाने या भागने की बजाय, उसे कुछ देर प्यार से महसूस करो। फिर धीरे-धीरे अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करो, एक-एक सांस को शांति का संदेश समझो। यह अभ्यास तुम्हारे मन को स्थिर करने का पहला कदम होगा।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने दर्द को स्वीकार कर पा रहा हूँ, या उसे मैं छुपाने की कोशिश करता हूँ?
  • आज मैं अपने मन को स्थिर करने के लिए क्या एक छोटा प्रयास कर सकता हूँ?

🌼 दर्द के बाद भी खिलता है जीवन
साधक, याद रखो, तुम्हारा मन बार-बार दर्द की ओर लौटना तुम्हारी कमजोरी नहीं, बल्कि तुम्हारे भीतर छुपे उस प्रकाश की खोज है। गीता की सीखों से अपने मन को समझो, अभ्यास करो, और धीरे-धीरे उस अंधकार में भी उजाले की किरण देखो। मैं तुम्हारे साथ हूँ, हर कदम पर।
शांति और प्रेम के साथ।

Footer menu

  • संपर्क
Powered by Drupal

Copyright © 2025 Company Name - All rights reserved

Developed and Designed by Alaa Haddad at Flash Web Center, LLC