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जब सब कुछ निरर्थक लगे तो बिस्तर से कैसे उठें और चलें?

पग चिन्ह

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  • जब सब कुछ निरर्थक लगे तो बिस्तर से कैसे उठें और चलें?

उठो, फिर से चमको — अंधकार में भी उजियारा है
मेरे प्रिय, जब जीवन का बोझ इतना भारी लगे कि बिस्तर से उठना भी कठिन हो, तो समझो कि तुम अकेले नहीं हो। यह अंधेरा अस्थायी है, जैसे रात के बाद सुबह जरूर आती है। चलो, एक साथ मिलकर उस पहली किरण को महसूस करें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 47
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

हिंदी अनुवाद:
तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फलों में कभी नहीं। इसलिए कर्म के फल की इच्छा मत करो और न ही कर्म न करने में आसक्त हो।
सरल व्याख्या:
जब सब कुछ निरर्थक लगे, तो याद रखो कि तुम्हें केवल अपने कर्म करने हैं, फल की चिंता छोड़ दो। कर्म करना ही जीवन की धड़कन है, फल की चिंता से मन घबराता है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  • कर्म करो, फल की चिंता छोड़ो: जीवन में हर दिन एक नया कर्म है। फल की चिंता मन को डुबो देती है, कर्म से जुड़ो।
  • अहंकार और निराशा से ऊपर उठो: तुम स्वयं अपने विचारों के स्वामी हो, उन्हें नियंत्रित करो।
  • संकट में भी स्थिर रहो: जैसे समुद्र की लहरें आती-जाती रहती हैं, वैसे ही दुख भी आएंगे और जाएंगे।
  • स्वयं को समझो, स्वीकार करो: अपनी कमजोरी को पहचानो, पर उससे हार मत मानो।
  • धैर्य और सतत प्रयास: छोटे-छोटे कदमों से जीवन में फिर से प्रकाश लौटेगा।

🌊 मन की हलचल

"मैं इतना कमजोर क्यों महसूस कर रहा हूँ? सब कुछ बेकार लग रहा है, उठने का मन नहीं करता। क्या मैं फिर से खुश रह पाऊंगा? क्या मेरी कोशिशें बेकार हैं?"
प्रिय, यह सवाल तुम्हारे मन की आवाज़ है, जो बदलाव की चाहत रखती है। इसे सुनो, पर अपने आप को दोष मत दो। यह भावनाएं अस्थायी हैं, वे तुम्हारे अस्तित्व का केवल एक हिस्सा हैं।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे अर्जुन, जब मन डगमगाए और सब कुछ अंधकारमय लगे, तब याद रखना — तुम्हारा धर्म कर्म करना है, फल की चिंता छोड़कर। मैं तुम्हारे साथ हूँ। उठो, चलो, हर कदम तुम्हें नई ऊर्जा देगा। तुम्हारे भीतर अपार शक्ति है, जो तुम्हें फिर से जीना सिखाएगी।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक पक्षी था जो बहुत दिनों तक अपनी उड़ान खो चुका था। वह सोचता रहा कि उड़ना अब संभव नहीं। लेकिन एक दिन उसने धीरे-धीरे पंख फैलाए, एक-एक पंख की मांसपेशियों को मजबूत किया, और फिर उड़ान भरी। वह पक्षी वही था, पर उसने हार नहीं मानी। तुम्हारा मन भी वैसा ही है, बस थोड़ा सा अभ्यास और धैर्य चाहिए।

✨ आज का एक कदम

आज बिस्तर से उठकर अपने कमरे की खिड़की खोलो, गहरी सांस लो और खुद से कहो: "मैं आज एक छोटा कदम उठाऊंगा, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो।" फिर धीरे-धीरे अपने पैरों को जमीन पर टिकाओ और चलने की कोशिश करो, भले ही कुछ कदम ही क्यों न हों।

🧘 अंदर झांके कुछ क्षण

  • इस पल में मुझे कौन-सी छोटी-सी खुशी महसूस हो रही है?
  • मैं अपने लिए एक दयालु शब्द क्या कह सकता हूँ?

धीरे-धीरे उजियारे की ओर — तुम्हारा सफर शुरू हुआ है
मेरे प्रिय, उठना मुश्किल है, पर यह पहला कदम ही तुम्हें अंधकार से बाहर निकालता है। मैं तुम्हारे साथ हूँ। धैर्य रखो, खुद पर विश्वास रखो। जीवन फिर से खिल उठेगा। चलो, एक साथ इस नए दिन का स्वागत करें।

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