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कृष्ण की सिखावट दृढ़ और संकल्पित मन के बारे में क्या है?

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  • कृष्ण की सिखावट दृढ़ और संकल्पित मन के बारे में क्या है?

संकल्प की शक्ति: जब मन हो अटल और दृढ़
प्रिय शिष्य,
तुम्हारा यह प्रश्न बहुत गहरा है—मन की दृढ़ता और संकल्प की शक्ति जीवन में हर कठिनाई को पार करने का आधार है। जब मन ठाना होता है, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं लगती। आओ, हम भगवद गीता के अमूल्य शब्दों से इस रहस्य को समझें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 6, श्लोक 5
उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्।
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः॥

हिंदी अनुवाद:
अपने मन को स्वयं से उठाओ, स्वयं को ही नीचे मत गिराओ। क्योंकि आत्मा अपने लिए ही मित्र है और आत्मा अपने लिए ही शत्रु भी है।
सरल व्याख्या:
यह श्लोक हमें बताता है कि हमारा मन हमारा सबसे बड़ा साथी भी हो सकता है और सबसे बड़ा विरोधी भी। यदि हम अपने मन को संकल्पित और दृढ़ बनाएं, तो वह हमारा मित्र होगा; यदि हम उसे कमजोर और विचलित छोड़ दें, तो वह हमारा दुश्मन बन जाता है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. मन की सत्ता को पहचानो: मन की शक्ति को कम मत आंको। यह तुम्हारे कर्मों का आधार है।
  2. स्वयं को प्रोत्साहित करो: मन को गिरने न दो, उसे उठाओ और प्रबल बनाओ।
  3. संकल्प का महत्व समझो: दृढ़ निश्चय से मन की शक्ति बढ़ती है, जो तुम्हें लक्ष्य की ओर अग्रसर करती है।
  4. अहंकार और संदेह से दूर रहो: ये मन को कमजोर करते हैं, इसलिए उन्हें त्यागो।
  5. ध्यान और अभ्यास से मन को नियंत्रित करो: नियमित अभ्यास से मन स्थिर और संकल्पित बनता है।

🌊 मन की हलचल

शिष्य, तुम्हारे मन में कई बार उलझन और अस्थिरता आती होगी। "क्या मैं सफल हो पाऊंगा?", "क्या मेरा संकल्प इतना मजबूत है?" जैसे सवाल आते होंगे। यह स्वाभाविक है। लेकिन याद रखो, मन की अस्थिरता को पहचानना ही पहला कदम है उसे नियंत्रित करने का। तुम्हारे भीतर वह शक्ति है जो हर संदेह को पार कर सकती है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे अर्जुन, जब तुम्हारा मन डगमगाए, तब मुझमें विश्वास रखो। मैं तुम्हारे भीतर हूँ, तुम्हारे संकल्प का आधार हूँ। अपने मन को उठाओ, और उसे अटल बनाओ। याद रखो, जो मन पर विजय पा लेता है, वही सच्चा विजेता है।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

कल्पना करो एक विद्यार्थी को जो परीक्षा की तैयारी कर रहा है। शुरुआत में वह डरता है, विचलित होता है, लेकिन जब उसने ठाना कि वह हार नहीं मानेगा, तो उसने दिन-रात मेहनत की। उसका मन जब भी कमजोर पड़ता, वह खुद को याद दिलाता कि "मैं कर सकता हूँ।" अंत में उसकी मेहनत रंग लाई और वह सफल हुआ। मन की यह दृढ़ता ही उसकी जीत का रहस्य थी।

✨ आज का एक कदम

आज अपने मन से एक वादा करो: "मैं अपने संकल्प को मजबूत बनाऊंगा। जब भी मन डगमगाएगा, मैं उसे उठाऊंगा और सही दिशा में ले जाऊंगा।" इस वादे को लिखकर कहीं रखो और दिन में कम से कम दो बार पढ़ो।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने मन को मित्र बना पा रहा हूँ या वह मेरा शत्रु बन रहा है?
  • मेरे जीवन में कौन सी ऐसी चीजें हैं जो मेरे संकल्प को कमजोर करती हैं? मैं उन्हें कैसे त्याग सकता हूँ?

संकल्प की ओर एक कदम — विश्वास के साथ आगे बढ़ो
प्रिय शिष्य, संकल्प की शक्ति तुम्हारे भीतर है। उसे पहचानो, उसे जगाओ। मन को अटल बनाकर तुम जीवन की हर चुनौती को पार कर सकते हो। याद रखो, तुम अकेले नहीं—मैं और गीता तुम्हारे साथ हैं। चलो, दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ें और अपने जीवन को सार्थक बनाएं।
शुभकामनाएँ! 🌸🙏

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