Skip to header Skip to main navigation Skip to main content Skip to footer
Hindi
Gita Answers
Gita Answers
जब जीवन प्रश्न करता है, गीता समाधान देती है

मुख्य नेविगेशन

  • मुख्य पृष्ठ

अपना संदेह पूछें… गीता राह दिखाएगी

अर्जुन ने गीता में अपने मानसिक संकट को कैसे संभाला?

पग चिन्ह

  • मुख्य पृष्ठ
  • अर्जुन ने गीता में अपने मानसिक संकट को कैसे संभाला?

जब मन डूबता है: अर्जुन का संकट और हमारा साथ
साधक, जब जीवन के अंधकार में घबराहट और निराशा छा जाती है, तब हम अकेले नहीं होते। अर्जुन, जो महाभारत के महान योद्धा थे, उन्हीं भावनाओं से जूझ रहे थे। उनका संकट हमें यह सिखाता है कि अंधकार में भी प्रकाश खोजा जा सकता है, और सबसे बड़ा गुरु हमारा स्वयं का अंतर्मन होता है।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 47
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

हिंदी अनुवाद:
तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फलों में कभी नहीं। इसलिए कर्म के फल की इच्छा मत करो, और न ही कर्म न करने में आसक्ति रखो।
सरल व्याख्या:
अर्जुन को यह समझाया गया कि जीवन के निर्णय और कर्म हमारे हाथ में हैं, लेकिन फल हमारे नियंत्रण से बाहर हैं। इसलिए चिंता छोड़कर अपने कर्तव्य का पालन करना ही बुद्धिमानी है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  • स्वयं को पहचानो, न कि केवल अपने दुःख को। अर्जुन ने अपने मन की गहराई में झांककर समझा कि वह एक योद्धा है, और उसका धर्म है लड़ना।
  • कर्म पर ध्यान दो, फल की चिंता छोड़ दो। मन की उलझनों से बाहर निकलने का पहला कदम है कर्मयोग अपनाना।
  • अहंकार और मोह से ऊपर उठो। अर्जुन को बताया गया कि आत्मा नाश नहीं होती, इसलिए मृत्यु या पराजय से भयभीत न हो।
  • शांतचित्त रहो, और ज्ञान की ओर बढ़ो। ज्ञान से मन की गहराईयों में छिपी निराशा दूर होती है।
  • भगवान की शरण में आओ। अर्जुन ने कृष्ण से मार्गदर्शन लिया, जो हमें भी संकट में सहारा देता है।

🌊 मन की हलचल

तुम्हारा मन कहता है — "मैं कमजोर हूं, मैं हार गया।"
लेकिन याद रखो, यह केवल एक क्षणिक भाव है, जो तुम्हारे भीतर छुपी शक्ति को नहीं दर्शाता। अर्जुन की तरह तुम्हें भी अपने भीतर के योद्धा को जगाना होगा। तुम्हारे मन में जो अंधेरा है, वह स्थायी नहीं, बस एक परीक्षा है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे अर्जुन, मैं तुम्हारे हर सवाल और भय को समझता हूँ। जब मन डूबता है, तब याद रखना कि मैं तुम्हारे साथ हूँ। अपने कर्तव्य को निभाओ, बिना फल की चिंता किए। जीवन का सत्य यही है। तू अकेला नहीं, मैं हूँ।"

🌱 एक छोटी सी कहानी

एक बार एक छात्र परीक्षा से पहले बहुत घबराया। उसने सोचा कि वह फेल हो जाएगा, और सब कुछ खत्म हो जाएगा। लेकिन उसके गुरु ने कहा, "तुम्हारा काम है पढ़ाई करना, परिणाम की चिंता मत करो।" छात्र ने मन लगाकर पढ़ाई की, और परीक्षा में सफल हुआ। जीवन भी ऐसा ही है — कर्म करो, फल की चिंता छोड़ो।

✨ आज का एक कदम

आज अपने मन की एक चिंता को पहचानो, और उसे लिखो। फिर सोचो, क्या यह चिंता मेरे कर्म से जुड़ी है या फल से? यदि फल से है, तो उसे छोड़ दो और अपने कर्म पर ध्यान दो।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • मुझे इस समय कौन-सी चिंता सबसे ज्यादा परेशान कर रही है?
  • क्या मैं अपने कर्म पर पूरा ध्यान दे पा रहा हूँ, या फल की चिंता मुझे रोक रही है?

चलो फिर से उठ खड़े हों: अंधकार के बाद उजाला
साधक, अर्जुन का संकट तुम्हारा भी नहीं है। हर अंधकार के बाद उजाला होता है। अपने भीतर के प्रकाश को खोजो, और याद रखो — तुम अकेले नहीं हो। जीवन की लड़ाई में कृष्ण तुम्हारे साथ हैं। उठो, अपने कर्म करो, और विश्वास रखो कि हर परिस्थिति में तुम्हें मार्ग मिलेगा।

Footer menu

  • संपर्क

Copyright © 2025 Gita Answers - All rights reserved

Gita Answers Gita Answers