Skip to header Skip to main navigation Skip to main content Skip to footer
Hindi
Gita Answers
Gita Answers
जब जीवन प्रश्न करता है, गीता समाधान देती है

मुख्य नेविगेशन

  • मुख्य पृष्ठ

अपना संदेह पूछें… गीता राह दिखाएगी

कृष्ण क्यों कहते हैं कि मृत्यु अंत नहीं है?

पग चिन्ह

  • मुख्य पृष्ठ
  • कृष्ण क्यों कहते हैं कि मृत्यु अंत नहीं है?

मृत्यु अंत नहीं है — जीवन का अनवरत प्रवाह
साधक, जब हम मृत्यु की बात करते हैं, तो मन में एक गहरा भय और अनिश्चितता उत्पन्न होती है। यह स्वाभाविक है। परंतु कृष्ण हमें बताते हैं कि मृत्यु केवल एक परिवर्तन है, अंत नहीं। यह समझना ही शांति की ओर पहला कदम है। तुम अकेले नहीं हो, यह सत्य सदियों से हमारे भीतर गूंजता आ रहा है।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 20:
न जायते म्रियते वा कदाचि न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥
हिंदी अनुवाद:
आत्मा न कभी उत्पन्न होता है, न कभी मरता है; न वह कभी अस्तित्व में आता है, न कभी समाप्त होता है। यह अजन्मा, नित्य, शाश्वत और प्राचीन है। शरीर के नष्ट होने पर भी आत्मा नष्ट नहीं होती।
सरल व्याख्या:
कृष्ण कहते हैं कि आत्मा का जन्म या मृत्यु नहीं होती। शरीर भले ही नष्ट हो जाए, आत्मा अमर है। वह हमेशा रहती है, वह न तो जन्मी है, न मरती है। इसलिए मृत्यु का भय व्यर्थ है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. आत्मा अमर है: तुम्हारा असली स्वरूप शरीर नहीं, आत्मा है जो नित्य और अविनाशी है।
  2. शरीर मात्र एक आवरण है: जैसे हम पुराने कपड़े बदलते हैं, वैसे ही आत्मा शरीर बदलती है।
  3. मृत्यु एक परिवर्तन है, अंत नहीं: यह जीवन के चक्र का हिस्सा है, एक नई यात्रा की शुरुआत है।
  4. भय त्यागो और कर्म करो: मृत्यु को देखकर भयभीत न हो, अपने धर्म और कर्म में लगे रहो।
  5. सत्य का ज्ञान ही मुक्ति का मार्ग है: जब तुम आत्मा के अमरत्व को समझोगे, मृत्यु का भय स्वयं दूर हो जाएगा।

🌊 मन की हलचल

तुम्हारा मन कहता होगा — "मृत्यु क्यों इतनी भयावह लगती है? क्या सच में कुछ बचता है? क्या मैं अपने प्रियजनों को खोकर अकेला रह जाऊंगा?" यह प्रश्न स्वाभाविक हैं। लेकिन याद रखो, यह भी एक प्रक्रिया है जो जीवन की गहराई को समझने में मदद करती है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, मैं तुम्हें यह बताने आया हूँ कि तुम्हारी आत्मा नष्ट नहीं होती। तुम्हारा शरीर मिट जाएगा, पर तुम अमर रहोगे। मृत्यु को अंत न समझो, बल्कि इसे एक नए आरंभ के रूप में देखो। भय को छोड़ो और अपने कर्मों में लग जाओ। मैं तुम्हारे साथ हूँ, हर पल।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

कल्पना करो कि तुम एक पुराने कपड़े को उतारकर नया पहन रहे हो। पुराने कपड़े का जाना दुखद नहीं, बल्कि नए कपड़े का आना खुशी की बात है। वैसे ही, आत्मा पुराने शरीर को छोड़कर नए शरीर में प्रवेश करती है, जैसे नया कपड़ा पहनना। मृत्यु केवल एक कपड़े बदलने जैसा है, अंत नहीं।

✨ आज का एक कदम

आज, मृत्यु को अंत के रूप में देखने की बजाय, उसे परिवर्तन के रूप में स्वीकार करो। अपने प्रियजनों के लिए प्रार्थना करो और अपने अंदर आत्मा के अमरत्व को महसूस करने की कोशिश करो।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं मृत्यु को एक अंत के रूप में देखना छोड़ सकता हूँ?
  • क्या मुझे अपने भीतर उस अमर आत्मा की अनुभूति हो रही है?

जीवन अमर है — मृत्यु केवल एक द्वार है
प्रिय, तुम्हारा यह प्रश्न जीवन के गहरे रहस्यों की ओर पहला कदम है। मृत्यु से भय मत करो, क्योंकि वह अंत नहीं, केवल एक नया आरंभ है। यह ज्ञान तुम्हारे मन को शांति और स्थिरता देगा। मैं तुम्हारे साथ हूँ, हर पल। चलो इस यात्रा को मिलकर समझें और स्वीकार करें।
शांति और प्रेम के साथ। 🙏✨

Footer menu

  • संपर्क

Copyright © 2025 Gita Answers - All rights reserved

Gita Answers Gita Answers