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आध्यात्मिक सूखेपन या भक्ति की कमी से कैसे निपटें?

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जब भक्ति सूख सी जाए — फिर भी आशा की लौ जलती रहे
साधक, जीवन में कभी-कभी ऐसा भी होता है जब मन की गहराई में भक्ति की वह मीठी धारा सूख सी जाती है। ऐसा महसूस होता है कि भगवान से हमारा जुड़ाव कमजोर पड़ गया है, और दिल में प्रेम की वह पहली चमक फीकी पड़ गई है। यह एक स्वाभाविक अवस्था है, न कि हार का संकेत। चलिए, हम भगवद गीता के अमृत शब्दों के साथ इस सूखेपन को समझें और फिर से अपनी भक्ति की यात्रा को पुनः प्रज्वलित करें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

श्रीभगवानुवाच:
मय्येव मन आधत्स्व मयि बुद्धिं निवेशय।
निवसिष्यसि मय्येव अत ऊर्ध्वं न संशयः॥

(भगवद गीता, अध्याय 12, श्लोक 8)
हिंदी अनुवाद:
हे Arjuna! अपने मन को मुझमें लगाओ और अपनी बुद्धि मुझमें स्थिर करो। निश्चय करो कि तुम मुझमें ही निवास करोगे। तब तुम्हें संदेह नहीं होगा।
सरल व्याख्या:
जब भक्ति की धारा सूख जाती है, तो मन को भगवान में लगाना और बुद्धि को उनके ध्यान में स्थिर करना सबसे बड़ा उपाय है। यह पूर्ण समर्पण और विश्वास का मार्ग है, जो संदेहों को दूर कर देता है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. मन को भगवान में लगाना है, फिर भक्ति अपने आप जागेगी। भक्ति कभी जबरदस्ती नहीं होती, वह मन की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है जब मन स्थिर होता है।
  2. संकट और सूखेपन में भी भगवान की याद रखें। यही स्मृति मन को शांति देती है और भक्ति को पुनः जीवित करती है।
  3. साधना में निरंतरता बनाए रखें। भक्ति योग का मार्ग धैर्य और स्थिरता मांगता है, परिणाम समय के साथ आते हैं।
  4. सर्वधर्म समभाव अपनाएं। अपने विश्वास को नकारने के बजाय उसे समझें, दूसरों की भक्ति से प्रेरणा लें।
  5. स्वयं को दोष न दें, यह एक स्वाभाविक अनुभव है। अपने मन को स्वीकार करें और उसे धीरे-धीरे वापस भगवान की ओर मोड़ें।

🌊 मन की हलचल

तुम सोच रहे हो — "क्या मैं ही ऐसा कर रहा हूँ? क्या मेरी भक्ति कमजोर हो गई? क्या भगवान मुझसे दूर हो गए?" ये सवाल स्वाभाविक हैं। याद रखो, भक्ति की राह में सूखेपन के पल भी आते हैं, जैसे बारिश के बाद बादल छंट जाते हैं। यह सूखा पड़ाव तुम्हारे विश्वास को तोड़ने वाला नहीं, बल्कि उसे मजबूत करने वाला है। अपने मन को कोसने की बजाय उसे समझो, उसे प्यार दो, और फिर से उसके भीतर भगवान की छवि को जगाओ।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे साधक, जब मन में भक्ति की धारा सूख सी जाए, तब भी निराश मत हो। मैं तुम्हारे हृदय में सदैव वास करता हूँ। बस अपने मन को मुझमें लगाओ, अपने विचारों को मेरे नाम में डुबो दो। मैं तुम्हारे हर संदेह को दूर कर दूंगा। याद रखो, भक्ति का फल धैर्य और प्रेम से मिलता है। मैं तुम्हारे साथ हूँ, हमेशा।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक विद्यार्थी था, जो अपने गुरु की शिक्षा से बहुत प्रेम करता था। लेकिन परीक्षा के समय वह तनाव में आ गया और गुरु की शिक्षा भूल सा गया। उसने सोचा, "क्या मैं गुरु की शिक्षा भूल गया हूँ?" पर गुरु ने उसे समझाया, "तुम्हारे मन का सूखापन अस्थायी है, जैसे सूखा मौसम। जैसे बारिश फिर से आती है, वैसे ही तुम्हारे मन में प्रेम और भक्ति फिर से जागेगी। बस अपनी साधना जारी रखो।"

✨ आज का एक कदम

आज अपने दिन में कम से कम पाँच मिनट भगवान के नाम का जप या ध्यान करें, बिना किसी अपेक्षा के। सिर्फ अपने मन को उनके प्रति खोलें, चाहे मन कहीं भटकता रहे। यह छोटा प्रयास तुम्हारे भीतर भक्ति की नमी फिर से भर देगा।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने मन के सूखेपन को स्वीकार कर रहा हूँ या उससे लड़ रहा हूँ?
  • क्या मैं भगवान के प्रति अपने प्रेम को फिर से जगाने के लिए तैयार हूँ?

🌼 भक्ति की यात्रा में तुम अकेले नहीं हो
स्मरण रखो, भक्ति का मार्ग कभी सीधा नहीं होता, उसमें उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। तुम्हारा सूखा मन भी भगवान की ओर बढ़ने की एक चुनौती है, जिसे पार कर तुम और भी मजबूत बनोगे। मैं तुम्हारे साथ हूँ, तुम्हारे भीतर उस दिव्य प्रेम को जागृत करने के लिए। विश्वास रखो, धैर्य रखो, और प्रेम के साथ आगे बढ़ो।
हर दिन एक नया अवसर है, अपने मन को फिर से भगवान के प्रेम से भरने का।
ॐ शांति: शांति: शांति: 🙏

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