Skip to header Skip to main navigation Skip to main content Skip to footer
Hindi
Gita Answers
Gita Answers
जब जीवन प्रश्न करता है, गीता समाधान देती है

मुख्य नेविगेशन

  • मुख्य पृष्ठ

अपना संदेह पूछें… गीता राह दिखाएगी

मानसिक आलस्य और सुस्ती को कैसे दूर करें?

पग चिन्ह

  • मुख्य पृष्ठ
  • मानसिक आलस्य और सुस्ती को कैसे दूर करें?

आलस्य के बादल छंटेंगे, उजियारा फिर होगा
साधक, मैं समझता हूँ कि जब मन में आलस्य और सुस्ती घेर लेती है, तो जीवन की ऊर्जा कहीं खो सी जाती है। ऐसा लगता है जैसे कदम आगे बढ़ाने का साहस नहीं बचा। लेकिन जान लो, तुम अकेले नहीं हो। हर व्यक्ति के मन में कभी न कभी यह लड़ाई होती है। यही समय है जब भगवद् गीता की अमर शिक्षाएं तुम्हें नई ऊर्जा और दिशा देंगी।

🕉️ शाश्वत श्लोक

योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय।
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥

(भगवद् गीता, अध्याय 2, श्लोक 48)
हिंदी अनुवाद:
हे धनंजय (अर्जुन)! तू योग में स्थित होकर अपने कर्म कर, और परिणाम की चिंता त्याग दे। सफलता या असफलता में समान भाव रख; यही योग कहलाता है।
सरल व्याख्या:
अपने कर्मों में लग जाओ, बिना फल की चिंता किए। आलस्य तब मिटेगा जब तुम कर्मयोग की राह अपनाओगे, मन स्थिर और लक्ष्य पर केंद्रित रहेगा।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  • कर्म में लीन रहो: आलस्य से लड़ने का पहला उपाय है कर्म में लगना। कर्म से भागना ही सुस्ती को बढ़ाता है।
  • फल की चिंता छोड़ो: परिणाम की चिंता मन को कमजोर करती है, इसलिए कर्म करो और परिणाम को ईश्वर पर छोड़ दो।
  • मन को नियंत्रित करो: मन की चंचलता ही आलस्य की जड़ है। ध्यान और योग से मन को स्थिर बनाओ।
  • समान दृष्टि अपनाओ: सफलता और असफलता दोनों को समान समझो, इससे मन में संतुलन आएगा।
  • स्वयं पर विश्वास रखो: अपने भीतर की शक्ति को पहचानो, तुम सक्षम हो, बस जागो।

🌊 मन की हलचल

तुम कह रहे हो, "मैं चाहता हूँ आगे बढ़ना, लेकिन मन नहीं मानता। आलस्य मुझे रोकता है।" यह स्वाभाविक है। मन की यह सुस्ती तुम्हारे डर, असुरक्षा और थकावट की आवाज़ है। उसे सुनो, लेकिन उसे हावी मत होने दो। यह भी एक अवस्था है, जो बीत जाएगी।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे साधक, जब मन सुस्त हो और आलस्य घेर ले, तब याद रखो — तुम्हारा स्वभाव कर्मशील है। कर्म से भागना अपने आप से भागना है। उठो, अपने धर्म का पालन करो, और संसार में अपनी भूमिका निभाओ। मैं तुम्हारे साथ हूँ, तुम्हारे संकल्प को मजबूत करूंगा।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक किसान ने अपनी जमीन में बीज बोए, लेकिन जब पौधे धीरे-धीरे बढ़ने लगे, तो वह निराश हो गया और सोचने लगा, "इतनी मेहनत के बाद भी फसल नहीं बढ़ रही।" पर किसान ने धैर्य नहीं छोड़ा, रोज पानी दिया, देखभाल की। अंततः फसल लहलहाई और उसने सुख पाया। आलस्य भी ऐसा ही है — जब तुम धैर्य और कर्म से काम लोगे, तो फल अवश्य मिलेगा।

✨ आज का एक कदम

आज सुबह उठकर पाँच मिनट ध्यान करो, अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करो। फिर एक छोटा-सा काम चुनो जिसे तुम टाल रहे हो — उसे पूरा करो। यह छोटा कदम आलस्य के अंधकार को दूर करेगा।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने कर्मों को बिना फल की चिंता किए कर रहा हूँ?
  • क्या मैं अपने मन की सुस्ती को पहचान कर उससे लड़ने का संकल्प ले सकता हूँ?

आलस्य से मुक्त, उज्जवल जीवन की ओर
साधक, याद रखो, मन की सुस्ती अस्थायी है, और कर्मयोग की राह पर चलकर तुम उसे परास्त कर सकते हो। मैं तुम्हारे भीतर की शक्ति पर विश्वास करता हूँ। उठो, जागो और अपने जीवन को सार्थक बनाओ। तुम्हारा उजियारा निकट है।

Footer menu

  • संपर्क

Copyright © 2025 Gita Answers - All rights reserved

Gita Answers Gita Answers