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गीता क्यों ईश्वरों को समर्पण करने पर जोर देती है?

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surrender की शक्ति: जब हम खुद को छोड़कर ईश्वरों के चरणों में समर्पित होते हैं
साधक, जीवन की उलझनों में जब मन थक जाता है, जब हम अपने नियंत्रण से बाहर की परिस्थितियों से जूझते हैं, तब ईश्वरों को समर्पण करने की प्रेरणा हमें भीतर से एक अनोखा शांति और शक्ति देती है। गीता हमें यही सिखाती है — कि अपने अहंकार और इच्छाओं को छोड़कर, एक उच्चतर शक्ति के भरोसे खुद को सौंप देना, जीवन को सरल और सार्थक बना देता है।

🕉️ शाश्वत श्लोक

श्लोक:
योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण का उपदेश
अध्याय 18, श्लोक 66
(18.66)

सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥

हिंदी अनुवाद:
सभी धर्मों को छोड़कर केवल मेरी शरण में आओ। मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दूंगा, इसलिए चिंता मत करो।
सरल व्याख्या:
यह श्लोक हमें बताता है कि जब हम अपने सारे फंसे हुए कर्म, अपने सभी नियम और अपने अहंकार को छोड़कर भगवान की शरण में आते हैं, तब वह हमें सभी बंधनों से मुक्त कर देते हैं। यह समर्पण न केवल एक कर्म है, बल्कि एक विश्वास और आत्मा की पूर्ण शांति का मार्ग है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. समर्पण में शक्ति है: जब हम अपने अहंकार और नियंत्रण की इच्छा को त्याग देते हैं, तो हम उस अनंत शक्ति से जुड़ते हैं जो हमें सही दिशा दिखाती है।
  2. मन की शांति: समर्पण से मन की उलझनें कम होती हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि हम अकेले नहीं हैं, कोई हमारे साथ है।
  3. कर्म का फल छोड़ना: गीता सिखाती है कि कर्म करो, पर फल की चिंता न करो। समर्पण से यह संभव होता है।
  4. अहंकार का त्याग: ईश्वरों को समर्पण अहंकार को मिटाता है, जो हमारी सबसे बड़ी बाधा है।
  5. मोक्ष की ओर मार्ग: समर्पण मोक्ष का द्वार खोलता है, जो जीवन के दुखों से मुक्ति है।

🌊 मन की हलचल

"मैंने बहुत कोशिश की, पर फिर भी जीवन में नियंत्रण नहीं पा रहा हूँ। क्या मैं कमजोर हूँ? क्या मैं अपना रास्ता खो चुका हूँ? क्या समर्पण का मतलब है हार मान लेना?"
प्रिय, यह सवाल मन के गहरे द्वंद्व को दर्शाते हैं। समर्पण का अर्थ हार नहीं, बल्कि विश्वास और साहस है। यह उस शक्ति को पहचानना है जो हमसे बड़ी है, और उसके सहारे अपने मन को शांति देना है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, जब तू अपने सारे बोझ मुझ पर डाल देता है, तब मैं उसे हल्का कर देता हूँ। अपने अहंकार को छोड़ और मुझ पर भरोसा कर। मैं तुझे अकेला नहीं छोड़ूंगा। समर्पण से तेरा मन मुक्त होगा, और तुझे वह शक्ति मिलेगी जो तूने कभी कल्पना भी नहीं की।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक विद्यार्थी परीक्षा के लिए बहुत चिंतित था। उसने कड़ी मेहनत की, पर फिर भी भय और तनाव उसे घेरने लगे। उसकी गुरु ने कहा, "अब अपने प्रयास के बाद, फल की चिंता मुझे सौंप दे। मैं तेरे साथ हूँ।" जब उसने ऐसा किया, तो उसका मन शांत हुआ और वह परीक्षा में पूरी ताकत से लगा। समर्पण ने उसे अंदर से मजबूत बनाया।

✨ आज का एक कदम

आज अपने मन के एक छोटे से तनाव या चिंता को पहचानो। उसे अपने भीतर से बाहर निकालकर ईश्वरों के चरणों में सौंप दो। यह लिखकर भी कर सकते हो — "मैं इसे छोड़कर ईश्वर के भरोसे हूँ।"

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने अहंकार को छोड़कर ईश्वर के भरोसे जाने को तैयार हूँ?
  • समर्पण से मुझे क्या शांति और शक्ति मिल सकती है?

समर्पण से जीवन में शांति का स्वागत करें
प्रिय, याद रखो, समर्पण तुम्हारी कमजोरी नहीं, बल्कि सबसे बड़ी ताकत है। जब तू अपने सारे बोझ उस अनंत शक्ति के चरणों में रख देता है, तब जीवन की जटिलता सरल हो जाती है। गीता का संदेश है — अकेले मत लड़ो, उस शक्ति को स्वीकारो जो हमेशा तुम्हारे साथ है। यही समर्पण का सार है, यही जीवन का सच्चा सुख है।
शांति और प्रेम के साथ आगे बढ़ो। 🌸🙏

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