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क्या अलगाव पालन-पोषण या प्रेम में सहायक होता है?

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  • क्या अलगाव पालन-पोषण या प्रेम में सहायक होता है?

अलगाव: दूरी नहीं, समझ का उपहार
साधक, जीवन में जब हम प्रेम और पालन-पोषण की बात करते हैं, तो अक्सर मन उलझ जाता है कि क्या अलगाव (वियोग) से संबंध मजबूत होते हैं या टूट जाते हैं। क्या दूर रहना प्रेम को बढ़ाता है या कम करता है? यह प्रश्न बहुत गहरा है, और भगवद गीता की शिक्षाएं इसमें प्रकाश डालती हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय |
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते ||

(भगवद गीता, अध्याय 2, श्लोक 48)
हिंदी अनुवाद:
हे धनञ्जय (अर्जुन)! समभाव से युक्त होकर, अपने कर्मों को करो, बिना किसी आसक्ति के। सफलता या असफलता में समान भाव रखो, यही योग है।
सरल व्याख्या:
यह श्लोक हमें बताता है कि कर्म करते हुए भी यदि हम अपने मन को किसी फल की आसक्ति से अलग कर लें, तो हम योग की स्थिति में पहुँच जाते हैं। यानि, प्रेम या पालन-पोषण में भी यदि हम आसक्ति और नियंत्रण की भावना से अलग हो जाएं, तो संबंध सशक्त और मुक्त बनते हैं।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. सह-निर्भरता से स्वतंत्रता की ओर: प्रेम में अलगाव का मतलब दूरी या तिरस्कार नहीं, बल्कि उस रिश्ते में आसक्ति और नियंत्रण से मुक्त होना है।
  2. स्वतंत्रता में प्रेम की गहराई: जब हम दूसरों को अपने प्रेम या पालन-पोषण की बेड़ियों से मुक्त कर देते हैं, तो वे भी स्वतंत्र होकर खिलते हैं।
  3. भावनात्मक संतुलन बनाए रखें: प्रेम में लगाव और अलगाव का संतुलन जरूरी है, जिससे न तो मन घुटे और न संबंध टूटे।
  4. स्वयं को पहचानना: अपने भावों को समझो, और प्रेम को स्वार्थ से ऊपर उठाकर अनुभूति करो।
  5. समत्व योग अपनाओ: सफलता या असफलता, पास होना या दूर होना—सभी में समान भाव रखो।

🌊 मन की हलचल

"क्या मैं अपने प्रियजन से दूर होकर उन्हें खो नहीं दूँगा? क्या अलगाव का मतलब तिरस्कार या अनदेखी नहीं है? मैं प्रेम करता हूँ, तो क्या दूर रहना सही होगा?" ये सवाल स्वाभाविक हैं। परंतु याद रखो, प्रेम का अर्थ केवल निकटता नहीं, बल्कि सम्मान, स्वतंत्रता और विश्वास भी है। जब हम अपने प्रेम में आसक्ति छोड़ देते हैं, तो वह प्रेम और भी पवित्र हो जाता है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे साधक, प्रेम में दूरी को मत सोचो कि वह अंत है। यह तो प्रेम की परीक्षा है, जो तुम्हें स्वार्थ से ऊपर उठकर सच्चे प्रेम की अनुभूति कराता है। जब तुम अपने मन को वस्तुओं, परिस्थितियों और लोगों से अलग कर दोगे, तब तुम्हें शांति और प्रेम दोनों का सच्चा स्वरूप दिखेगा। याद रखो, प्रेम में सच्चा अलगाव वह है जो बंधन नहीं, बल्कि स्वतंत्रता देता है।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक बगीचे में दो पेड़ थे — एक आम का और दूसरा नीम का। आम का पेड़ अपनी छाया से सभी को आकर्षित करता था, लेकिन जब वह अपने फल देने के समय अपने फल छुपाने लगा तो लोग उससे दूर होने लगे। नीम का पेड़ दूर से कड़वा लगने के बावजूद अपनी खुशबू और औषधीय गुणों से लोगों का दिल जीतता रहा। दोनों पेड़ अलग-अलग थे, लेकिन उनकी अलगाव की प्रकृति ने ही उन्हें अपनी जगह दी। प्रेम में भी कुछ ऐसा ही होता है — कभी-कभी दूरी ही प्रेम को गहरा करती है।

✨ आज का एक कदम

आज अपने किसी प्रियजन के लिए प्रेम के साथ थोड़ा "अलगाव" का अभ्यास करो — बिना किसी अपेक्षा या नियंत्रण के, बस उन्हें अपने तरीके से जीने दो। देखो, इससे तुम्हारे मन में कैसा शांति और प्रेम का अनुभव होता है।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने प्रेम में आसक्ति को पहचान सकता हूँ?
  • क्या मैं अपने प्रियजन को स्वतंत्रता देकर भी प्रेम कर सकता हूँ?

प्रेम की स्वतंत्रता: अलगाव में भी साथ
याद रखो, अलगाव का अर्थ दूरी नहीं, बल्कि प्रेम की गहराई में स्वतंत्रता का उपहार है। तुम अकेले नहीं हो — प्रेम की इस यात्रा में हर कदम पर कृष्ण तुम्हारे साथ हैं। शांति और प्रेम के इस पथ पर बढ़ते रहो।
शुभकामनाएँ। 🌸🙏

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