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भावनात्मक रूप से सबसे निचले स्तर पर पहुंचने के बाद फिर से कैसे उठें?

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  • भावनात्मक रूप से सबसे निचले स्तर पर पहुंचने के बाद फिर से कैसे उठें?

फिर से उठने की कला: जब अंधेरा सबसे घना हो
साधक, मैं समझता हूँ कि तुम इस समय कितनी गहराई में हो, जब मन का अंधेरा इतना घना हो कि बाहर की कोई रौशनी नजर नहीं आती। यह भावनात्मक पतन मानव जीवन का एक कठिन पड़ाव है, पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर रात के बाद सुबह होती है, और हर अंधकार के बाद उजाला। चलो, गीता के अमृत वचन से उस उजाले की ओर कदम बढ़ाते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 14
मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः।
आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत।।
हिंदी अनुवाद:
हे अर्जुन! ये सुख-दुख, गर्मी-सर्दी जैसी अनुभूतियाँ केवल इंद्रियों के स्पर्श मात्र हैं। ये आते-जाते रहते हैं, अस्थायी हैं। इसलिए, हे भारतवंशी, तुम इन्हें सहन करो।
सरल व्याख्या:
जीवन में जो भी दुःख या सुख आता है, वह स्थायी नहीं है। वे क्षणिक अनुभव हैं, जो समय के साथ बदल जाते हैं। हमें अपने मन को इन चंचल भावनाओं से ऊपर उठाना सीखना चाहिए।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. परिस्थितियों को अस्थायी समझो: भावनाओं को स्थायी मत समझो, वे गुजर जाएंगी।
  2. धैर्य और सहनशीलता अपनाओ: कठिनाइयों में भी स्थिर रहना ही सच्ची शक्ति है।
  3. स्वयं को पहचानो: तुम केवल अपने विचार और भावनाएँ नहीं, तुम उससे परे हो।
  4. कर्तव्य पर ध्यान केंद्रित करो: अपने छोटे-छोटे कर्तव्यों में लग जाओ, इससे मन को स्थिरता मिलेगी।
  5. आत्म-साक्षात्कार की ओर बढ़ो: अपने भीतर के सच्चे स्वरूप को जानो, जो अजर-अमर है।

🌊 मन की हलचल

तुम्हारा मन कह रहा है — "मैं टूट चुका हूँ, मैं संभाल नहीं पा रहा।" यह ठीक है। यह स्वीकार करना पहली जीत है। खुद को दोष मत दो, न ही अपनी कमजोरी को छुपाओ। हर गिरावट के बाद उठना कठिन होता है, पर यही जीवन की सच्ची परीक्षा है। तुम्हारे भीतर वह शक्ति है जो तुम्हें फिर से खड़ा कर सकती है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय! मैं तुम्हारे भीतर हूँ। जब तुम सबसे ज्यादा अकेला महसूस करोगे, तब मैं तुम्हारे सबसे करीब हूँ। अपने मन को मुझसे जोड़ो, और देखो कैसे अंधकार में भी प्रकाश खिल उठता है। उठो, क्योंकि तुम्हारा अस्तित्व स्वयं एक दिव्यता है।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक नदी के किनारे एक पत्थर गिरा। वह पत्थर नदी के बहाव से नीचे गिर गया और कई बार टकरा कर टूटने लगा। लेकिन वह पत्थर हार नहीं माना। धीरे-धीरे नदी की धार उसे नीचे ले गई, जहाँ वह चिकना और सुंदर हो गया। उसी तरह, जीवन की कठिनाइयाँ तुम्हें तोड़ नहीं सकतीं, वे तुम्हें तराशती हैं।

✨ आज का एक कदम

आज अपने मन को एक छोटे से कार्य में लगाओ — चाहे वह गहरी साँस लेना हो, एक कविता पढ़ना हो या अपने किसी प्रिय मित्र से बात करना। छोटे-छोटे कदम तुम्हें फिर से जीवन की ओर खींचेंगे।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • इस समय मुझे कौन-सी भावना सबसे ज्यादा परेशान कर रही है?
  • क्या मैं यह मान सकता हूँ कि यह भी गुजर जाएगा?
  • मैं अपने भीतर की उस शक्ति को कैसे पहचान सकता हूँ जो हमेशा स्थिर रहती है?

अंधकार के बाद की पहली किरण
यह कठिन समय तुम्हें कमजोर नहीं करता, बल्कि तुम्हें मजबूत बनाता है। याद रखो, हर अंधेरा सूर्योदय का संकेत है। तुम फिर से उठोगे, नयी ऊर्जा के साथ, नयी आशा के साथ। मैं तुम्हारे साथ हूँ, हर कदम पर।
शुभकामनाएँ और प्रेम के साथ।
— तुम्हारा आध्यात्मिक गुरु

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