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क्या अहंकार लोगों के बीच अलगाव पैदा करता है?

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  • क्या अहंकार लोगों के बीच अलगाव पैदा करता है?

अहंकार: अलगाव की दीवार या समझ का सेतु?
प्रिय शिष्य, तुम्हारे मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है। जब हम अपने अंदर के अहंकार को देखते हैं, तो कभी-कभी वह हमें दूसरों से दूर कर देता है, एक दीवार बन जाता है। पर क्या यह सचमुच अलगाव ही है, या एक संकेत है कि हमें अपने आप को समझने की जरूरत है? चलो, मिलकर इस रहस्य को समझते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 71
“वैराग्येण ततो यतत्त्वेन योगं कर्मसु कौशलम्।
अकर्मण्यत्वं तत्त्वं च न त्याज्यं कार्यकारणम्॥”

हिंदी अनुवाद:
जो व्यक्ति वैराग्य (असक्तता) के साथ सत्य को जानता है, कर्मों में योग की कुशलता प्राप्त करता है। निष्क्रियता का यह अर्थ नहीं कि कर्म और कारणों का त्याग किया जाए।
सरल व्याख्या:
यह श्लोक हमें बताता है कि असली योग और समझ तब आती है जब हम अपने कर्मों में लगाव छोड़ देते हैं। अहंकार से जो अलगाव होता है, वह असली समझ का अभाव है। जब हम अहंकार से मुक्त होकर कर्म करते हैं, तो हम दूसरों से जुड़ते हैं।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  • अहंकार मन की एक ऐसी दीवार है जो हमें दूसरों के साथ जुड़ने से रोकती है।
  • सच्चा ज्ञान और योग अहंकार को छोड़कर आता है, जिससे हम एक-दूसरे को समझ पाते हैं।
  • जब हम अपने अंदर के अहंकार को पहचानते हैं, तब हम अपने मन के द्वेष और ईर्ष्या को भी कम कर सकते हैं।
  • अहंकार से लड़ना नहीं, उसे समझना और उससे ऊपर उठना है।
  • दूसरों में ईश्वर को देखना और अपने अहंकार को त्यागना, यही गीता का संदेश है।

🌊 मन की हलचल

तुम सोचते हो कि क्या तुम्हारा अहंकार तुम्हें अकेला कर रहा है? क्या तुम्हें लगता है कि तुम्हें समझा नहीं जा रहा? यह दर्द सच है, लेकिन याद रखो, यह अहंकार तुम्हारे मन का एक हिस्सा है, जो तुम्हें खुद को और दूसरों को समझने से रोकता है। अपने मन से प्यार करो, उसे समझो, और धीरे-धीरे उसे बदलने की कोशिश करो।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, अहंकार को अपने भीतर एक आग की तरह मत पालो जो सब कुछ जला देता है। उसे समझो, पर उससे डरना नहीं। जब तुम अपने अहंकार को त्याग दोगे, तब तुम्हारा हृदय खुल जाएगा, और तुम देखोगे कि सब में मैं ही हूँ। तब तुम्हें अलगाव नहीं, बल्कि एकता का अनुभव होगा।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक छोटे से गाँव में दो दोस्त रहते थे। उनमें से एक को बहुत अहंकार था। वह हमेशा खुद को दूसरों से बड़ा समझता था। इस कारण वे धीरे-धीरे दूर हो गए। फिर एक दिन, उस दोस्त को एहसास हुआ कि उसका अहंकार ही उसकी सबसे बड़ी दीवार था। उसने अपने अहंकार को छोड़कर अपने मित्र के पास जाकर माफी मांगी। वे फिर से एक हो गए और उनका रिश्ता और भी गहरा हो गया।

✨ आज का एक कदम

आज अपने दिल में एक छोटा सा सवाल पूछो: "क्या मेरा अहंकार मुझे दूसरों से दूर कर रहा है?"
और जब भी अहंकार की आवाज़ आए, उसे प्यार से पहचानो और कहो: "मैं तुम्हें समझता हूँ, पर मैं तुम्हारे बिना भी पूरा हूँ।"

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने अहंकार को पहचान पा रहा हूँ?
  • क्या मैं दूसरों से जुड़ने के लिए अपने अहंकार को त्यागने को तैयार हूँ?

🌼 अहंकार से ऊपर उठो, प्रेम और एकता की ओर बढ़ो
प्रिय, याद रखो कि अहंकार एक बाधा है, पर वह तुम्हारा अंतिम स्वरूप नहीं। जैसे अंधकार के बाद प्रकाश आता है, वैसे ही अहंकार के बाद प्रेम और समझ का सवेरा होता है। अपने भीतर उस सवेरा को खोजो, और देखो कैसे तुम्हारा दिल और तुम्हारा जीवन दोनों खिल उठते हैं। तुम अकेले नहीं हो, मैं तुम्हारे साथ हूँ।

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