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कृष्ण का उस व्यक्ति के लिए क्या सुझाव है जो कठोर शब्दों से आहत हुआ हो?

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  • कृष्ण का उस व्यक्ति के लिए क्या सुझाव है जो कठोर शब्दों से आहत हुआ हो?

शब्दों की चोट से उबरना: तुम अकेले नहीं हो
प्रिय मित्र, जब किसी के कठोर शब्द तुम्हारे मन को आहत करते हैं, तो समझो यह जीवन की एक परीक्षा है। यह क्षण भी गुजर जाएगा, और तुम्हारा मन फिर से शांति पा सकेगा। तुम अकेले नहीं हो, हर कोई कभी न कभी इस प्रकार की चोट से गुजरता है। आइए, श्रीकृष्ण के अमर उपदेशों से इस पीड़ा का समाधान खोजें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 14
मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः।
आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत।।

हिंदी अनुवाद:
हे कांतवर्मा (अर्जुन), ये सुख-दुख, गर्मी-ठंड, जो जीवन में आते-जाते रहते हैं, वे क्षणिक और अस्थायी हैं। इसलिए, हे भारतवंशी, उन्हें सहन करो।
सरल व्याख्या:
श्रीकृष्ण कहते हैं कि जीवन में सुख-दुख और ठंडा-गर्म अनुभव आते-जाते रहते हैं। वे स्थायी नहीं हैं। इसलिए जब भी कोई कठोर शब्द तुम्हें आहत करे, उसे एक क्षणिक घटना समझो और धैर्य से उसका सामना करो।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  • कठोर शब्दों को अपनी आत्मा की छाया न बनने दो। वे बाहर की बातें हैं, तुम्हारा वास्तविक स्व उनसे परे है।
  • धैर्य और सहनशीलता को अपनाओ। यह तुम्हारे मन को स्थिर और शांत बनाएगा।
  • अपने अहंकार को न बढ़ाओ, न ही उसे चोट पहुँचने दो। अहंकार ही वह जड़ है जो शब्दों की चोट को गहरा कर देता है।
  • अपने भीतर की शक्ति को पहचानो। तुम अपने विचारों और भावनाओं के स्वामी हो, शब्दों के नहीं।
  • सकारात्मक कर्मों में लगो और मन को निर्मल रखो। इससे मन की पीड़ा कम होगी और आत्मविश्वास बढ़ेगा।

🌊 मन की हलचल

तुम सोच रहे हो, "क्यों कोई मुझे इतना कठोर शब्द कह सकता है? क्या मैं इतना कमजोर हूँ?" यह स्वाभाविक है। पर याद रखो, शब्दों का प्रभाव केवल तब होता है जब हम उन्हें अपने भीतर प्रवेश देते हैं। क्या तुम चाहोगे कि किसी के बिन बोले शब्द तुम्हारे मन को बेचैन करें? नहीं। इसलिए, अपने मन को अपने मित्र बनाओ, अपने रक्षक बनाओ।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे साधक, जब कोई तुम्हें कठोर शब्दों से आहत करे, तो उसे अपने अहंकार का आक्रमण समझो, न कि अपनी अस्मिता का। जो बोलता है, वह भी अपने भीतर की पीड़ा से जूझ रहा होता है। क्षमा और सहनशीलता से काम लो। याद रखो, तुम अपने कर्मों के स्वामी हो, दूसरों के शब्दों के नहीं। अपने मन को शांत रखो, और मैं तुम्हारे साथ हूँ।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक छात्र परीक्षा में असफल हुआ। उसके मित्रों ने उसे कठोर शब्द कहे। वह दुखी हुआ, पर फिर उसने अपने गुरु से कहा, "मुझे इन शब्दों से चोट लगी है।" गुरु ने मुस्कुराते हुए कहा, "क्या तुमने कभी देखा है कि पत्थर से जब पानी गिरता है तो पत्थर टूटता है? नहीं। पत्थर मजबूत होता है। वैसे ही, तुम भी इन शब्दों को अपने ऊपर हावी न होने दो। अपने मन को पत्थर की तरह मजबूत बनाओ।"

✨ आज का एक कदम

आज जब भी कोई कठोर शब्द तुम्हें आहत करे, गहरी सांस लो और मन में दोहराओ:
"यह शब्द मेरे भीतर प्रवेश नहीं कर सकते। मैं शांति का पात्र हूँ।"

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने मन को कठोर शब्दों से मुक्त कर सकता हूँ?
  • क्या मैं अपने अहंकार को पहचान कर उसे कम कर सकता हूँ?

चलो शांति की ओर एक कदम बढ़ाएं
प्रिय, जीवन में घाव होते हैं, पर वे हमें मजबूत बनाते हैं। अपने मन को प्रेम और धैर्य से भरो। याद रखो, मैं तुम्हारे साथ हूँ, और तुम्हारा मन शांति की ओर बढ़ रहा है। कठिन शब्दों की चोट क्षणिक है, पर तुम्हारा आत्मबल अनंत। आगे बढ़ो, तुम्हारा उज्जवल भविष्य तुम्हारा इंतजार कर रहा है। 🌸

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