Skip to header Skip to main navigation Skip to main content Skip to footer
Hindi
Gita Answers
Gita Answers
जब जीवन प्रश्न करता है, गीता समाधान देती है

मुख्य नेविगेशन

  • मुख्य पृष्ठ

अपना संदेह पूछें… गीता राह दिखाएगी

क्या अहंकार अज्ञानता से आता है? कृष्ण क्या कहते हैं?

पग चिन्ह

  • मुख्य पृष्ठ
  • क्या अहंकार अज्ञानता से आता है? कृष्ण क्या कहते हैं?

क्या अहंकार अज्ञानता से आता है? कृष्ण क्या कहते हैं?

अहंकार की जड़: अज्ञानता की परतों को समझना
प्रिय शिष्य, तुम्हारा प्रश्न बहुत गहरा है। अहंकार, जो अक्सर हमारे मन में एक अनजानी आग की तरह जलता है, वास्तव में अज्ञानता की उपज है। जब हम अपने वास्तविक स्वरूप को नहीं समझ पाते, तब हमारा मन भ्रम और असत्य की जाल में फंस जाता है। आइए, श्रीमद्भगवद्गीता के प्रकाश में इस रहस्य को समझते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 16, श्लोक 4
असुरं भावमाप्नोति जोऽभिजानति चात्मानम्।
कामरागेप्सुर्वर्ते तस्य प्रज्ञा विमुह्यति॥

हिंदी अनुवाद:
जो व्यक्ति अपने आप को नहीं जानता और काम, क्रोध, और आसक्ति की वासनाओं में फंसा रहता है, वह असुरात्मा की स्थिति को प्राप्त होता है और उसकी प्रज्ञा (बुद्धि) भ्रमित हो जाती है।
सरल व्याख्या:
यह श्लोक बताता है कि अहंकार और नकारात्मक भावनाएँ जैसे क्रोध, लालच, और मोह तब जन्म लेते हैं जब आत्मज्ञान की कमी होती है। अज्ञानता के कारण मन भ्रमित होता है और व्यक्ति असत्य की ओर बढ़ता है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. अहंकार की जड़ है अज्ञानता: जब हम अपने वास्तविक स्वरूप को नहीं पहचानते, तब अहंकार जन्म लेता है।
  2. क्रोध और ईर्ष्या भी अज्ञानता के फल हैं: ये भाव तब उत्पन्न होते हैं जब हम अपने मन को नियंत्रित नहीं कर पाते।
  3. ज्ञान ही अहंकार का नाशक है: आत्मज्ञान से मन शांत होता है और अहंकार का वास समाप्त होता है।
  4. स्वयं की पहचान से मुक्ति संभव: जब हम अपने अंदर के दिव्य तत्व को समझते हैं, तो अहंकार खुद-ब-खुद कम हो जाता है।
  5. सतत अभ्यास आवश्यक: ज्ञान को जीवन में उतारना ही क्रोध, अहंकार और ईर्ष्या से मुक्ति का मार्ग है।

🌊 मन की हलचल

तुम महसूस कर रहे हो कि कभी-कभी तुम अपने आप को बहुत बड़ा समझने लगते हो, या फिर दूसरों से जलन होती है। ये भाव तुम्हें बेचैन करते हैं, और तुम सोचते हो कि क्या ये सब गलत है? जान लो, यह स्वाभाविक है। मन का यह खेल है, जो तुम्हें समझदारी की ओर ले जाता है। तुम्हारा यह सवाल ही तुम्हारी प्रगति का संकेत है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे अर्जुन, जब तेरा मन अहंकार और क्रोध की आग में जलता है, तब याद रख कि यह सब तुम्हारे अज्ञान का फल है। अपने भीतर झांक और पहचान कि तेरा असली स्वरूप आत्मा है, जो न कभी जन्मा है, न कभी मरेगा। जब तू इस सत्य को समझेगा, तब ये भाव स्वतः ही शांत हो जाएंगे। मैं तेरे साथ हूँ, डर मत।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक छात्र था जो अपने सहपाठियों से जलता था क्योंकि वह खुद को उनसे कम समझता था। उसका अहंकार उसे बार-बार चोट पहुँचाता था। फिर उसके गुरु ने उसे एक शीशा दिया और कहा, "इसे रोज साफ कर, ताकि तू खुद को सही से देख सके।" धीरे-धीरे छात्र ने समझा कि असली सुंदरता और शक्ति तो साफ नजरिए में है, न कि दूसरों से तुलना में। ठीक वैसे ही, जब हम अपने मन को साफ करते हैं, तब अहंकार और जलन कम हो जाती है।

✨ आज का एक कदम

आज अपने मन में आने वाले अहंकार और ईर्ष्या के भावों को पहचानो। जब भी ये आएं, गहरी सांस लो और खुद से पूछो: "क्या यह मेरा असली स्वरूप है, या यह केवल मेरा भ्रम?" इस अभ्यास को दोहराओ।

🧘 अंदर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने अहंकार को पहचान पा रहा हूँ या वह मेरे नियंत्रण में है?
  • क्या मैं अपने भीतर की सच्चाई को जानने के लिए तैयार हूँ?

शांति की ओर एक कदम
प्रिय, अहंकार और अज्ञानता के बीच की दूरी केवल ज्ञान की रोशनी से मिटाई जा सकती है। तुम्हारा यह प्रश्न स्वयं में एक दीपक है जो तुम्हारे मन के अंधकार को दूर कर रहा है। धैर्य रखो, आत्म-ज्ञान की ओर बढ़ो, मैं सदैव तुम्हारे साथ हूँ।
शुभकामनाएँ।
ॐ नमः शिवाय।

Footer menu

  • संपर्क

Copyright © 2025 Gita Answers - All rights reserved

Gita Answers Gita Answers